HomeBlogजनजातिया वाद्य यंत्रों को संगीत शास्त्र की परंपरा के अनुसार 4 भागों में बांटा गया है।

जनजातिया वाद्य यंत्रों को संगीत शास्त्र की परंपरा के अनुसार 4 भागों में बांटा गया है।

लोक वाद्ययंत्र

जनजातिया वाद्य यंत्रों को संगीत शास्त्र की परंपरा के अनुसार 4 भागों में बांटा गया है।

1) तत् वाद्य यंत्र

2) अवनध वाद्य यंत्र

3) सुषिर वाद्य यंत्र

4) घन वाद्य यंत्र

1) वत् वाद्य यंत्र

ऐसे वाद्य यंत्र जिसको उंगलियों के माध्यम से तारों में कंपन पैदा कर बजाया जाता है तत् वा यंत्र कहलाता है। छत्तीसगढ़ के विशिष्ट एवं मौलिक तत् वाद्य यंत्रों में घनकुल प्रमुख है। इसक अतिरिक्त एकतारा, तंबुरा, चिकारा, ईभिर, रामबाजा रूजू इत्यादि अन्य प्रमुख वाद्य यंत्र जनजातिय क्षेत्रों में प्रचलित है।

2) सुषिर वाद्य यंत्र

ऐसे वाद्ययंत्र जो फूककर बजाए जाते हैं सुषिर वाद्य यंत्र कहलाते हैं। छ.ग. के विशिष्ट एवं मौलिक सुषिर वाद्य यंत्रों में मोहरी प्रमुख है। इसके अतिरिक्त तुरही, तुतक, अलगोजा पोगरी, अकुम, तोड़ी, मुलंड, बीकरकाहाली इत्यादि प्रमुख सुषिर वाद्य यंत्र जनजातिया क्षेत्र में प्रचलित हैं।

3) अवनध वाद्य यंत्र

हाथ या डंडो से पीटकर बजाए जाने वाली वाद्य यंत्र को अवनध वाद्य यंत्र कहा जाता है। छग के विशिष्ट एवं मौलिक अवनध वाद्य यंत्र में बिरिया ढोल (मांदर) प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त नगाड़ा तुडबुडी, मांदरी, टिमकी, गुदुम, मृदंग आदि अन्य प्रमुख अवनध वाद्य यंत्र हैं।

4) घन वाद्य यंत्र

धातु या काष्ठ के बने वाद्य यंत्र को घन वाद्य यंत्र कहा जाता है। घन वाद्य यंत्र भी आपस में आघात करने पर ही बजते हैं। झांझ, मंजीरा, करताल, चिटकुल, धुंघक, पिंटोर्का, मुयांग (गोड़ी भाषा में घंटी को मुयांग कहते हैं) इत्यादि प्रमुख घन वाद्य यंत्र है।

इस प्रकार लोक वाद्य यंत्र हमारी जनजातिय संस्कृति के पोषक एवं परिचायक है और ये वाद्य यंत्र स्थानीय स्तर पर बनाए जाते हैं। तीजन बाई के तंबुरा, देवदास बंजारे के मांदर तथा सुरूज बाई खाण्डे के अलगोजा, के माध्यम से लोक वाद्य यंत्रों का यह अनुठा संग्रह न केवल छ.ग. में बल्कि विश्व के कोने-कोने में गुंजायमान । प्रवाहित है।

  1. झांझ

यह मंजीरा का एक बड़ा स्वरूप होता है जिसे मांदर के साथ बजाया जाता है |

  1. नगाड़ा

होली के अवसर पर फाग गीतों के गायन में प्रयुक्त किया जाता है।

  1. बांसुरी

खोखले बांस का बना हुआ वाद्ययंत्र हैं जिसे मुँह द्वारा फूंककर बजाया जाता है ।

  1. गुदुम

इस वाद्ययंत्र में बारहसिंगा का सींग लगा होता है, इसलिये इसे सींग बाजा भी कहते है। यह गंड़वा बाजा साजह का प्रमुख वाद्ययंत्र है।

  1. बीन

सॉप पकड़ने में इस वाद्ययंत्र का प्रयोग सपेरा लोग करते हैं।

  1. ताशा

प्रदेश के मुस्लिम समाज में प्रचलित प्रसिद्ध वाद्ययंत्र है।

  1. अलगोजा

बांस की बनी एक विशेष संरचना होता हैं जो बांसुरी नुमा होता है तथा इसके मुख होते हैं जिसमें एक साथ हवा फूंक कर बजाया जाता है।

  1. दफड़ा / चांग

यह लकड़ी के गोलाकार व्यास में चमड़े से बनाया जाता है जिसे वादक द्वारा कंधे पर लटकाकर बजाया जाता हैं।

 इकतारा

इकतारा अथवा एकतारा भारतीय संगीत का लोकप्रिय वाद्ययंत्र है। जिसका प्रयोग प्रदेश में पंडवानी गीत के समय किया जाता है ।

 टिमटिमी

यह एक लकड़ी के खोल के ऊपर चमड़े का परत बांधकर छोटे आकार का बनाया जाता है। इस वाद्ययंत्र को होली तथा विवाह के अवसर पर देखा जा सकता है।

  1. मोहरी

यह छ.ग. में शहनाई के रूप में प्रचलित है।

  1. ढोलक

तीज, होली तथा अन्य छोटे धार्मिक कार्यो में इसका प्रयोग किया जाता है।

  1. खड़ताल

पंडवानी में प्रयोग होने वाला प्रमुख वाद्ययंत्र है जिसे हाथ के अंगुलियों में फांस कर बजाया जाता है।

  1. मांदर

मांदर का प्रयोग विशेष उरांव जनजाति द्वारा किया जाता है। जो लकड़ी के खोखले भाग में दोनों तरफ बकरा के चमड़े चढ़ाकर बनाया जाता है जिसे मांदर कहते हैं ।

प्रदेश में कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान

उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी

प्रदेश में बागवानी की स्थिति, बागवानी विकास हेतु शासकीय कार्यक्रम

छत्तीसगढ़ में कृषि एवं सम्बन्धित क्षेत्रों में चुनौतियाँ एवं सुझाव.

पशुपालन एवं चिकित्सा

वर्तमान स्थिति, पशु संख्या.

पोषण व स्वरोजगार हेतु प्रदेश में

मत्स्यपालन

स्थिति, शासकीय उपक्रम एवं योजनाएँ.

वन

वन विभाग की भौगोलिक व प्रशासनिक इकाइयाँ, प्रदेश में वनों का वर्गीकरण, प्रदेश में वन सम्पदा, छत्तीसगढ़ राज्य लघुवनोपज संघ, प्रदेश में लघु वनोपज संग्रहण, जनजातियों के जीवन में लघुवनोपज का महत्व, राज्य वन नीति – 2001 (बॉक्स में), वन संरक्षण व विकास में नए आयाम: संयुक्त वन प्रबंधन, वन संरक्षण एवं विकास हेतु योजनाएं / कार्यक्रम, केन्द्र प्रवर्तित योजनाएं, उत्पादन एवं निस्तार, वन्यप्राणी संरक्षण, छत्तीसगढ़ में वनों पर आधारित उद्योगों के विकास की सम्भावनाएं.

खनिज

वर्तमान स्थिति, राज्य खनिज विकास निगम, प्रदेश में पाए जाने वाले प्रमुख खनिज

विद्युत् एवं ऊर्जा

म. प्र. एवं छत्तीसगढ़ के मध्य केन्द्रीय उपक्रमों के विद्युत् का बँटवारा, ताप विद्युत् उत्पादन, निजी क्षेत्र की ताप विद्युत् परियोजनाएँ, जल विद्युत्, छत्तीसगढ़ विद्युत् मण्डल, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत् उत्पादन एवं आपूर्ति की स्थिति, ग्रामीण विद्युतीकरण निगम, राज्य ऊर्जा नीति-2001, प्रदेश में वैकल्पिक एवं अपारम्परिक ऊर्जा का विकास, ऊर्जा विकास निगम, अटल ज्योति योजना, छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेन्सी-क्रेडा’.

कोयला

प्रदेश में कोयला उत्पादन तथा उत्खनन उद्योग का विकास, वर्तमान स्थिति.

उद्योग

प्रदेश में उद्योगों का नियोजित विकास प्रदेश में औद्योगिक विकास की स्थिति और सम्भावनाएँ, प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र, प्रदेश में औद्योगीकरण को प्रोत्साहन, औद्योगिक नीति-2014-19, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2012-2017, सूचना प्रौद्योगिकी का विकास राज्य के निगम (औद्योगिक विकास निगम, लघु उद्योग निगम मर्यादित, राज्य वस्त्र निगम, हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम), प्रदेश में ग्रामोद्योग, हथकरघा उद्योग प्रदेश के प्रमुख उद्योग, प्रदेश में वन आधारित प्रमुख उद्योग.

छत्तीसगढ़ शासन के विभिन्न भवनों के नाम

महानदी भवन                 –         मंत्रालय एवं सचिवालय भवन का नाम, रायपुर

इन्द्रावती भवन                –         संचालक भवन का नाम, रायपुर

मिनीमाता भवन              –         विधानसभा भवन का नाम, रायपुर

करूणा                           –         मुख्यमंत्री निवास, रायपुर

संगवारी                           –         विधायकों का विश्राम गृह, रायपुर

पहुना                               –         राज्य शासन का विश्राम गृह, रायपुर

संजीवनी                          –         राज्य चिकित्सालय, रायपुर

संवेदना                            –        विधानसभा के अध्यक्ष का निवास, रायपुर

सोनाखान                        –         खनिज भवन, रायपुर

मितानीन                         –         जिला पंचायत, रायपुर

रामगिरी                          –         पी.एच.ई. मुख्य अभियंता कार्यालय, रायपुर

रेणुका                              –         निगम प्रवेश द्वार, रायपुर

अरण्य भवन                    –         वन विभाग, रायपुर

सिहावा                            –         जल संसाधन प्रमुख अभियंता, रायपुर

पुरखौती मुक्तांगन          –         छ.ग. संस्कृति कला पुरातत्वों का संरक्षण संवर्धन, उपरवारा ( रायपुर )

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