HomeBlogसरगुजा संभाग के सभी जिले और गठन कब हुआ जाने सरगुजा संभाग में 6 जिले है

सरगुजा संभाग के सभी जिले और गठन कब हुआ जाने सरगुजा संभाग में 6 जिले है


छत्तीसगढ़ का उत्तरी प्रहरी: सरगुजा संभाग – इतिहास, भूगोल और विकास की समग्र गाथा

छत्तीसगढ़ के उत्तरी मुकुट के रूप में स्थित, सरगुजा संभाग अपनी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत, अद्वितीय भौगोलिक संरचना और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, बल्कि प्रदेश के प्रशासनिक और विकास की धुरी भी है। आइए, सरगुजा संभाग की इस गौरवशाली यात्रा को विस्तार से जानें।

सरगुजा संभाग: एक नजर में

  • गठन: 1 अप्रैल 2008
  • मुख्यालय: अम्बिकापुर
  • कुल जिले: 06
  • भौगोलिक पहचान: पूर्वी बघेलखण्ड का पठार और पाट प्रदेशों का संगम
  • प्रशासनिक स्थिति: क्षेत्रफल के अनुसार दूसरा और जनसंख्या के अनुसार चौथा सबसे बड़ा संभाग।

ऐतिहासिक यात्रा: रियासतों से संभाग तक

सरगुजा का इतिहास उतार-चढ़ाव और महत्वपूर्ण घटनाओं से भरा है।

  • 1818: तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध के बाद, यह क्षेत्र अंग्रेजों को हस्तांतरित होकर बंगाल प्रांत का हिस्सा बना।
  • 1905: इसे बंगाल प्रांत से मध्य प्रांत में स्थानांतरित किया गया। इस दौरान 5 प्रमुख रियासतें- चांगभखार, कोरिया, सरगुजा, जशपुर और उदयपुर इसमें शामिल हुईं।
  • 1948: आजादी के बाद इन पांचों रियासतों का विलय छत्तीसगढ़ के बिलासपुर संभाग में किया गया।
  • 2008: प्रशासनिक सुधारों के तहत, बिलासपुर संभाग से पृथक कर सरगुजा संभाग का गठन किया गया, जिसका मुख्यालय अम्बिकापुर को बनाया गया।

🗺️ सरगुजा संभाग के जिले और उनका गठन

सरगुजा संभाग वर्तमान में 6 जिलों से मिलकर बना है, जिनका गठन समय-समय पर हुआ है।

क्र.जिलागठन का वर्षकिससे पृथक हुआ
1.सरगुजा1948रियासतों के विलय से गठित
2.कोरिया1998सरगुजा
3.जशपुर1998रायगढ़
4.सूरजपुर2012सरगुजा
5.बलरामपुर-रामानुजगंज2012सरगुजा
6.मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर2022कोरिया

📊 जिलों का तुलनात्मक विश्लेषण (2011 जनगणना व गठन के आधार पर)

जनसंख्या के आधार पर जिलों का क्रम (घटते क्रम में):

  1. जशपुर – 8.51 लाख
  2. सरगुजा – 8.40 लाख
  3. सूरजपुर – 7.89 लाख
  4. बलरामपुर – 7.30 लाख
  5. मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर – 3.70 लाख
  6. कोरिया – 2.88 लाख

क्षेत्रफल के आधार पर जिलों का क्रम (घटते क्रम में):

  1. जशपुर – 6,457 वर्ग कि.मी.
  2. मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर – 4,226 वर्ग कि.मी.
  3. बलरामपुर – 3,806 वर्ग कि.मी.
  4. सरगुजा – 3,265 वर्ग कि.मी.
  5. सूरजपुर – 2,787 वर्ग कि.मी.
  6. कोरिया – 1,752 वर्ग कि.मी.

🏞️ भौतिक प्रदेश और अद्वितीय भौगोलिक संरचना

भूगर्भिक और धरातलीय बनावट के आधार पर सरगुजा अंचल को दो मुख्य भागों में बांटा गया है, जो इसे छत्तीसगढ़ के अन्य क्षेत्रों से अलग पहचान देते हैं।

1. पूर्वी बघेलखण्ड का पठार

  • क्षेत्रफल: 21,863 वर्ग कि.मी.
  • राज्य में हिस्सा: 16.16%
  • यह संभाग का निचला और विस्तृत पठारी क्षेत्र है, जो खनिज संसाधनों और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है।

2. पाट प्रदेश

  • क्षेत्रफल: 6,208 वर्ग कि.मी.
  • राज्य में हिस्सा: 4.59%
  • यह ऊँचे, सपाट शिखर वाले पठार हैं, जिन्हें “पाट” कहा जाता है। मैनपाट और जमीरपाट इसके प्रमुख उदाहरण हैं। यह क्षेत्र अपनी ठंडी जलवायु और बॉक्साइट के भंडारों के लिए प्रसिद्ध है।

सरगुजा संभाग की अनूठी पहचान और विशेषताएं

यहाँ कुछ अतिरिक्त और रोचक तथ्य दिए गए हैं जो सरगुजा संभाग को खास बनाते हैं:

1. कला, संस्कृति और जनजातीय जीवन की धड़कन

सरगुजा की असली आत्मा इसकी जनजातीय संस्कृति में बसती है। यह क्षेत्र विभिन्न आदिवासी समुदायों का घर है, जिनकी अपनी अनूठी परंपराएं, कला और जीवनशैली है।

  • प्रमुख जनजातियाँ: यहाँ गोंड, कंवर, उरांव और पंडो जैसी प्रमुख जनजातियाँ निवास करती हैं।
  • लोक नृत्य:
    • करमा नृत्य: यह यहाँ का सबसे लोकप्रिय नृत्य है, जो उत्सवों और खुशियों के मौकों पर किया जाता है।
    • सैला नृत्य: यह पुरुषों द्वारा किया जाने वाला एक ऊर्जावान डंडा नृत्य है।
    • सुआ नृत्य: यह महिलाओं द्वारा किया जाने वाला तोता नृत्य है, जो दीपावली के समय विशेष रूप से किया जाता है।
  • गोदना कला: गोदना (टैटू) यहाँ की संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, जिसे सौंदर्य और परंपरा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

2. प्रमुख पर्यटन स्थल: प्रकृति का अनमोल उपहार

सरगुजा संभाग पर्यटकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहाँ ऊँचे-ऊँचे पाट, घने जंगल, ऐतिहासिक गुफाएं और मनमोहक झरने हैं।

  • रामगढ़ की पहाड़ियाँ: यहाँ विश्व की सबसे प्राचीन नाट्यशाला ‘सीताबेंगरा’ और ‘जोगीमारा’ गुफाएं स्थित हैं, जिनमें प्राचीन शैलचित्र और ब्राह्मी लिपि में लिखे लेख मिलते हैं।
  • देवगढ़: यह एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है जहाँ कई प्राचीन मंदिरों के अवशेष बिखरे पड़े हैं।
  • प्रसिद्ध जलप्रपात (झरने):
    • अमृतधारा जलप्रपात (मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर): यह हसदेव नदी पर बना एक खूबसूरत झरना है।
    • रकसगंडा जलप्रपात (सूरजपुर): यह अपनी चौड़ाई और तेज बहाव के लिए जाना जाता है।
  • कुदरगढ़ी माता मंदिर (सूरजपुर): यह एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, जहाँ हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

3. मैनपाट: छत्तीसगढ़ का शिमला और मिनी तिब्बत

मैनपाट सरगुजा का सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जिसकी अपनी अलग ही पहचान है।

  • छत्तीसगढ़ का शिमला: अपनी ऊँचाई और ठंडी जलवायु के कारण इसे “छत्तीसगढ़ का शिमला” कहा जाता है।
  • मिनी तिब्बत: 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद यहाँ तिब्बती शरणार्थियों को बसाया गया था। आज भी यहाँ उनकी संस्कृति, बौद्ध मठ और खान-पान का अनुभव किया जा सकता है।
  • अनोखे आकर्षण: मैनपाट में “जलता दल-दली” (उछलती हुई जमीन) और “उल्टा पानी” (गुरुत्वाकर्षण को चुनौती देता हुआ पानी का बहाव) जैसी रहस्यमयी जगहें हैं जो पर्यटकों को हैरान कर देती हैं।

4. आर्थिक परिदृश्य: खनिज और कृषि का संगम

सरगुजा संभाग आर्थिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है।

  • खनिज संपदा: यह क्षेत्र कोयला और बॉक्साइट के विशाल भंडारों के लिए जाना जाता है। SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) की कई खदानें यहाँ संचालित हैं।
  • कृषि: धान के अलावा यहाँ मक्का और दालों की भी अच्छी खेती होती है।
  • वनोपज: महुआ, तेंदूपत्ता और साल के बीज जैसे लघु वनोपज यहाँ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।

5. वन्यजीव और जैव-विविधता

यह संभाग घने जंगलों और विविध वन्यजीवों से समृद्ध है।

  • तमोर पिंगला अभयारण्य (सूरजपुर): यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा वन्यजीव अभयारण्य है।
  • सेमरसोत अभयारण्य (बलरामपुर): यह भी एक प्रमुख वन्यजीव संरक्षण केंद्र है।
  • प्रमुख वन्यजीव: इन जंगलों में बाघ, तेंदुआ, भालू, नीलगाय और विभिन्न प्रकार के हिरण पाए जाते हैं।

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