HomeBlogChhattisgarh Geography 2026: Physical Features, Rivers, Minerals & Tribes [Complete Notes]

Chhattisgarh Geography 2026: Physical Features, Rivers, Minerals & Tribes [Complete Notes]

Introduction

क्या आप CGPSC Prelims या Mains की तैयारी कर रहे हैं? अगर हाँ, तो आपको पता होगा कि “छत्तीसगढ़ का भूगोल” (Geography of Chhattisgarh) इस परीक्षा की रीढ़ है। चाहे प्रीलिम्स हो या मेन्स, लगभग 30-40% प्रश्न सीधे राज्य की भौगोलिक स्थिति, नदियाँ, खनिज और जनजातियों से आते हैं।

छत्तीसगढ़, जिसे ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है, अपनी प्राकृतिक संपदा और खनिज भंडारों के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है। लेकिन एक छात्र के रूप में, इसे रटना मुश्किल हो सकता है। क्या आपको भी ‘दंडकारण्य पठार’ और ‘महानदी बेसिन’ के बीच का अंतर समझने में दिक्कत होती है? या आप भी नदियों के उद्गम स्थल भूल जाते हैं?

इस आर्टिकल में हम छत्तीसगढ़ के भूगोल का पूरा पोस्टमार्टम करेंगे। हम स्थिति और विस्तार से लेकर मिट्टी, जलवायु और खनिज संपदा तक सब कुछ डीप में कवर करेंगे। यह आर्टिकल आपके लिए एक ‘वन-स्टॉप नोट्स’ का काम करेगा।

Hook: क्या आप जानते हैं कि छत्तीसगढ़ का एक ऐसा हिस्सा है जिसे ‘बस्तर का पठार’ कहते हैं, जहाँ एशिया की सबसे बेहतरीन लोहे की खदानें हैं? आइये, राज्य के इस भौगोलिक सफर की शुरुआत करते हैं।


Quick Overview (Highlights)

अगर आपके पास रिवीजन का समय कम है, तो यहाँ छत्तीसगढ़ के भूगोल का निचोड़ (Summary) देखें:

  • Total Area: 1,35,191 Sq. Km (India का 4.11%)
  • Rank in India: 9th Largest State
  • Climate: Tropical Monsoon (उष्णकटिबंधीय मानसूनी)
  • Major River: Mahanadi (Lifeline of CG)
  • Highest Peak: Gaurlata (1225m) in Samri Pat
  • Key Mineral: Coal & Iron Ore (Tin का एकमात्र उत्पादक राज्य)
  • State Shape: Sea Horse (समुद्री घोड़े जैसा)

Chhattisgarh General Introduction & Boundaries

भूगोल समझने से पहले हमें यह जानना होगा कि मैप पर छत्तीसगढ़ कहाँ और कैसा दिखता है।

स्थिति (Location):
छत्तीसगढ़ भारत के प्रायद्वीपीय पठार का हिस्सा है। इसका अक्षांशीय विस्तार 17°46′ उत्तरी अक्षांश से 24°5′ उत्तरी अक्षांश तक और देशांतरीय विस्तार 80°15′ पूर्वी देशांतर से 84°24′ पूर्वी देशांतर तक है।

पड़ोसी राज्य (Boundaries):
यह एक भू-आवेष्ठित (Landlocked) राज्य है, जो 7 राज्यों से घिरा है:

  1. उत्तर (North): उत्तर प्रदेश (सिर्फ बलरामपुर जिला छूता है)।
  2. उत्तर-पश्चिम (North-West): मध्य प्रदेश (सबसे लंबी सीमा)।
  3. उत्तर-पूर्व (North-East): झारखंड।
  4. पूर्व (East): ओडिशा (सबसे लंबी सीमा रेखा)।
  5. दक्षिण (South): आंध्र प्रदेश (सबसे छोटी सीमा)।
  6. दक्षिण-पश्चिम (South-West): तेलंगाना।
  7. पश्चिम (West): महाराष्ट्र।

Physical Divisions of Chhattisgarh (भौतिक विभाजन)

छत्तीसगढ़ को भौतिक संरचना के आधार पर मुख्य रूप से 4 भागों में बांटा गया है। इसे समझना सबसे जरूरी है।

1. पूर्वी बघेलखंड का पठार (East Baghelkhand Plateau)

  • स्थिति: यह राज्य के उत्तर में स्थित है (कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, एमसीबी)।
  • विशेषता: यह गंगा नदी अपवाह तंत्र का हिस्सा है। यहाँ की चट्टानें गोंडवाना क्रम की हैं, इसलिए यहाँ कोयला (Coal) प्रचुर मात्रा में मिलता है।
  • मुख्य नदियाँ: रिहंद, बनास, गोपद।

2. जशपुर सामरी पाट प्रदेश (Jaspur Samri Pat Region)

  • स्थिति: यह राज्य का उत्तर-पूर्वी भाग है। ‘पाट’ का अर्थ है समतल चोटी वाला पहाड़।
  • महत्व: यह छत्तीसगढ़ का सबसे छोटा लेकिन सबसे ऊँचा भौतिक विभाग है। यहाँ बॉक्साइट (Bauxite) के भंडार हैं।
  • प्रमुख पाट: मैनपाट (छत्तीसगढ़ का शिमला), जशपुर पाट, सामरी पाट। राज्य की सबसे ऊँची चोटी ‘गौरलाटा’ (1225 मीटर) यहीं स्थित है।

3. छत्तीसगढ़ का मैदान (Mahanadi Basin)

  • स्थिति: यह राज्य के मध्य भाग (बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग संभाग) में है। इसे “धान का कटोरा” कहा जाता है।
  • आकृति: इसकी आकृति पंखाकार (Fan Shaped) है।
  • चट्टानें: यहाँ कड़प्पा क्रम की चट्टानें पाई जाती हैं, इसलिए यहाँ चूना पत्थर (Limestone) और डोलोमाइट सबसे ज्यादा मिलता है।
  • कृषि: यह राज्य का सबसे उपजाऊ क्षेत्र है जहाँ काली और मटासी मिट्टी पाई जाती है।

4. दंडकारण्य का पठार (Dandakaranya Plateau)

  • स्थिति: यह राज्य के दक्षिण में (बस्तर संभाग) स्थित है।
  • भौतिक स्वरूप: यह उबड़-खाबड़ और वनों से ढका हुआ पठारी क्षेत्र है।
  • खनिज: यहाँ धारवाड़ क्रम की चट्टानें हैं, जो लौह अयस्क (Iron Ore) के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं (जैसे बैलाडीला की खदानें)।
  • विशेषता: इसे “साल वनों का द्वीप” भी कहा जाता है।

Drainage System (अपवाह तंत्र)

छत्तीसगढ़ की नदियाँ राज्य की अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा हैं। यहाँ का ढाल (Slope) पूर्व की ओर है, इसलिए ज्यादातर नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।

1. महानदी अपवाह तंत्र (Mahanadi Drainage System)

यह राज्य का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है, जो लगभग 56.15% क्षेत्र को कवर करता है।

  • उद्गम: सिहावा पर्वत (धमतरी)।
  • लम्बाई: 858 किमी (छत्तीसगढ़ में 286 किमी)।
  • सहायक नदियाँ: शिवनाथ (सबसे बड़ी सहायक), हसदेव, मांड, ईब, जोंक, पैरी।
  • परियोजना: गंगरेल बांध (रविशंकर सागर) और केलो परियोजना।

2. गोदावरी अपवाह तंत्र (Godavari Drainage System)

यह राज्य का दूसरा सबसे बड़ा तंत्र है जो दक्षिणी छत्तीसगढ़ (बस्तर) में बहता है।

  • प्रमुख नदी: इंद्रावती (बस्तर की जीवनरेखा)।
  • जलप्रपात: भारत का नियाग्रा कहा जाने वाला चित्रकोट जलप्रपात इसी नदी पर है।
  • अन्य नदियाँ: सबरी, कोटरी, नारंगी।

3. गंगा अपवाह तंत्र (Ganga Drainage System)

राज्य के उत्तरी भाग (सरगुजा संभाग) का पानी सोन नदी के माध्यम से गंगा में मिलता है।

  • नदियाँ: रिहंद, कन्हार, बनास।

4. नर्मदा अपवाह तंत्र (Narmada Drainage System)

यह सबसे छोटा तंत्र है (कवर्धा और राजनांदगांव का कुछ हिस्सा)। बंजर और टांडा नदियाँ नर्मदा में मिलती हैं।


Climate & Soil (जलवायु और मिट्टी)

खेती और वनस्पति पूरी तरह जलवायु और मिट्टी पर निर्भर करती है।

जलवायु (Climate):
छत्तीसगढ़ की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी (Tropical Monsoon) है।

  • कर्क रेखा (Tropic of Cancer) राज्य के ऊपरी हिस्से (कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर) से गुजरती है।
  • वर्षा: औसत वर्षा 1200-1250 मिमी होती है। सबसे ज्यादा बारिश ‘अबूझमाड़’ (छत्तीसगढ़ का चेरापूंजी) में होती है और सबसे कम कवर्धा में।

मिट्टी (Soil Classification):
स्थानीय आधार पर छत्तीसगढ़ में 5 प्रकार की मिट्टियाँ पाई जाती हैं:

  1. लाल-पीली मिट्टी (Matasi): यह राज्य के 50-55% भाग (मध्य छत्तीसगढ़) में पाई जाती है। धान की खेती के लिए उपयुक्त।
  2. लाल-बलुई मिट्टी (Tikra): बस्तर के पठारी क्षेत्रों में मिलती है। मोटे अनाज (कोदो-कुटकी) के लिए अच्छी है।
  3. काली मिट्टी (Kanhar): जल धारण क्षमता सबसे अधिक होती है। मैकल श्रेणी और घाटियों में मिलती है। गन्ने और कपास के लिए बेस्ट है।
  4. लेटराइट मिट्टी (Bhata): इसे ‘मुर्रम’ भी कहते हैं। यह पाट प्रदेशों (जशपुर, सरगुजा) में मिलती है। बागवानी (लीची, चाय) के लिए उपयोगी।
  5. लाल-दोमट मिट्टी: सुकमा और दंतेवाड़ा में पाई जाती है।

Minerals of Chhattisgarh (खनिज संपदा)

छत्तीसगढ़ को भारत का “खनिज भंडार” कहा जाता है। राज्य के राजस्व का बड़ा हिस्सा माइनिंग से आता है।

1. कोयला (Coal)

  • शैल समूह: गोंडवाना।
  • क्षेत्र: कोरबा (दीपका, गेवरा – एशिया की सबसे बड़ी माइंस), रायगढ़ (मांड घाटी), सरगुजा।
  • रैंक: उत्पादन और भंडारण में छत्तीसगढ़ देश में शीर्ष राज्यों में है।

2. लौह अयस्क (Iron Ore)

  • शैल समूह: धारवाड़।
  • क्षेत्र: बैलाडीला (दंतेवाड़ा) – यहाँ का लोहा दुनिया का सबसे शुद्ध लोहा माना जाता है जो जापान को निर्यात होता है। इसके अलावा रावघाट (कांकेर)।
  • प्रकार: यहाँ मुख्य रूप से ‘हेमेटाइट’ (Haematite) किस्म का लोहा मिलता है।

3. चूना पत्थर (Limestone)

  • शैल समूह: कड़प्पा।
  • क्षेत्र: छत्तीसगढ़ का मैदान (बलौदाबाजार, रायपुर, दुर्ग)।
  • उद्योग: इसी कारण छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा सीमेंट फैक्ट्रियां हैं (जैसे ACC, Ultratech)।

4. बॉक्साइट (Bauxite)

  • शैल समूह: दक्कन ट्रैप।
  • क्षेत्र: पाट प्रदेश (मैनपाट, जशपुर, कवर्धा)। यह एल्युमिनियम का अयस्क है।

5. टिन (Tin)

  • विशेष तथ्य: छत्तीसगढ़ भारत का एकमात्र राज्य है जहाँ टिन का उत्पादन होता है। यह बस्तर और सुकमा जिले में मिलता है।

Tribes & Culture (जनजाति एवं संस्कृति)

छत्तीसगढ़ एक आदिवासी बहुल राज्य है। 2011 की जनगणना के अनुसार, यहाँ की कुल जनसंख्या का 30.62% हिस्सा जनजातियों का है।

प्रमुख जनजातियाँ:

  1. गोंड (Gond): यह राज्य का सबसे बड़ा जनजाति समूह है। ये पूरे राज्य में फैले हैं। इनकी उपजातियाँ माड़िया, मुरिया और दोरला हैं।
  2. बैगा (Baiga): यह ‘विशेष पिछड़ी जनजाति’ (PVTG) है जो मैकल श्रेणी (कवर्धा, मुंगेली) में निवास करती है। ये गोदना प्रिय होते हैं और ‘झूम खेती’ (बेवर) करते हैं।
  3. उरांव (Oraon): यह सबसे शिक्षित जनजाति मानी जाती है। ये सरगुजा क्षेत्र में रहते हैं और ‘सरहुल’ त्यौहार मनाते हैं।
  4. अबूझमाड़िया: ये नारायणपुर के अबूझमाड़ जंगलों में रहते हैं और बाहरी दुनिया से काफी कटे हुए हैं।
  5. हल्बा: आर्थिक रूप से समृद्ध जनजाति, जो बस्तर और कांकेर में कृषि कार्य करती है।

Pros & Cons of Chhattisgarh Geography for Aspirants

क्या भूगोल विषय स्कोरिंग है?

✅ Pros (फायदे)

  • High Weightage: CGPSC में सबसे ज्यादा प्रश्न यहीं से आते हैं।
  • Static Nature: नदियाँ और पहाड़ बदलते नहीं हैं, एक बार याद कर लिया तो हमेशा काम आएगा।
  • Interlinked: अगर भूगोल समझ आ गया, तो आप राज्य की अर्थव्यवस्था और कृषि को आसानी से समझ सकते हैं।

❌ Cons (नुकसान)

  • Data Heavy: बहुत सारे फैक्ट्स, माइंस के नाम और नदियों की लंबाई याद करनी पड़ती है।
  • Confusing Maps: जिलों के पुनर्गठन (33 जिले) के बाद नक्शा थोड़ा पेचीदा हो गया है।

Frequently Asked Questions (FAQ)

CGPSC स्टूडेंट्स अक्सर इन सवालों में फंसते हैं:

Q1: छत्तीसगढ़ को “धान का कटोरा” क्यों कहते हैं?
Answer: छत्तीसगढ़ के मैदानी भाग में महानदी बेसिन के कारण जल की उपलब्धता और उपजाऊ मिट्टी है, जिससे यहाँ चावल (धान) की पैदावार बहुत अधिक होती है। राज्य में धान की 20,000 से अधिक किस्में पाई जाती हैं।

Q2: छत्तीसगढ़ का सबसे ऊँचा जलप्रपात कौन सा है?
Answer: बलरामपुर जिले में कनहर नदी की सहायक नदी पर स्थित कोठली जलप्रपात को कई स्रोत ऊँचा मानते हैं, लेकिन तीरथगढ़ (बस्तर) भी बहुत प्रसिद्ध है। सबसे चौड़ा जलप्रपात ‘चित्रकोट’ है।

Q3: बैलाडीला की पहाड़ियाँ किसलिए प्रसिद्ध हैं?
Answer: बैलाडीला (बैल के कूबड़ जैसी आकृति) दंतेवाड़ा में है और यह अपनी उच्च गुणवत्ता वाले लौह अयस्क के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

Q4: छत्तीसगढ़ में कर्क रेखा और मानक समय रेखा (IST) कहाँ काटती हैं?
Answer: यह एक महत्वपूर्ण भौगोलिक तथ्य है। भारतीय मानक समय रेखा (82.5° E) और कर्क रेखा एक-दूसरे को कोरिया/सूरजपुर जिले (विवादित, लेकिन आयोग कोरिया/सूरजपुर मानता है) के पास काटती हैं।


Conclusion: Final Study Strategy

निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ का भूगोल न केवल परीक्षा पास करने के लिए, बल्कि राज्य को समझने के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी भौतिक संरचना ही यह तय करती है कि उद्योग कहाँ लगेंगे और खेती कैसी होगी।

मेरी सलाह:
सिर्फ रट्टा न मारें। छत्तीसगढ़ का एक Blank Map खरीदें और उस पर खुद नदियाँ, पहाड़ और खनिज क्षेत्र बनाएं। विजुअल लर्निंग से आप जशपुर पाट और बैलाडीला की लोकेशन कभी नहीं भूलेंगे।


Call to Action (CTA)

👋 आपका पसंदीदा टॉपिक कौन सा है?
क्या आपको नदियों के नाम याद करने में दिक्कत होती है या जनजातियों के नृत्य?

नीचे Comment Box में बताएं कि आपको किस टॉपिक पर ‘Short Tricks’ चाहिए। हम अगले आर्टिकल में छत्तीसगढ़ भूगोल याद करने की ट्रिक्स शेयर करेंगे! 👇

Share: 

No comments yet! You be the first to comment.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *