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प्रागैतिहासिक काल, छत्तीसगढ़ का इतिहास वैदिक युग से गुप्त काल तक, प्रमुख राजवंश राजर्शितुल्य कुल, और अन्य

नल, शरभपुरीय, पांडु, सोमवंशी इत्यादि, कल्चुरी एवं उनका प्रशासन, मराठों के अधीन छत्तीसगढ़, ब्रिटिश संरक्षण में छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ की पूर्व रियासतें और जमीन्दारियां। सामन्ती राज, 1857 की क्रांति, छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता आन्दोलन, श्रमिक, कृषक एवं जनजातीय आंदोलन, छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण।

प्रागैतिहासिक काल

छत्तीसगढ़ में मानव बस्ती के प्रमाण 10,000 ईसा पूर्व के हैं।

बिलासपुर जिले में पाया गया राखिमगर गुफा स्थल, प्राचीन शैल चित्रों का एक प्रमुख स्थल है।

वैदिक युग से गुप्त काल तक

छत्तीसगढ़ अयोध्या और मगध जैसे वैदिक राज्यों का हिस्सा था।

महाभारत काल में, यह चेदि राज्य का हिस्सा था।

इस अवधि में, छत्तीसगढ़ एक कृषि-आधारित समाज था, जो धातु विज्ञान में उन्नत था।

प्रमुख राजवंश

राजर्शितुल्य कुल: 300 ईस्वी के आसपास छत्तीसगढ़ पर शासन किया। पद्मावती उनकी राजधानी थी।

नल: 5वीं शताब्दी ईस्वी में शासन किया। उनकी राजधानी रायपुर थी।

शरभपुरीय: 6वीं-7वीं शताब्दी ईस्वी में शासन किया। उनकी राजधानी शरभपुर थी।

पांडु: 7वीं-8वीं शताब्दी ईस्वी में शासन किया। उनकी राजधानी राजिम थी।

सोमवंशी: 9वीं-12वीं शताब्दी ईस्वी में शासन किया। उनकी राजधानी सिरपुर थी।

कल्चुरी एवं उनका प्रशासन

कल्चुरी 12वीं-18वीं शताब्दी ईस्वी में छत्तीसगढ़ पर शासन करने वाले एक प्रमुख राजवंश थे।

उनकी राजधानी रतनपुर थी।

उनके प्रशासन में एक मजबूत नौकरशाही और एक कुशल कर प्रणाली थी।

मराठों के अधीन छत्तीसगढ़

18वीं शताब्दी में, छत्तीसगढ़ मराठा साम्राज्य का हिस्सा बन गया।

नागपुर में भोसले वंश ने छत्तीसगढ़ पर शासन किया।

ब्रिटिश संरक्षण में छत्तीसगढ़

1854 में, छत्तीसगढ़ ब्रिटिश शासन में आया।

इसे मध्य भारत के प्रांत में शामिल किया गया था।

छत्तीसगढ़ की पूर्व रियासतें और जमीन्दारियां

ब्रिटिश शासन के दौरान, छत्तीसगढ़ में कई रियासतें और जमींदारियां थीं।

प्रमुख रियासतों में बस्तर, सरगुजा, रायगढ़ और झारिया शामिल थे।

सामन्ती राज

छत्तीसगढ़ में सामन्ती राज 19वीं शताब्दी के अंत तक जारी रहा।

स्थानीय सरदार और जमींदारों का गांवों पर काफी प्रभाव था।

1857 की क्रांति

1857 के भारतीय विद्रोह का छत्तीसगढ़ पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।

रायपुर और दुर्ग जैसे शहरों में विद्रोह हुआ।

छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता आन्दोलन

छत्तीसगढ़ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक सक्रिय हिस्सा था।

डॉ. खूबचंद बघेल और शंकर शाह जैसे नेताओं ने आंदोलन का नेतृत्व किया।

श्रमिक, कृषक एवं जनजातीय आंदोलन

छत्तीसगढ़ में श्रमिक, कृषक और जनजातीय आंदोलन 20वीं शताब्दी की शुरुआत में उभरे।

ये आंदोलन भूमि अधिकार, श्रम शोषण और सामाजिक असमानता के खिलाफ लड़े।

छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण

छत्तीसगढ़ राज्य 1 नवंबर, 2000 को मध्य प्रदेश से अलग करके बनाया गया था।

यह भारत का 26वां राज्य है।

प्रागैतिहासिक काल:

छत्तीसगढ़ का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से शुरू होता है, जब इस क्षेत्र में विभिन्न सभ्यताओं का विकास हुआ था। यहां के बड़े हड्डप्पा सभ्यता के अवशेष मिले हैं जो सुगौली, बैलडिल, रायपुर, धोडा, तारापुर, इंजिनियरिंग और बोबडा में पाए गए हैं।

वैदिक युग से गुप्त काल तक:

छत्तीसगढ़ के इतिहास में वैदिक युग से गुप्त काल तक कई राजवंश और साम्राज्यों का उल्लेख है। इस क्षेत्र में नल राजवंश, शरभपुरीय, पांडु, सोमवंशी, चंपावंश, नागवंश आदि के राजा राजर्षितुल्य कुल के थे। इन वंशों के अंतर्गत कल्चुरी भी एक महत्वपूर्ण राजवंश था। इस समय के पौराणिक और शिलालेखों से छत्तीसगढ़ के प्राचीन इतिहास की जानकारी मिलती है।

कल्चुरी और उनका प्रशासन:

कल्चुरी राजवंश ने छत्तीसगढ़ क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया और इसके अंतर्गत रायपुर को अपनी राजधानी बनाया। इस राजवंश का प्रशासन सुशस्त्र था और कल्चुरी साहित्य, कला, और सांस्कृतिक क्षेत्र में एक उच्च स्तर पर था।

मराठों के अधीन छत्तीसगढ़:

18वीं सदी में मराठों के आगमन के बाद, छत्तीसगढ़ क्षेत्र ने मराठा साम्राज्य के अधीन आना शुरू किया। इस समय रायपुर और छत्तीसगढ़ के अन्य हिस्सों में अलग-अलग मराठा सामंतों का शासन था।

ब्रिटिश संरक्षण में छत्तीसगढ़:

ब्रिटिश साम्राज्य के समय में छत्तीसगढ़ क्षेत्र को ब्रिटिश संरक्षण के अंतर्गत लाया गया। यहां पर संग्रहीत सामग्री और डॉक्यूमेंट्स से प्राप्त होता है कि इस समय के राजा और नगरीय अंश में कैसे बदलाव हुआ।

छत्तीसगढ़ की पूर्व रियासतें और जमींदारियां:

ब्रिटिश राज के दौरान, छत्तीसगढ़ क्षेत्र को कई रियासतों में विभाजित किया गया, जिनमें रायपुर, बस्तर, काकतीया, राजनांदगांव, सरगुजा, झाबुआ आदि शामिल थीं। इन रियासतों के अधीन जमींदार, ठ

िकादार, और स्थानीय शासक अपनी सत्ता और प्राधान्य को बनाए रखते थे।

सामन्ती राज, 1857 की क्रांति, और स्वतंत्रता आंदोलन:

ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ सामन्ती राजों के आंदोलन और 1857 की क्रांति में छत्तीसगढ़ के योगदान का उल्लेख मिलता है। यहां के विभिन्न समुदायों ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।

छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण:

स्वतंत्रता के बाद, 1948 में छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ। इसके पश्चात्, छत्तीसगढ़ राज्य ने भारतीय संघ के अंतर्गत अपना स्थान बनाया। यहां की आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक विकास में नई दिशाएँ और योजनाएं चलाई गईं।

छत्तीसगढ़ का इतिहास बहुत प्राचीन है और यह कई राजवंशों के अधीन रहा है।

  1. प्रागैतिहासिक काल: छत्तीसगढ़ का इतिहास वेदिक युग से शुरू होता है, जब वहाँ विभिन्न जनजातियों के समुदाय रहते थे।
  2. गुप्त काल: गुप्त साम्राज्य के दौरान, छत्तीसगढ़ क्षेत्र में गुप्त साम्राज्य का अधीन भाग था।
  3. प्रमुख राजवंश राजर्शितुल्य कुल: छत्तीसगढ़ के इतिहास में प्रमुख राजवंशों में नल, शरभपुरीय, पांडु, और सोमवंशी शामिल हैं।
  4. कल्चुरी एवं उनका प्रशासन: कल्चुरी साम्राज्य के अधीन छत्तीसगढ़ में भूमिका थी, जिनका प्रशासन और सांस्कृतिक विकास हुआ।
  5. मराठों के अधीन छत्तीसगढ़: 18वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य के अधीन छत्तीसगढ़ आया।
  6. ब्रिटिश संरक्षण में छत्तीसगढ़: ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन 1818 में छत्तीसगढ़ आया।
  7. छत्तीसगढ़ की पूर्व रियासतें और जमींदारियां: ब्रिटिश काल में, छत्तीसगढ़ कई रियासतों में विभाजित था, जिसमें छत्तीसगढ़, रायपुर, राजनांदगांव, और जशपुर शामिल थे।
  8. सामन्ती राज: ब्रिटिश साम्राज्य के अंत में, सामन्ती राजवंश ने राज्य के प्रशासन में भूमिका निभाई।
  9. 1857 की क्रांति: 1857 की भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, छत्तीसगढ़ भी इसमें भाग लिया।
  10. छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता आंदोलन: ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ छत्तीसगढ़ में भी विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलन हुए।
  11. श्रमिक, कृषक एवं जनजातीय आंदोलन: छत्तीसगढ़ में श्रमिक, किसान, और जनजातीय समुदायों के आंदोलन भी हुए।
  12. छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण: 2000 में, छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई, जो छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी।

छत्तीसगढ़ का इतिहास उसकी सांस्कृतिक, सामाजिक, और राजनीतिक विविधता का प्रतिबिम्ब है, जो उसे एक अद्वितीय स्थान पर रखता है।

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