HomeBlogभाग – 1 विभिन्न अधिनियम 

भाग – 1 विभिन्न अधिनियम 

सामाजिक विधान का अर्थ समझाइए l Explain the meaning of social legislation.

उत्तर :

सामाजिक विधान का सम्बन्ध व्यक्ति एवं समूह के कल्याण की वृद्धि तथा सामाजिक क्रिया-कलापों के प्रभावपूर्ण एवं निर्बाध रूप से संचालन से है। इन विधानों का निर्माण इस प्रकार किया जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अपेक्षित साधन एवं उपयुक्त अवसर प्राप्त हो सकें तथा सामाजिक व्यवस्था के सुचारू रूप से चलने के लिए अपेक्षित विभिन्न प्रकार्य उचित रूप से संपादित किये जा सकें। सामाजिक विधान नयी स्थितियों के लिए वैधानिक संरचना का निर्माण करता है तथा इच्छित दिषा में सामाजिक संरचना में परिवर्तन किये जाने के अवसर प्रदान करता है। यह राष्ट्र के वर्तमान सामाजिक एवं आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति करता है और आने वाली सामाजिक समस्याओं का कुशलता से समाधान करता है।

  1. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम , 1986 के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए l

उत्तर :

  • पर्यावरण का संरक्षण एवं सुधार करना
  • मानव पर्यावरण के स्टॉकहोम सम्मेलन के नियमों को कार्यान्वित करना
  • मानव, प्राणियों, जीवों, पादपों को संकट से बचाना
  • पर्यावरण संरक्षण हेतु सामान्य एवं व्यापक विधि निर्मित करना
  • विद्यमान कानूनों के अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण प्रधिकरणों का गठन करना तथा उनके क्रियाकलापों के बीच समन्वय करना
  1. उपभोक्तावाद क्या है ?

उत्तर :

एक उपभोक्ता होने के नाते आप समय-समय पर वस्तुओं एवं सेवाओं का उपभोग अवश्य करते होंगे। आप को किसी न किसी आपूर्तिकर्ता द्वारा शोषण का अनुभव भी हुआ होगा। किसी भी उपभोक्ता के लिए इस प्रकार के शोषण को अकेले रोकना भी कठिन है। यदि उपभोक्ता चौकन्ने हो जाएं एवं इस प्रकार के गलत कार्यों के विरूद्ध मिलकर सामना करें तो इस प्रकार के शोषण को कम किया जा सकता है। अपनी रक्षा में स्वयं उपभोक्ताओं द्वारा किया गया प्रयत्न उपभोक्तावाद कहलाता है।

उपभोक्तावाद से अभिप्राय उपभोक्ताओं के आंदोलन से है जिसका उद्देश्य निर्माता, व्यापारी, विक्रेता एवं सेवा प्रदान करने वालों के उपभोक्ताओं के प्रति उचित एवं ईमानदारीपूर्ण (नैतिक) व्यवहार को सुनिश्चित करना है। यह आंदोलन बाजार में व्याप्त दुराचार के संबंध में उपभोक्ता में जागरूकता पैदा करने एवं उनके हितों की रक्षा के लिए मार्ग खोजने की दिशा में किसी उपभोक्ता आंदोलनकारी अथवा उपभोक्ता समितियों का प्रयत्न माना जा सकता है।

  1. अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण ) अधिनियम 1989 के तहत किस प्रकार के अपराध दण्डित किये गए हैं ?

Which types of crimes have been penalized under the Scheduled Castes and Scheduled Tribes (Prevention of Atrocities) Act, 1989?

उत्तर :

  • कुछ ऐसे अपराध जो भारतीय दंड संहिता में शामिल हैं, उनके लिए इस कानून में अधिक सज़ा निर्धारित की गयी है ।
  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के विरुद्ध होने वाले क्रूर और अपमानजनक अपराध, जैसे उन्हें जबरन अखाद्य पदार्थ (मल, मूत्र इत्यादि) खिलाना या उनका सामाजिक बहिष्कार करना, को इस क़ानून के तहत अपराध माना गया है I इस अधिनियम में ऐसे २० से अधिक कृत्य अपराध की श्रेणी में शामिल किए गए हैं ।

 

  1. घरेलू हिंसा से आप क्या समझते हैं ?

What do you understand by  domestic violence?

उत्तर :

घरेलू हिंसा (धारा 3)

(क) ऐसा कोई कार्य या लोप या आचरण, जो स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, अंग की अपहानि करता है या कोई क्षति कारित करता है, जिसके अंतर्गत व्यथित महिला का शारीरिक दुरूपयोग, लैंगिक दुरूपयोग, मौखिक, भावनात्मक दुरूपयोग और आर्थिक दुरूपयोग भी है।

(ख) दहेज या किसी अन्य मूल्यवान संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति के लिए किसी अन्य अविधिपूर्ण मांग की पूर्ति के लिए प्रपीड़ित करने की दृष्टि से कोई उत्पीड़न, अपहानि या क्षति।

(ग) महिलाओं या उसके नातेदार किसी अन्य व्यक्ति को क्षति या अपहानि कारित करने की धमकी।

(घ) व्यथित व्यक्ति को क्षति पहुंचाना या अपहानि, चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक, कारित करना।

 

  1. छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित “सुपोषण अभियान” के बारे में बताइये l

उत्तर:

  • 2 अक्टूबर, 2019 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री सुपोषण योजना सहित 5 योजनाओं का शुभारंभ किया।
  • शुरू की गई अन्य योजनाओं में मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना, मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना, सार्वभौम पीडीएस और मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय योजना शामिल है।
  • मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत पंचायतों एवं महिला सहायता समूहों के माध्यम से कुपोषित बच्चों और एनीमिया से पीड़ित महिलाओं को प्रतिदिन गर्म और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।
  • इस अभियान के तहत अगले तीन वर्ष में प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने की रणनीति तैयार की गई है।
  • इस रणनीति के तहत 0-5 वर्ष की आयु के कुपोषित बच्चों एवं 15-49 वर्ष की आयु वर्ग की कुपोषण और एनीमिया से पीड़ित महिलाओं को पंचायतों एवं महिला समूहों के माध्यम से पौष्टिक गर्म भोजन उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • यह योजना महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित है।
  • उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिवार सर्वे के अनुसार मौजूदा समय में राज्य में 5 वर्ष से कम आयु के 35.6 प्रतिशत बच्चे कुपोषित और 15-49 वर्ष आयु की 41.5 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं।
  • सार्वभौम पीडीएस योजना राज्य के सभी परिवारों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने हेतु शुरू किया गया है।
  • इसके तहत राज्य सरकार राशनकार्डों में खाद्यान्न पात्रता में वृद्धि करेगी और बीपीएल के साथ-साथ एपीएल परिवारों को भी खाद्यान्न प्रदान करेगी।
  • पहले चरण में 13 नगर निगमों में नागरिक सेवाओं की तत्काल उपलब्धता और लोगों को उनकी मांगों के अनुरूप सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय खोले गए हैं।
  • छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 2 अक्टूबर, 2019 को मुंगेली जिले के 150 गांवों को टी.बी. मुक्त गांव घोषित किया गया।
  • इस जिले के शेष 489 गांवों को जिला स्तर पर संचालित अक्षय मुंगेली कार्यक्रम के तहत वर्ष 2023 तक शत-प्रतिशत टी.बी. से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है।

 

  1. छत्तीसगढ़ सरकार द्वरा संचालित “चिराग” योजना के मुख्य उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये l

उत्तर :

इस योजना की शुरुआत छत्तीसगढ़ राज्य के कृषि विभाग द्वारा जनवरी 2018 में शुरू किया गया l

उद्देश्य : पचास हजार युवाओं को इस योजना से जोड़कर उन्हें खेती-किसानी से सम्बंधित कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण देना तथा इस योजना के तहत 2022 तक किसानों की आय को दुगुनी करने के लिए नदियों को आपस में जोड़ने के लिए रिवर लिंकिंग प्रोजेक्ट बनाई है l

इस योजना के लिए १५ सौ करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया गया l इसके लिए विश्व बैंक की सहायता ली जा रही है l इसके आलावा राज्य के 4 लाख किसान परिवारों को जोड़ने तथा उनका उत्पादन समूह बनाने की योजना है l राज्य में इस योजना के तहत 6 हजार कृषि उद्यमों की स्थापना की जायेगी l

 

  1. “हाट बाजार चलित अस्पताल” के बारे में आप क्या जानते हैं ?

उत्तर :

  • यह अस्पताल छत्तीसगढ़ वनांचल के आदिवासी क्षेत्रों  के हॉट- बाजारों में पहुंचता है और वहां आने वाले लोगों की जांच और दवा आदि देता है।
  • इसी वर्ष जून में बस्तर और दंतेवाड़ा जिले से इसकी शुरुआत की गई है।
  • इस प्रयोग के परिणाम अत्यंत उत्साहवर्धक रहे। इसे देखते हुए सरकार अब राज्य के सभी दुर्गम क्षेत्रों के सभी हाट-बाजारों में दो अक्टूबर से इलाज की सुविधा प्रारंभ करने जा रही है।
  • ज्ञात हो कि  छत्तीसगढ़ में कुपोषण की दर 37.7 फीसद है, लेकिन वनांचल के आदिवासी क्षेत्रों में यह आंकड़ा सीधे 44 फीसद के पार पहुंच जाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि वहां के लोगों से स्वास्थ्य सुविधाएं मिलों दूर हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण गर्भवती महिलाओं और शिशुओं की भी समय पर जांच नहीं हो पाती है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने वहां के लिए मोबाइल अस्पताल की सुविधा शुरू की है।

 

  1. छत्तीसगढ़ सरकार की “पौनी पसारी योजना” के बारे में आप क्या जानते हैं ?

उत्तर :

  • छत्तीसगढ़ सरकार ने परंपरागत व्यवसाय को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए ‘पौनी पसारी’ योजना प्रारंभ किया गया है l
  • इस योजना के तहत नगरीय निकायों के बाजारों में जगह उपलब्ध कराए जाने के साथ ही व्यवसाय की सुविधा मुहैया कराई जाएगी। इस योजना से लगभग 12 हजार लोगों को रोजगार मिल सकेगा।
  • इस योजना के जरिए सभी 168 नगरीय निकायों में जनसामान्य और युवाओं को आजीविका के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • इस योजना के तहत लोहारी, कुम्हारी, कोष्टा, बंसोड़ आदि का परंपरागत व्यवसाय करने के लिए नगरीय निकाय क्षेत्रों में चबूतरा एवं शेड निर्माण कराया जाएगा, और इन स्थानों को संबंधित लोगों को अस्थायी रूप से किराये पर उपलब कराया जाएगा और उन्हें व्यवसाय करने की सुविधा दी जाएगी।
  • इस योजना में महिलाओं को बराबर की हिस्सेदारी दी जाएगी। कुल 50 प्रतिशत स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे।
  •  इस योजना से 12 हजार से ज्यादा परिवारों को रोजगार के अवसर मिल सकेंगे और आगामी दो साल में 73 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च की जाएगी।

                                        भाग – 2

                                अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध 

 

  1. ब्रिक्स देशों के नाम बताते हुए विश्व जीडीपी में उनके योगदान को बताइये l

उत्तर :

ब्रिक्स :

ब्रिक्स (BRICS – Brazil, Russia, India, China & South Africa) तेज़ी से उभरती हुई विश्व की पांच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का समूह है, आरम्भ में इसमें ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन शामिल थे। 2010 में इस समूह में दक्षिण अफ्रीका को शामिल किया गया। 2018 में ब्रिक्स देशों का सकल घरेलु उत्पाद (GDP)18.6 ट्रिलियन डॉलर है, जो कि विश्व जीडीपी का 23.2% है।

 

ब्रिक्स बिज़नेस कौंसिल : 

ब्रिक्स बिज़नेस कौंसिल ने अगले शिखर सम्मेलन तक ब्रिक्स देशों के बीच 500 अरब डॉलर के व्यापार के लक्ष्य को हासिल करने के लिए रोडमैप तैयार किया गया। इस लक्ष्य की प्राप्त के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक तथा ब्रिक्स बिज़नेस काउंसिल के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किये गये।

 

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 11वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया तथा ब्रिक्स देशों के बिज़नेस लीडर्स को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया।
  • ब्रिक्स देशों ने आपसी भुगतान के लिए एक साझा क्रिप्टोकरेंसी के निर्माण पर चर्चा की। इस दौरान अमेरिकी डॉलर में भुगतान की हिस्सेदारी कम करने पर चर्चा की गयी।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में प्रथम ब्रिक्स जल मंत्रियों की बैठक का प्रस्ताव रखा।
  • भारत ब्रिक्स डिजिटल स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन का आयोजन करेगा। इस शिखर सम्मेलन में स्वस्थ जीवनचर्या के लिए नवोन्मेषी समाधानों पर फोकस किया जायेगा।
  • भारत ब्रिक्स युवा शिखर सम्मेलन का आयोजन भी करेगा, इसमें स्टार्टअप्स, हैकाथन तथा गेम्स पर फोकस किया जायेगा।

 

  1. कॉन्फ्रेंस ऑफ़ पार्टीज़ (COP) क्या है?

उत्तर :

  • यह UNFCCC सम्मेलन का सर्वोच्च निकाय है।
  • इसके तहत विभिन्न प्रतिनिधियों को सम्मेलन में शामिल किया गया है।
  • यह हर साल अपने सत्र आयोजित करता है।
  • COP, सम्मेलन के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक निर्णय लेता है और नियमित रूप से इन प्रावधानों के कार्यान्वयन की समीक्षा करता है।

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क (United Nations Framework Convention on Climate Change- UNFCCC) के अंतर्गत शीर्ष निकाय कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP) के 25वें सत्र का आयोजन 2-13 दिसंबर, 2019 तक स्पेन की राजधानी मैड्रिड (Madrid) में किया गया।

  • स्पेन में आयोजित इस सम्मेलन की अध्यक्षता चिली सरकार द्वारा की गई क्योंकि चिली ने देश में आंतरिक कारणों के चलते विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए इस सम्मेलन के आयोजन में असमर्थता जताई थी।
  • यह जलवायु वार्ता जलवायु परिवर्तन के एजेंडे में शामिल महत्त्वपूर्ण मुद्दों के बारे में बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गई।

 

  1. शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के नाम बताइए l

Name the member states of the SCO.

उत्तर :

शंघाई सहयोग संगठन एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसका गठन वर्ष 2001 में हुआ था। वर्तमान में रूस, चीन, कज़ाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान इस संगठन के पूर्ण सदस्य है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान, ईरान व मंगोलिया इस संगठन में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हैं। एस.सी.ओ. एक राजनीतिक, आर्थिक एवं सैन्य संगठन है, जिसका मुख्य कार्य मध्य एशिया में स्थिरता को मजबूत करना है। साथ ही, यह संगठन आपदा की स्थिति में सदस्य देशों में सूचनाओं का आदान-प्रदान करने, नागरिक सुविधाओं में एक-दूसरे की मदद करने तथा वित्तीय, आर्थिक व सामरिक सहायता प्रदान करने के लिये भी प्रतिबद्ध है। हाल ही में रूस और चीन दोनों देशों ने भारत के इस संगठन में ‘पूर्ण सदस्य’ के रूप में प्रवेश के लिये सहमति दी है। इसीलिये इस बात की पूर्ण संभावना है कि जल्द ही भारत एस.सी.ओ. का पूर्ण सदस्य होगा। चीन ने पाकिस्तान की इस संगठन में पूर्ण सदस्यता की पैरवी भी की है।

 

  1. गोल्डन बूटपुरस्कार से आप क्या समझते हैं ?

What do you understand by the “golden boot” award?

उत्तर :

गोल्डन बूट या गोल्डन शूज अवॉर्ड उस खिलाड़ी को दिया जाता है, जिसने फीफा विश्व कप में सर्वाधिक गोल किए हो। इस अवॉर्ड की शुरुआत 1982 में हुई, तब इसका नाम गोल्डन शू था। फिर 2010 में इसे बदलकर गोल्डन बूट किया गया। 1994 में यह भी निर्णय लिया गया कि अगर दो खिलाड़ियों के गोल की संख्या समान हो तो फिर यह देखा जाएगा कि ज्यादा असिस्ट किस खिलाड़ी ने किए। फीफा की तकनीकी समिति इस पर गौर करते हुए अपना फैसला सुनाती है और विजेता का चयन किया जाता है।

 

  1. राष्ट्रमंडल देशों से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर :

  • राष्ट्रमंडल उन देशों का समूह है जो किसी न किसी रूप में कभी ब्रिटेन से जुड़े रहे हैं l  इन देशों पर औपनिवेशिक काल के दौरान ब्रितानी शासन था और बाद में ये देश स्वतंत्र हो गए l
  • राष्ट्रमंडल के सभी 53 सदस्यों ने लोकतंत्र, लैंगिक समानता, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं l

राष्ट्रमंडल के देश :

अफ्रीका: बोत्सवाना, कैमरून, घाना, कीनिया, लेसोथो, मलावी, मॉरिशस, मोज़ाम्बिक, नामीबिया, नाइजीरिया, रवांडा, सेशेल्स, सियरा लियोन, दक्षिण अफ्रीका, स्वाज़ीलैंड, तंज़ानिया, द गांबिया, युगांडा और ज़ाम्बिया.

अमरीकी देश: बेलिज़, बरमूडा, कनाडा, फॉकलैंड द्वीप समूह, गुया ना और सेंट हेलेना.

एशिया: बांग्लादेश, ब्रुनेई दारुस्सलम, भारत, मलेशिया, मालदीव, पाकिस्तान, सिंगापुर और श्रीलंका.

कैरेबियाई देश: एंगुइला, एंटिगुआ और बरबुडा, बहमास, बारबाडोस, ब्रितानी वर्जिन द्वीप समूह, केमेन द्वीप समूह, डोमिनिका, ग्रेनेडा, जमैका, मोंसेरात, सेंट किट्स एंड नेविस, सेंट लुसिया, सेंट विंसेट, त्रिनिदाद एंड टोबैगो और टर्क्स एंड कैकॉस द्वीप

यूरोप: साइप्रस, इंग्लैंड, जिब्राल्टर, गुएर्नसे, आइल ऑफ मैन, जर्सी, माल्टा, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स.

ओशीनिया: ऑस्ट्रेलिया, कुक द्वीप समूह, किरिबाती, नौरू, न्यूज़ीलैंड, नियू, नॉरफॉक आइलैंड, पापुआ न्यू गिनी, समोआ, सोलोमॉन द्वीप समूह, टोंगा, टुवालू और वैनुआतु

 

  1. अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष के स्थापना एवं उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए l

Mention the establishment and objectives of the International Agricultural Development Fund (IADF) .

उत्तर :

इस संगठन की स्थापना दिसंबर , 1977 को किया गया l इसका मुख्यालय रोम (इटली) में है l इस संगठन का उद्देश्य विकासशील देशों में निम्न वर्गों को उन्नत खाद उत्पादन तथा पोषाहार के साधन जुटाने में मदद करना है l

 

  1. हॉकी इंडिया के बारे में बताइए l

Mention  about Hockey India.

उत्तर :

  • इसकी स्थापना 20 मई 2009 को हुई थी।
  • यह भारत में हॉकी के संचालन हेतु अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ और भारत सरकार से मान्यता प्राप्त बनाई गयी संस्था है।
  • भारतीय हॉकी महासंघ को अप्रैल 2008 में भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण भंग कर दिया गया था इसके बाद भारतीय हॉकी के संचालन का कार्य हॉकी इंडिया ने किया।

 

                                        भाग – 3

                                    छ. ग. की कला 

 

  1. रायगढ़ीक्या है ?

What is “Raigadhi”?

उत्तर :

  • जनजातियों के प्रसिद्द शक्तिपीठ माई दंतेश्वरी मंदिर में प्रातः व संध्या के पूजा अवसरों पर एक अनूठा दो-मुखी वितत वाद्य बजाया जाता है , जिसे “रायगढ़ी” कहते हैं l
  • “रायगढ़ी” पीतल से निर्मित डमरू के आकार प्रकार का वाद्य है , जो बेत के दो छोटे छोटे डंडों के आघात से बजता है l
  • “रायगढ़ी” डमरू के दोनों मुखों पर बकरे का चमड़ा मढ़ा होता है l

 

  1. सुषिर वाद्ययंत्रों की प्रमुख विशेषता का उल्लेख कीजिए l कुछ प्रमुख सुषिर वाद्ययंत्रों के नाम बताइए l

Mention the main feature of Sushir musical instruments. Name some prominent Sushir instruments.

उत्तर :

  • ये वाद्ययंत्र फूंककर बजाये जाते हैं l
  • तोड़ी , अकुम, सुलुड व बाउंसी आदि l

 

  1. . छत्तीसगढ़ की बांस शिल्प को समझाइए l

Explain the Bamboo Craft of Chhattisgarh.

उत्तर :

  • बस्तर, रायगढ़, सरगुजा में बांस शिल्प के अनेक परंपरागत  कलाकार है।
  • विशेष रूप से बस्तर जिले की जनजातियों में बांस की बनी  कलात्मक चीजों का स्वयं अपने हाथों से निर्माण करते हैं।
  • कमार जनजाति बांस के कार्यों के लिए विशेष प्रसिद्ध हैं
  • बांस कला केन्द्र -बस्तर में है।

 

  1. राजा कमलनारायण सिंह कला के क्षेत्र में क्यों प्रसिद्द हैं ?

उत्तर :

खैरागढ़ नरेश  कमलनारायण सिंह अच्छे कवि तो थे ही , संगीत में भी निपुण थे l सन 1890 में वे राजगद्दी पर बैठे l वे गायन तथा वादन दोनों में ही दक्ष थे l पखावज बजाने में वे बेजोड़ थे l उनके दरबार में संगीतज्ञों का आगमन होता था l  “कमल प्रकाश रागमाला” उनका प्रकाशित ग्रन्थ है l

 

  1. “आठे कन्हैया” के बारे में बताइये l

उत्तर :

भादो मास के आठे को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व छत्तीसगढ़ अंचल में काफी धूमधाम से मनाया जाता है l इसे यहाँ आठे कन्हैया कहा जाता है l इस दिन उपवास रखकर घर की बालाएं या महिलाएं किसी दीवार पर खास रसोई घर के पास वाले कमरे की दीवार पर आठ पुतले वाला चित्र बनाते हैं l इसे शाम को बनाया जाता है l इसी की पूजा की जाती है l इसमें बनाये गए आठ पुतले कृष्ण के पहले जन्म लिए शिशुओं का है , जिसे कंस ने काल-कवलित कर दिया था l इसे बनाते समय कृष्ण की लीलाओं व उनसे सम्बंधित अन्य कई प्रसंगों को चित्रित करने का प्रयास किया जाता है l

 

  1. सवनाहीसे आपका क्या तात्पर्य है ?

What do you mean by “Savanahi”?

उत्तर :

  • छत्तीसगढ़ की महिलायें श्रावण मास की हरेली अमावस्या को घर के मुख्य द्वार पर गोबर से सवनाही का अंकन करती है।
  • इसमें चार अंगुलियों से घर के चारों ओर मोटी रेखा से घेरा जाता है और मानव, पशुओं तथा शेर के शिकार का चित्रांकन किया जाता है।
  •  हरेली के अवसर पर जादू टोने की मान्यता को ध्यान में रखते हुए उससे बचाव के लिये ये अंकन किया जाता है।
  1. “थापती नृत्य” के बारे में बताइये l

उत्तर :

 यह कोरकू जनजाति का प्रमुख नृत्य है l  “थापती नृत्य” का आयोजन वैशाख के माह में होता है l इस नृत्य के मुख वाद्य ढोलक व बांसुरी है l “थापती नृत्य” में स्त्री – पुरुष दोनों भाग लेते हैं l पुरुष हाथ में पंचा और महिला महिला नर्तक दोनों हाथ में चिट्कोरा बजाते हुए नृत्य करती हैं l

 

  1. छत्तीसगढ़ी में कोई एक मुहावरा और उसका अर्थ लिखिए l

उत्तर :

  1. कनिहा ढील होना – कमजोर होना। वाक्य में प्रयोग- बुता करत-करत राजू के कनिहा ढील होंगे।

 

  1. चित ले उतरना- मन से उतर जाना।

 

  1. तिड़ी-बिड़ी होना-नष्ट होना।

वाक्य- पैसा पाये के चक्कर म सब तिड़ी-बिड़ी होगे लागथे।

 

  1. जिउ देना – प्राणप्रिय होना।

वाक्य – एक झन खातिर बर सबो झन जिउ देबर तैयार होगे।

 

  1. पानी ढील होना – ड़र जाना।

वाक्य – गुण्डा मन ल आत देख मोहन के पानी ढील होगे।

 

  1. डांड़ देना – जुर्माना देना।

वाक्य – भगतु ल खेत ल बोए हस कके सियनहा मन हा डांड़ दिस।

 

  1. डेहरी खूंदना – किसी के घर जाना।

वाक्य – झगरा होए के बाद बुधारू ह दिनेश के घर के डेहरी ल नई खुन्दीश।

 

  1. दाँत निपोरना – लज्जित होना।

वाक्य – स्कूल मे डांस ल देख के राकेश दाँत निपोरने लगा था।

 

  1. छाती फटना – अत्यंत ईर्ष्या करना।

वाक्य – सोनू ल देख मोनू के छाती फाटन लागीश।

 

  1. छानी में होरा भुंजना – अत्याचार करना।

वाक्य – रामु ह महेश के छानी में होरा भुज दिस।

 

  1. चाउर छीचना – जादू करना।

वाक्य- मंगलू ह ऐसे चाउर छिचिस की सबो झन मोहा गे।

 

  1. छुछुवा के रहना – निराश होना।

वाक्य – मोहन ह गाव चल दिस त सोहन ह छुछुवात ले रगे।

 

  1. तीन पांच करना – उठा-पटक करना,फरेब करना।

वाक्य – लोन ले के खातीर जोसिला हा बैंक वाला मन संग तीन पांच करन लागिस।

 

  1. जुच्छा हाथ होना – विधवा होना।

वाक्य – जोवाना के पती ह मर गे त वो ह झुच्छा हाथ होंगे।

 

  1. नाउ राऊत बन्द करना – सामाजिक बहिष्कार करना।

 

वाक्य – साहनु के टुरी ह टुरा ल धर के भाग गे जेकर कारन वोकर नाउ-राऊत ल बन्द कर दे गीस।

 

  1. अंगना खंचवा करना – अधिक खशामद करना।

वाक्य – मोना ल मनात-मनात अंगना खचवा होंगे लेकिन वो ह नई मानिस त काय कारों।

 

  1. अरई लगाना – हाथ धोकर पीछे पड़ना।

वाक्य – मोहन ह सोहन के पाछु म अरई लयाए बागीर घूमत रथे ऐसे लागथे।

 

  1. आंसू ढ़राना – रोने का अभिनय करना।

वाक्य – गोलू ल आत देखिस तहान मोनिका ह आँशु ढ़ारे लागीश त मे ह समझ गेव की कुछु गड़बड़ हाबे क के।

 

  1. आगी में मूतना – अन्याय करना।

वाक्य – श्याम ह बने कहिस की उपई टुरा-टुरी मन सदा आगी मे मुतथे।

 

  1. गोड़ किटकना – किसी के द्वारा याद करना।

वाक्य – सीता ह राम बर गोड़ किटकत र गे लेकिन वो ल नई पाइस।

 

  1. लोटा धरना – भिखारी बनना।

वाक्य – प्रमोद के एक दिन ऐसे आईस की ओला लोटा धरे ल पड़ गे।

 

  1. अंगठी चावाना – आश्चर्य मे पड़ना।

वाक्य – ताजमहल ल देख के बाद मनोहर कका ह अंगठी चबा डारिस।

 

  1. अंगरी देखाना – धमकाना।

वाक्य – राम ह श्याम ल कहत हाबे की तै मोला अंगरी मत देखा मैं जानत हवव तोरो बारे म।

 

  1. आँखी चढ़ाना – आँख से गुस्सा देखाना।

वाक्य – मोला देखत ही मन्नू ह आँखी चढ़ा लिस।

 

  1. कहे मा आना – बहकावे में आना।

वाक्य – अबड़ अकन चांदी के दाम ल सुन के रामबती ह कहे में आ गे ,और सबो रुपया ल दे दिस।

 

  1. गंगा जल उचाना – कसम खाना।

वाक्य – वोकर कहे म तहुं ह गंगा चल उठा देस।

 

  1. गडई करना – चापलूसी करना।

वाक्य – झंग्लू ह मंग्लू के गडई करत-करत नई थकिस।

 

  1. घांठा परना – आदी होना।

वाक्य – जानु जानु क के रेशमा के घांटा पर गे।

वाक्य – चोर मन ह सोहन के छाती मे चड़ के मार ड़ालिस।

 

  1. जान के जंजाल होना – एकदम दुखी होना।

वाक्य – पानी के कमी के कारण जान के जंजाल हो गे।

 

  1. धकर-धकर होना – एकदम कमजोर होना।

वाक्य – स्वाइन फ्लू के कारण मोरो गी ह धकर-धकर करे बर धरत है।

 

  1. धारे धारे बोहाना – विनाश होना।

वाक्य – वो ह धारे-धार बोहागे

 

  1. बघनिन के दूध – बहुत कठिन कार्य करना।

वाक्य – रामु ह बाघिन के दुध्द पी ड़ारे हाबे

 

  1. बादर छूना – असम्भव कार्य करना।

वाक्य – इसरो वाला मन चाँद मे खोज करके बादर ल छु डारिस।

 

वाक्य- एक दिन ऐसे रिहिस की वो मोला रोज शुरता करे लेकिन अब लागथे की वो मोला चित से उतार दिस।

 

खंड – 2

          ( उत्तर की शब्द सीमा – 60 शब्द , अधिकतम अंक – 04 )

 

भाग – 1

                                विभिन्न अधिनियम 

 

  1. मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए l

उत्तर :

  • छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने राज्य के बेरोजगार युवाओं के लिए मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना शुरू की है।
  • इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा राज्य के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करने के लिए ऋण प्रदान किया जाएगा जिसकी सहायता से वह अपना रोजगार शुरू कर सकेंगे।
  • इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा लगभग 25 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया जाएगा।
  • इस योजना के अंतर्गत जो लोग सेवा कारोबार शुरू करना चाहते है उन्हें 10 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया जाएगा वहीँ जो लोगो लघु व्यवसाय शुरू करना चाहते है उन्हें 2 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया जाएगा।

 

योजना के लिए पात्रता :

  • आवेदक छत्तीसगढ़ का निवासी हो।
  • आवेदन के लिए आवेदक की आयु 18 से 35 वर्ष की होनी चाहिए।
  • आवेदक कम से कम 8 वीं पास हो।
  • आवेदक द्वारा केंद्र या राज्य सरकार की किसी अन्य योजना का लाभ न उठाया हो।
  • आवेदक की कुल वार्षिक आय 3 लाख रु से अधिक नहीं होनी चाहिए।

 

  1. छत्तीसगढ़ मुफ्त भोजन योजना,2019 पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए l

उत्तर :

 

  • योजना के तहत राज्य सरकार प्रदेश में वह लोग जो कुपोषण और एनीमिया (Free Food Scheme to Combat Malnutrition, Anaemia) से पीड़ित हैं उनको मुफ्त में पौष्टिक भोजन (1Free Nutritious food Scheme) उपलब्ध कराएगी।
  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने  इस सरकारी योजना की घोषणा स्वदेशी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर की तथा गाँधी जयंती के अवसर पर इस योजना को लॉन्च किया गया l
  • हालाँकि राज्य में फ्री फूड स्कीम 2019 के तहत अभियान (Free Nutritious Food Campaign Chhattisgarh) जुलाई 2019 को बस्तर क्षेत्र से पायलट परियोजना के रूप में शुरू किया गया था। जिसे अब पूरे राज्य में शुरू करने की योजना सरकार ने बनाई है।
  • प्रदेश की सरकार ने अगले 3 साल में छत्तीसगढ़ को पूरी तरह से कुपोषण और एनीमिया मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है।
  • ज्ञात हो कि नीति अयोग द्वारा जारी आंकड़ों में कहा गया है कि अकेले छत्तीसगढ़ में 5 वर्ष से कम आयु के 37.60 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं और 41.50 प्रतिशत महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित हैं।
  • इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए धनराशि जिला खनिज निधि (District mineral funds – DMF), सीएसआर फंड से मुहैया कराई जाएगी और संबंधित पंचायतों को दी जाएगी जिससे लोगों को अच्छा पौष्टिक भोजन मिल सके।

 

 

  1. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में साइबर आतंकवाद के लिए दंड के सम्बन्ध में क्या प्रावधान हैं ?

उत्तर :

धारा 66-एफ : साइबर आतंकवाद के लिए दंड का प्रावधान

1 .यदि कोई-

  • भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा या संप्रभुता को भंग करने या इसके निवासियों को आतंकित करने के लिए-

क)  किसी अधिकृत व्यक्ति को कंप्यूटर के इस्तेमाल से रोकता है या रोकने का कारण बनता है।

ख) बिना अधिकार के या अपने अधिकार का अतिक्रमण कर जबरन किसी कंप्यूटर के इस्तेमाल की कोशिश करता है।

ग) कंप्यूटर में वायरस जैसी कोई ऐसी चीज डालता है या डालने की कोशिश करता है, जिससे लोगों की जान को खतरा पैदा होने की आशंका हो या संपत्ति के नुक़सान का ख़तरा हो या जीवन के लिए आवश्यक सेवाओं में जानबूझ कर खलल डालने की कोशिश करता हो या धारा 70 के तहत संवेदनशील जानकारियों पर बुरा असर पड़ने की आशंका हो या-

  • अनाधिकार या अधिकारों का अतिक्रमण करते हुए जानबूझ कर किसी कंप्यूटर से ऐसी सूचनाएं हासिल करने में कामयाब होता है, जो देश की सुरक्षा या अन्य देशों के साथ उसके संबंधों के नज़रिए से संवेदनशील हैं या कोई भी गोपनीय सूचना इस इरादे के साथ हासिल करता है, जिससे भारत की सुरक्षा, एकता, अखंडता एवं संप्रभुता, अन्य देशों के साथ इसके संबंध, सार्वजनिक जीवन या नैतिकता पर बुरा असर पड़ता हो या ऐसा होने की आशंका हो, देश की अदालतों की अवमानना अथवा मानहानि होती हो या ऐसा होने की आशंका हो, किसी अपराध को बढ़ावा मिलता हो या इसकी आशंका हो, किसी विदेशी राष्ट्र अथवा व्यक्तियों के समूह अथवा किसी अन्य को ऐसी सूचना से फायदा पहुंचता हो, तो उसे साइबर आतंकवाद का आरोपी माना जा सकता है।

2 . यदि कोई व्यक्ति साइबर आतंकवाद फैलाता है या ऐसा करने की किसी साजिश में शामिल होता है तो उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती है।

2005 में प्रकाशित एडवांस्ड लॉ लेक्सिकॉन के तीसरे संस्करण में साइबरस्पेस शब्द को भी इसी तर्ज पर परिभाषित किया गया है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों में फ्लोटिंग शब्द पर खासा जोर दिया गया है, क्योंकि दुनिया के किसी भी हिस्से से इस तक पहुंच बनाई जा सकती है। लेखक ने आगे इसमें साइबर थेफ्ट (साइबर चोरी) शब्द को ऑनलाइन कंप्यूटर सेवाओं के इस्तेमाल के परिप्रेक्ष्य में परिभाषित किया है। इस शब्दकोश में साइबर कानून  की इस तरह व्याख्या की है, कानून  का वह क्षेत्र, जो कंप्यूटर और इंटरनेट से संबंधित है और उसके दायरे में इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्‌स, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचनाओं तक निर्बाध पहुंच आदि आते हैं।

सूचना तकनीक कानून  में कुछ और चीजों को परिभाषित किया गया है, जो इस प्रकार हैं, कंप्यूटर से तात्पर्य किसी भी ऐसे इलेक्ट्रॉनिक, मैग्नेटिक, ऑप्टिकल या तेज़ गति से डाटा का आदान-प्रदान करने वाले किसी भी ऐसे यंत्र से है, जो विभिन्न तकनीकों की मदद से गणितीय, तार्किक या संग्रहणीय कार्य करने में सक्षम है। इसमें किसी कंप्यूटर तंत्र से जुड़ा या संबंधित हर प्रोग्राम और सॉफ्टवेयर शामिल है।

सूचना तकनीक कानून, 2000 की धारा 1 (2) के अनुसार, उल्लिखित अपवादों को छोड़कर इस कानून  के प्रावधान पूरे देश में प्रभावी हैं। साथ ही उपरोक्त उल्लिखित प्रावधानों के अंतर्गत देश की सीमा से बाहर किए गए किसी अपराध की हालत में भी उक्त प्रावधान प्रभावी होंगे।

  1. राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्य करने वाले संस्थानों के बारे में बताइये l

उत्तर :

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में राष्ट्रीय स्तर पर तीन प्रमुख संस्थान हैं: लोकपाल, केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC), और केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI)। लोकपाल के गठन से पूर्व ही इसकी स्वतंत्रता पर सवाल उठाए जाते रहे हैं और यह भी स्पष्ट नहीं है कि यह अन्य जाँच एजेंसियों के साथ कैसे काम करेगा ताकि सार्वजनिक जीवन को भ्रष्टाचार मुक्त करने का उद्देश्य संतोषजनक तरीके से हासिल किया जा सके। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जिस उद्देश्य के लिये लोकपाल बनाया गया है, उसे बरकरार रखने में CVC और CBI अपनी पूरक भूमिका का निर्वहन किस प्रकार करेंगे।

 

  1. अनुसूचित जाति से क्या अभिप्राय है ?

What does the Scheduled Caste mean?

उत्तर :

संविधान के अनुच्छेद 341 के अनुसार :

राष्ट्रपति , किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में और जहां राज्य है वहां उसके राज्यपाल से परामर्श करने के पश्चात् लोक अधिसूचना द्वारा, उन जातियों, मूलवंशों या जनजातियों, अथवा जातियों, मूलवंशों या जनजातियों के भागों या उनमें के यूथों को विनिर्दिष्ट कर सकेगा, जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिए #यथास्थिति उस राज्य #या संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में अनुसूचित जातियां समझा जाएगा।

 

(2) संसद, विधि द्वारा, किसी जाति, मूलवंश या जनजाति को अथवा जाति, मूलवंश या जनजाति के भाग या उसमें के यूथ को खंड (1) के अधीन निकाली गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अनुसूचित जातियों की सूची में साम्मिलित कर सकेगी या उसमें से अपवर्जित कर सकेगी, किन्तु जैसा ऊपर कहा गया है उसके सिवाय उक्त खंड के अधीन निकाली गई अधिसूचना में किसी पश्चात् वर्ती अधिसूचना द्वारा परिवर्तन नहीं किया जाएगा ।

 

                                        भाग – 2

                                अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध 

 

  1. भारत के लिए आसियान समूह के महत्व को समझाइए l

Explain the importance of the ASEAN group for India.

उत्तर :

    • # भारत आसियान का प्रमुख आर्थिक भागीदार देश है एवं भारत तथा आसियान मिलकर विश्व का एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्र निर्मित करते हैं। भारत अपने निवल व्यापार का लगभग 10% आसियान के साथ करता है।
    • # भारत-आसियान संबंधों का भू-राजनीतिक एवं सामरिक महत्त्व भी है। दक्षिण चीन सागर में नौ-संचालन की स्वतंत्रता बनाए रखने, नशीले पदार्थों की तस्करी, आतंकवाद, साइबर अपराध आदि की रोकथाम तथा चीन की आक्रामक नीति को संतुलित करने के लिये भी भारत के लिये आसियान महत्त्वपूर्ण है।
    • # भारत म्याँमार, वियतनाम एवं, मलेशिया एवं इंडोनेशिया जैसे आसियान देशों के साथ संबंध स्थापित कर अपनी ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकता है चूँकि दक्षिण चीन सागर में तेल और प्राकृतिक गैस के व्यापक भंडार विद्यमान है।

 

  1. अंतर्राष्ट्रीय सौर संगठन के प्रमुख उद्देश्यों को बताइये l

उत्तर :

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के उद्देश्य  :

  1. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का उद्येश्य ऐसे देशों (जो आंशिक तौर पर कर्क रेखा और मकर रेखा के मार्ग में पड़ते है) को एक मंच पर लाना है जो कि स्वच्छ ऊर्जा, टिकाऊ पर्यावरण, स्वच्छ सार्वजनिक परिवहन और स्वच्छ जलवायु का समर्थन करते हों.
  2. इस संगठन का उद्देश्य; सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करना है.
  3. यह संगठन सौर ऊर्जा के विकास और उपयोग में तेज़ी को बढ़ावा देगा ताकि वर्तमान और भावी पीढ़ी को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान की जा सके.
  4. ISA का लक्ष्य 2030 तक 1 ट्रिलियन वाट (1000 गीगावाट) सौर ऊर्जा उत्पादन का है, जिस पर अनुमानतः 1 ट्रिलियन डॉलर का खर्च आयेगा.

ISA के सदस्य देशों में कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच पड़ने वाले लगभग 100 देशों में पूरे साल अच्छी धूप खिली रहती है. यदि ये देश सौर ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ा दें तो न केवल ये अपनी अधिकांश ऊर्जा ज़रूरतें पूरी कर सकेंगे, बल्कि दुनिया के कार्बन उत्सर्जन में भी जबर्दस्त कटौती देखने को मिलेगी.

 

3.संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक परिषद् के बारे में बताइये l

उत्तर :

आर्थिक व सामाजिक परिषद संयुक्त राष्ट्र तथा उसके विशिष्ट अभिकरणों व संस्थाओं द्वारा सम्पन्न किये जाने वाले आर्थिक एवं सामाजिक कार्यों में समन्वय करने वाला सर्वप्रमुख अभिकरण है। चार्टर के अनुच्छेद 55 में संयुक्त राष्ट्र को स्थिरता एवं समृद्धि की ऐसी दशाएं निर्मित करने का निर्देश दिया गया है, जो राष्ट्रों के मध्य मित्रवत तथा शांतिपूर्ण संबंधों के लिए जरूरी हो तथा लोगों के आत्मनिर्णय व समान अधिकारों के सिद्धांत पर टिकी हुई हों। इसके लिए निम्नलिखित बातों को प्रोत्साहन देना आवश्यक है-

  1. उच्च जीवन स्तर, पूर्ण रोजगार तथा आर्थिक व सामाजिक उन्नति और विकास की अवस्थाए।
  2. अंतरराष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक, स्वास्थ्य तथा अन्य संबद्ध समस्याओं का समाधान और अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक व शैक्षिक सहयोग।
  3. लिंग, जाति, धर्म एवं भाषा के आधार पर भेदभाव किये बिना सभी के लिए स्वतंत्रता तथा मानव अधिकारों का अनुपालन तथा उनके प्रति वैश्विक सम्मान।

आर्थिक व सामाजिक परिषद में कुल 54 सदस्य होते हैं, जिनमें से 18 सदस्य (1/3) प्रतिवर्ष महासभा द्वारा निर्वाचित किये जाते हैं। सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष होता है। सदस्यों के निर्वाचन भौगोलिक वितरण पर आधारित एक प्रणाली के माध्यम से किया जाता है। अध्यक्ष का कार्यकाल वार्षिक होता है। अध्यक्ष एवं अन्य सदस्य सेवामुक्ति के तुरंत बाद पुनः चुने जा सकते हैं।

परिषद की बैठक वर्ष में दो बार होती है तथा विशेष सत्रों का आयोजन भी किया जा सकता है। प्रत्येक सदस्य को एक मत देने का अधिकार होता है तथा निर्णय साधारण बहुमत द्वारा किये जाते हैं।

आरम्भिक काल में आर्थिक व सामाजिक परिषद की गतिविधियां युद्धपीड़ित यूरोप, एशिया व इजरायल में राहत एवं पुनर्निर्माण की समस्याओं तक सीमित थीं। किंतु 1950 के दशक के मध्य में इसका ध्यान अफ्रीका, एशिया तथा लैटिन अमेरिका के अल्पविकसित राष्ट्रों की समस्याओं पर केन्द्रित होने लगा।

आर्थिक व सामाजिक परिषद द्वारा महासभा एवं अन्य संयुक्त राष्ट्र अंगों के विचारार्थ प्रस्तुत करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आर्ह्तिक, सामजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक, स्वास्थ्य एवं अन्य सम्बंधित समस्याओं पर अध्ययनों, रिपोर्टों तथा अनुमोदनों की पहल और निर्माण किया जाता है। यह परिषद संयुक्त राष्ट्र के विशेष अभिकरणों के साथ संयुक्त राष्ट्र के साथ उनके सम्बंध को परिभाषित करने के लिए, समझौते सम्पन्न करती है तथा परामर्श एवं सिफारिशों के माध्यम से विशिष्ट अभिकरणों की गतिविधियों में समन्वय स्थापित करती है।

पिछले कुछ वर्षों में परिषद का सम्बंध अधिक दबावकारी समस्याओं, जैसे-विकासशील देशों से विकसित देशों की ओर होने वाला संसाधनों का प्रवाह, तीसरी दुनिया के देशों का बाह्य ऋण, बढती हुई अपराध दरें, व्यापक भुखमरी एवं कुपोषण, महिलाओं का अपर्याप्त आर्थिक समाकलन, एवं अन्य विषैले रसायनिक अवशिष्टों का निपटान तथा बाल अधिकारों का हनन इत्यादि, से रहा है।

आर्थिक व् सामाजिक परिषद् की गगतिविधियाँ 9 कार्यात्मक आयोगों, 5 क्षेत्रीय आयोगों अनेक स्थायी समितियों एवं आयोगों (जैसे-मानव अधिवासन पर आयोग तथा नवीन एवं पुनर्नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के द्वारा विकास हेतु आयोग) द्वारा सम्पन्न की जाती हैं। इसके अतिरिक्त कई विशेषज्ञ निकाय भी विद्यमान हैं, जैसे-विकासात्मक नियोजन हेतु समिति, खतरनाक वस्तुओं के परिवहन पर विशेषज्ञों की समिति तथा तदर्थ समूह इत्यादि। अपने उत्तरदायित्वों के व्यापक क्षेत्र के कारण परिषद अनेक सहायक एवं सम्बद्ध अंगों के साथ एक जटिलतापूर्ण सम्बंध रखती है। आर्थिक व सामाजिक परिषद सदस्य राष्ट्रों के राष्ट्रीय संगठनों तथा गैर-सरकारी स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ परामर्श का आदान-प्रदान भी करती है।

  1. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के बारे में बताइये l

उत्तर :

  • भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI); भारत में क्रिकेट का संचालन और नियमन करता है. BCCI का प्रमुख इसका चेयरमैन होता है जो BCCI का सर्वोच्च पद होता है.
  • भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड माना जाता है और इसका श्रेय श्री जगमोहन डालमिया को जाता है. जगमोहन डालमिया एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने BCCI चेयरमैन का पद तीन बार संभाला था.
  • BCCI का अध्यक्ष BCCI की वार्षिक आम बैठक में चुना जाता है. इस पद को पूरे भारत में जोन-वाइज भरा जाता है. बीसीसीआई अध्यक्ष या चेयरमैन का कार्यकाल अधिकतम तीन वर्षों के लिए होता है. अप्रैल 2016 में, राहुल जौहरी को बीसीसीआई का पहला मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) नियुक्त किया गया था.
  • हाल ही में भारत के पूर्व कप्तान श्री सौरव गांगुली को BCCI के अगले अध्यक्ष के रूप में चुना गया है.

 

                                        भाग – 3

                                    छ. ग. की कला 

 

  1. बस्तर की प्रसिद्धघड्वा-कलाक्या है ?

What is Bastar’s famous “Ghadva- Art” ?

उत्तर :

पीतल कांसा और मोम से बने घड्वा शिल्प अपनी कलात्मक विन्यास में अलौकिक होते हैं l घड्वा शिल्प कला  के अंतर्गत  देवी-देवता,  पशु-पक्षी,  घोड़े ,बैल  की आकृतियां  तथा त्योहारों में उपयोग आने वाले वाद्ययंत्रों तथा अन्य घरेलू उपयोग की वस्तुएं आते हैं l

 

घड्वा कला के  प्रमुख शिल्पकार  कश्यप जाति के लोग अपनी परंपरागत कलात्मक सौंदर्य भाव के लिए ख्यातिलब्ध है l  इनके शिल्प सौंदर्य ने इन कार्यों पर  घड्वा कला के नाम की मोहर  लगाकर इनके कलात्मक जीवन को प्रसिद्ध कर दिया है l

 

 नोट:– बस्तर के मुख्य गढ़वा शिल्पकार= मानिक राम घड्वा,  पदुम, शुख्चंद तथा जयदेव बघेल प्रसिद्ध है l

 

  1. छत्तीसगढ़ की किन्ही दो लोकगीतों का वर्णन कीजिए ?

         Describe any two folklore in Chhattisgarh?

उत्तर :

रीलो गीत = मुड़िया तथा मारिया जनजाति वर्ग समूह  के स्त्री-पुरुषों द्वारा  बारी-बारी  नृत्य मुद्रा में गाया जाने वाला गीत है l

 तारा गीत= छेरछेरा पर्व के अवसर पर  पुष  रात्रि में   नवयुवतियों द्वारा  समूहबद्ध हो कर छेरछेरा पर्व के अवसर पर गाया जाने वाला गीत है l

 

  1. गोंचा पर्व में “तुपकी” के महत्व को बताइए l

Mention the Importance of “Tweak” in Goncha Festival.

उत्तर :

बस्तर में बंदूक को तुपकी कहा जाता है। रथ यात्रा के दौरान बच्चे, युवक-युवतियां रंग-बिरंगी तुपकियां लेकर भगवान जगन्नाथ सलामी देते है। तुपकी से निकलने वाली आवाज पटाखे की तरह होती है, जिससे सारा शहर गूंज उठता है। तुपकी पोले बांस की नली से बनाई जाती है,जिसे ग्रामीण आदिवासी बनाते है। इस तुपकी को तैयार करने के लिए ताड़ के पत्तों, बांस की खपच्ची और रंग-बिरंगी कागज की पन्नियों से सजाया जाता है। बस्तर गोंचा पर्व के लिए नानगूर क्षेत्र के आदिवासियों के जरिए तुपकी बनाने का काम 2 महीने पहले ही शुरू हो जाता है।

 

  1. खम्ब स्वांगको संक्षिप्त में समझाइए l

Explain “Khambswang” in brief.

उत्तर :

कोरकू जनजाति में आयोजित होने वाला यह लोकनाट्य नवरात्री से दीपावली के बाद से प्रारंभ होता है l

इस लोकनाट्य के अतीत में लंकापति रावण के पुत्र मेघनाथ की स्मृति में पूजा प्रसंग के तहत कोरकू ग्राम के मध्य एक मेघनाथ  खंभ स्थापित किया जाता है और इसी के आसपास कोरकू जनजाति के लोग नविन खेलते हैं l विदित हो कि कोरकू जनजाति मेघनाथ को अपना रक्षक मानती है l

 

खंड – 3

          ( उत्तर की शब्द सीमा – 100 शब्द , अधिकतम अंक – 08 )

 

भाग – 1

                                विभिन्न अधिनियम 

 

  1. मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग को कौन से कार्य सौंपे गए हैं ?

उत्तर :

आयोग निम्नलिखित सभी कार्य अथवा इनमे से कोई भी कार्य करेगा :-

  1. स्वयं पहल करके अथवा किसी पीड़ित या उनकी ओर से अन्य व्यक्ति द्वारा दी गई याचिका पर, इन शिकायतों की जांच करेगा –
  • मानव अधिकारों का हनन अथवा दुरूत्साहित करना
  • अथवा लोक सेवक द्वारा इस प्रकार के हनन की रोकथाम में लापरवाही
  1. न्यायालय के समक्ष लंबित मानव अधिकारों के हनन के किसी आरोप से संबंधित किसी कार्यवाही में उस न्यायालय की मंजूरी के साथ हस्तक्षेप करना
  2. राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन किसी जेल अथवा किसी अन्य संस्थान, जहां लोगों को उपचार, सुधार अथवा संरक्षण के उद्देश्य से कैद अथवा बंद रखा जाता है, का वहां के संवासियों के जीवनयापन की दशाओं का अध्ययन करने तथा उनके संबंध में संस्तुतियाँ करने के लिए राज्य सरकार को सूचित करते हुए, दौरा करना।
  3. मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए इसके द्वारा अथवा संविधान के अंतर्गत अथवा कुछ समय के लिए लागू किसी कानून के सुरक्षोपायों की समीक्षा करना
  4. उन तथ्यों की समीक्षा करना, जिसमें आतंकवादी गतिविधियां शामिल हैं जो मानव अधिकारों के उपयोग को रोकती हैं तथा उचित उपचारी उपायों की संस्तुति करना
  5. मानव अधिकारों से संबंधित संधियां एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय दस्तावेजों का अध्ययन करना तथा उनके प्रभावी कार्यान्वयन हेतु संस्तुतियां करना
  6. मानव अधिकारों के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य करना तथा उनको बढ़ावा देना
  7. समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मानव अधिकार शिक्षा का प्रसार करना तथा प्रकाशनों, मीडिया, सेमिनार तथा अन्य उपलब्ध साधनों से इन अधिकारों के संरक्षण हेतु उपलब्ध सुरक्षोपायों की जागरूकता को बढ़ाना
  8. गैर सरकारी संगठनों एवं मानव अधिकार के क्षेत्र में कार्यरत संस्थानों के प्रयास को बढ़ावा देना
  9. मानव अधिकारों के संवर्ध्दन हेतु आवश्यक समझे जाने वाले इसी प्रकार के अन्य कार्य।

 

  1. घरेलू हिंसा के परिप्रेक्ष्य में व्यथित व्यक्ति के अधिकारों की विवेचना कीजिए l

उत्तर :

व्यथित व्यक्ति के अधिकार :

इस अधिनियम को लागू करने की ज़िम्मेदारी जिन अधिकारियों पर है, उनके इस कानून के तहत कुछ कर्तव्य हैं जैसे- जब किसी पुलिस अधिकारी, संरक्षण अधिकारी, सेवा प्रदाता या मजिस्ट्रेट को घरेलू हिंसा की घटना के बारे में पता चलता है, तो उन्हें पीड़ित को निम्न अधिकारों के बारे में सूचित करना है:

पीड़ित इस कानून के तहत किसी भी राहत के लिए आवेदन कर सकती है जैसे कि – संरक्षण आदेश,आर्थिक राहत,बच्चों के अस्थाई संरक्षण (कस्टडी) का आदेश,निवास आदेश या मुआवजे का आदेश

  • पीड़ित आधिकारिक सेवा प्रदाताओं की सहायता ले सकती है
  • पीड़ित संरक्षण अधिकारी से संपर्क कर सकती है
  • पीड़ित निशुल्क क़ानूनी सहायता की मांग कर सकती है
  • पीड़ित भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत क्रिमिनल याचिका भी दाखिल कर सकती है, इसके तहत प्रतिवादी को तीन साल तक की जेल हो सकती है, इसके तहत पीड़ित को गंभीर शोषण सिद्ध करने की आवश्यकता हैl

इसके अलावा,राज्य द्वारा निर्देशित आश्रय गृहों और अस्पतालों की ज़िम्मेदारी है कि उन सभी पीड़ितों को रहने के लिए एक सुरक्षित स्थान और चिकित्सा सहायता प्रदान करे जो उनके पास पहुंचते हैं। पीड़ित सेवा प्रदाता या संरक्षण अधिकारी के माध्यम से इन्हें संपर्क कर सकती हैl

  1. नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 में धार्मिक एवं सामाजिक निर्योग्यता थोपने के सम्बन्ध में दंड के प्रावधानों की व्याख्या कीजिए l

उत्तर :

चूँकि अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 अस्पृश्यता के आधार पर होने वाले भेदभाव को रोकता है तथा अस्पृश्यता पर आधारित भेदभाव ज्यादातर उच्च जातियों द्वारा दलित या अनुसूचित जातियों के साथ किया जाता है इसलिए अस्पृश्यता के आधार पर अपराध गठित करने के लिए यह आवश्यक है कि अभियुक्त एवं परिवादी (Accused and Complainant) भिन्न सामाजिक समूह के व्यक्ति हों। यदि अभियुक्त एवं परिवादी समान सामाजिक समूह के व्यक्ति हैं तो अस्पृश्यता से उद्भूत अपराध गठित नहीं होगा।

धार्मिक निर्योग्यता थोपने के लिए दंड (Punishment for enforcing religious disability): इस अधिनियम में धार्मिक निर्योग्यता थोपने के लिए दंड का प्रावधान किया गया है। हालाँकि इस अधिनियम में अस्पृश्यों के लिए किसी नए अधिकार की बात नहीं कही गई है लेकिन उन्हें हिन्दू धर्म के अन्य या उच्च जातियों के बराबर माना गया है। इसके अनुसार किसी व्यक्ति को अस्पृश्य होने के आधार पर किसी सार्वजनिक स्थल पर प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता है जबकि ऐसे स्थलों पर प्रवेश करने वाले अन्य व्यक्ति उसी धर्म एवं संप्रदाय से जुड़े हों। पूजा या प्रार्थना करने के उद्देश्य से पवित्र तालाबों, कुओं, झरनों, नदी, पोखर या अन्य जल स्रोतों के प्रयोग के लिए उसी प्रकार की अनुमति प्रदान की गई थी जैसे उसी धर्म के अन्य लोगों को इसकी अनुमति थी।

सामाजिक निर्योग्यता थोपने के लिए दंड (Punishment for enforcing social disabilities): 1976 के संशोधन के बाद अस्पृश्यता के आधार पर निर्योग्यता थोपने, समान व्यवहार से इंकार करने या भेदभाव करने के मामले में जुर्माने के साथ जेल की सजा देना न्यायालय के लिए अनिवार्य कर दिया गया। 1976 के संशोधन से पहले न्यायालय दोषियों को छह माह तक की जेल की सछाा तथा 500 रुपए तक जुर्माना या दोनों देने के लिए स्वतंत्र था। इस उद्देश्य से बौद्ध, सिक्ख, जैन धर्मों तथा हिन्दू धर्म तथा इसके अन्य स्वरूपों जैसे वीर शैव, लिंगायत, आदिवासी, ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज, आर्य समाज तथा स्वामी नारायण संप्रदाय को हिन्दू ही माना गया है। किसी प्रकार की निर्योग्यता थोपने में अस्पृश्यता के आधार पर भेदभाव भी शामिल है। अस्पृश्यता के आधार पर जो भी व्यक्ति निम्नलिखित मामलों में सामाजिक निर्योग्यता थोपने का प्रयास करेगा वह दंड का भागी होगा-

(i) किसी दुकान, रेस्टोरेन्ट, होटल या सार्वजनिक मनोरंजन स्थल की पहुँच।

(ii) सार्वजनिक रेस्टोरेन् होटल, लोगों के प्रयोग के लिए धर्मशाला, सराय या मुसाफिर खाना में रखे बर्तनों या वस्तुओं का प्रयोग।

(iii) किसी पेशे, व्यवसाय, व्यापार या रोजगार के मामले।

 

                                        भाग – 2

                                अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध 

  1. बिम्‍सटेक क्षेत्रीय सहयोग का एक अहम मंच बनता जा रहा है , वहीं सार्क अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में असफल रहा l समीक्षा कीजिए l

BIMSTEC is becoming an important platform for regional cooperation, while SAARC failed to achieve its goals. Review .

उत्तर :

BIMSTEC के सदस्‍य देशों में बांग्‍लादेश, भूटान, भारत, म्‍यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड हैं। 6 जून, 1997 को बैंकॉक घोषणा-पत्र के जरिये अस्तित्‍व में आया यह संगठन दक्षिण व दक्षिण पूर्व एशिया के बीच एक पुल की तरह काम करता है। इसके सात में से 5 देश सार्क के भी सदस्‍य हैं, जबकि दो ASEAN के सदस्‍य देश हैं। ऐसे में यह SAARC और ASEAN देशों के बीच अंतर-क्षेत्रीय सहयोग का एक मंच भी है।

बिम्‍सटेक के पहले भी हालांकि आपसी सहयोग को लेकर एशिया में क्षेत्रीय संगठन अस्तित्‍व में रहे हैं, जिनमें SAARC अहम है। 8 सदस्‍यीय यह संगठन 8 दिसंबर, 1985 को बांग्‍लादेश की राजधानी ढाका में अस्तित्‍व में आया था, जिसका मकसद आर्थिक समृद्धि, सामाजिक व सांस्‍कृतिक विकास और अन्‍य क्षेत्रों में आपसी सहयोग की संभावनाएं तलाश करना है।

‘साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन’ यानी दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के सदस्‍य देशों में भारत, नेपाल, बांग्‍लादेश, भूटान, श्रीलंका, मालदीव, पाकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान भी हैं। हालांकि दक्षिण एशिया में सहयोग का यह एक बड़ा मंच है, लेकिन इसके दो प्रमुख सदस्‍य देशों भारत और पाकिस्‍तान के आपसी तनाव ने इसे लगातार कमजोर किया।

भारत और पाकिस्‍तान के आपसी तनाव के कारण सार्क देशों के बीच हुए कई समझौते लागू नहीं हो पाए और सदस्‍य देश इनसे लाभान्वित होने से वंचित रह गए। हालांकि इसकी उपलब्धियों को कमतर करके नहीं आंका जा सकता। पिछले करीब 28 साल के दौरान इस संगठन ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, इन सबके बावजूद यह विभिन्‍न देशों की सरकारों के प्रमुखों को अक्‍सर एक मंच पर लाने में सफल रहा।

फूड एंड डेवेलपमेंट बैंक और ऊर्जा तथा परिवार के क्षेत्र में हुए कई समझौते बेहद महत्‍वपूर्ण रहे। सदस्‍य देशों में कई बार आतंकवाद के खिलाफ जंग को लेकर भी सहमति बनी, लेकिन यह एक ऐसा मुद्दा रहा, जिस पर सार्क के सदस्‍य देशों के तौर पर दो पड़ोसी देशों भारत और पाकिस्‍तान के बीच कभी सहयोग विकसित नहीं हो पाया और यही सार्क की विफलता की एक बड़ी वजह बन गई।

कश्‍मीर के उड़ी में 18 सितंबर, 2016 को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्‍तान में आयोजित सार्क देशों की शिखर बैठक में हिस्‍सा लेने से इनकार कर दिया। भारत ने इसके लिए सीधे तौर पर पाकिस्‍तान पर आरोप लगाया और कहा कि वह अपने यहां सक्रिय आतंकी संगठनों के खिलाफ कदम नहीं उठा रहा है। इससे पहले पाकिस्‍तानी आतंकी 2008 में मुंबई में बड़ी वारदात को अंजाम दे चुके थे।

BIMSTEC की संभावनाएं

सार्क के अन्‍य सदस्‍य देशों ने भी भारत का साथ देते हुए बैठक में हिस्‍सा नहीं लिया, जिसके बाद इसे रद्द करना पड़ा। भारत और पाकिस्‍तान के बीच अब भी रिश्‍ते सामान्‍य नहीं हो पाए हैं और ऐसे में क्षेत्रीय सहयोग संगठन के तौर पर बिम्‍सटेक की अहमियत बढ़ गई है, जिसके सदस्‍य देशों में मुख्‍य रूप से बंगाल की खाड़ी के आसपास रहने वाले देश हैं और जिसमें पाकिस्‍तान शामिल नहीं है।

यह सदस्‍य देशों के बीच आपसी सहयोग का अहम मंच साबित हो सकता है। क्षेत्रीय एकजुटता, सहयोग व सामूहिक विकास को लेकर आपसी सहयोग की इसमें काफी संभावनाएं हैं। भारत की ‘एक्‍ट ईस्‍ट पॉलिसी’ के संदर्भ में यह खास तौर पर अहम साबित हो सकता है। पाकिस्तान की गैर-मौजूदगी वाला यह संगठन दक्षिण एशिया के देशों को आपसी सहयोग के लिए सार्क जैसा बड़ा वैल्पि‍क मंच दे सकता है।

 

  1. विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख लक्ष्यों को बताइए l

Mention  the major goals of the World Health Organization.

उत्तर :

डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य सभी लोगों के लिए स्वास्थ्य के उच्चतम संभव स्तर की प्राप्ति में सहायता प्रदान करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन को सर्वाधिक सफल संयुक्त राष्ट्र अभिकरणों में से एक माना जाता है। यह अंतरिम स्वास्थ्य कार्यों से सम्बंधित समन्वयकारी प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है तथा स्वास्थ्य मामलों में सक्रिय सहयोग को प्रोत्साहित करता है। इसके कार्यक्रमों में स्वास्थ्य सेवाओं का विकास, रोग निवारण व नियंत्रण, पर्यावरणीय स्वास्थ्य का संवर्द्धन, स्वस्थ मानव शक्ति विकास तथा जैव-चिकित्सा, स्वास्थ्य सेवाओं, शोध व स्वास्थ्य कार्यक्रमों का विकास एवं प्रोत्साहन शामिल है। डब्ल्यूएचओ सदस्य देशों को उन स्वास्थ्य सेवाओं के विकास में सहयोग प्रदान करता है, जिनका लक्ष्य सभी के लिए स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना, मातृ एवं बाल स्वास्थ्य को संवर्द्धित करना, परिवार नियोजन, पोषण, स्वास्थ्य शिक्षा व् स्वास्थ्य अभियांत्रिकी स्वच्छ जलापूर्ति व सफाई व्यवस्था, संक्रामक रोगों की रोकथाम, दवाओं व टीकों का उत्पादन व गुणवत्ता नियंत्रण तथा शोध प्रोत्साहन इत्यादि होता है। संगठन स्वास्थ्य आकड़ों के संग्रहण, विश्लेषण एवं वितरण में भी सहयोग करता है तथा रोग लक्षणों, बीमारियों व उपचारों के सम्बंध में तुलनात्मक अध्ययनों को प्रायोजित करता है।

 

  1. संयुक्त राष्ट्र सचिवालय के कार्यों को बताइए l

Describe the functions of the United Nations Secretariat.

उत्तर :

  • संयुक्त राष्ट्र संघ के विभिन्न अंगों, अभिकरणों एवं एजेन्सियों द्वारा लिये गये निर्णयों को कार्यान्वित करना
  • संयुक्त राष्ट्र संघ की विभिन्न समितियों की बैठकों का आयोजन करना।
  • सुरक्षा परिषद् को विभिन्न जानकारी एवं सूचनाएँ उपलब्ध कराना।

 

                                        भाग – 3

                                    छ. ग. की कला 

 

  1. छत्तीसगढ़ में आधुनिक चित्रकला पर एक लेख लिखें l

उत्तर :

  • वेश में स्थापित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय (खैरागढ़)  ने आधुनिक चित्रकला के प्रवाह को महत्वपूर्ण गति दी है।
  • छत्तीसगढ़ राज्य में प्रदेश का मुख्य चित्रकला केन्द्र रायपुर  को ही माना गया है।
  • स्वतंत्रता के बाद भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा संचालित आर्ट  गैलरी ने आधुनिक चित्रकला को व्यापक रूप से आगे बढ़ाया  है।
  • रायपुर में स्थापित महाकौशल कला विथिका ने आधुनिक    चित्रकला को न सिर्फ प्रोत्साहित किया बल्कि राज्य के    सैकड़ों कलाकरों को कलात्मक मंच भी प्रदान किया।
  • राज्य में आधुनिक चित्रकला के कलात्मक विकास में    सर्वप्रथम नाम – कल्याण प्रसाद शर्मा, ए.के. मुखर्जी, मनोहर  लाल यदु, चैरागढ़े, ए.के.दानी, निरंजन महावर, श्री निवास   विश्वकर्मा, देवेन्द्र ठाकुर, प्रवीण शर्मा एवं संघर्ष यदु आदि   का नाम लिया जाता है।

 

  1. करमा नृत्य पर चर्चा कीजिए l

उत्तर :

करमा नृत्य छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख लोक नृत्य है l छत्तीसगढ़ में बस्तर, दंतेवाड़ा , कांकेर, नारायणपुर एवं बीजापुर जिले के गोंड, बैगा, उरांव , कमार, कंवर आदि जनजातियों में करमा नृत्य पाया जाता है l यह नृत्य कर्म देवता को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है l इसमें वाद्य यंत्र के रूप में “मांदर” का प्रयोग किया जाता है l प्रायः यह नृत्य विजयादशमी से प्रारंभ होकर अगली वर्षा ऋतु तक चलता है l

करमा नृत्य की पाँच शैलियाँ प्रचलित हैं :

  • झूमर
  • लंगड़ा
  • ठाड़ा
  • लहकी
  • खेमटा

 

रास करमा : ये मुख्यतः कंवर जनजाति के लोगों में केवल पुरुषों द्वारा किया जाता है l यह नृत्य मृदंग की थाप पर होता है l इसमें बड़े-बड़े मंजीरों का इस्तेमाल भी किया जाता है , जिसे “रास” कहते हैं l इन मंजीरों की वजह से इसे रास करमा कहा जाता है l

 

बैगानी करमा : इस नृत्य में बैगा स्त्री पुरुष अपने अपने पारंपरिक शैली में करमा गाते हुए नृत्य करते हैं l पुरुष नर्तक मिट्टी की की खोज से बने हुए मंदर से थाप देते हैं , जिनके साथ नर्तक स्त्रियाँ “थिस्की” नामक लकड़ी से बने हुए एक पारंपरिक चटका या क्लैपर से ताल मिलाते हुए नृत्य कराती है l स्त्रियाँ अपने सर पर लंबी-लंबी स्थानीय घास से बने हुए जंजीर जिसे “बीरन” कहा जाता है , बांधे रह्रती हैं जो गुच्छे में कमर तक लटकती रहती है l पुरुष अपने सर पर मोर पंख और कलगी लगाए रहते हैं l नर्तकों के हावभाव और पद मुद्राएँ लहरों की भांति सरकती सी प्रतीत होती है l

 

खंड – 4

          ( उत्तर की शब्द सीमा – 125 शब्द , अधिकतम अंक – 10 )

 

                                        भाग – 2

                                अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध 

 

  1. परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता भारत के लिए आवश्यक क्यों है ? भारत अब तक इसकी सदस्यता हासिल करने में क्यों सफल नहीं हो पाया है ? समीक्षा कीजिए l

Why is membership of a nuclear supplier group necessary for India? Why India has not been successful in getting its membership till now? Review . 

उत्तर :

NSG परमाणु आपूर्तिकर्त्ता  देशों का समूह है। वर्तमान में इसमें कुल 48 सदस्य देश शामिल हैं। इस समूह की स्थापना भारत द्वारा 1974 में किये गए पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद की गई थी। इस समूह का उद्देश्य परमाणु तकनीक और हथियारों के अप्रसार को सुनिश्चित करना है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी पाँचों स्थायी सदस्य तथा परमाणु अप्रसार संधि के हस्ताक्षरकर्त्ता  43 देश इस समूह में शामिल हैं।

भारत के लिये NSG की सदस्यता की आवश्यकता

  • पेरिस जलवायु सम्मलेन में प्रकट की गई अपनी प्रतिबद्धता के अनुसार भारत जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को कम करने के साथ-साथ अपनी उर्जा मांग का कुल 40% स्वच्छ उर्जा के रूप में उत्पादित करना चाहता है। इसके लिये भारत को अपना परमाणु उर्जा उत्पादन बढ़ाने हेतु इस समूह की सदस्यता लेना आवश्यक है।
  • भारत परमाणु उर्जा व्यापार में भागीदार बनने का इच्छुक है। इसके लिये परमाणु उर्जा से संबंधित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के लिये NSG की सदस्यता ज़रूरी है।
  • देश में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये परमाणु उर्जा के उपकरणों के व्यावसायीकरण को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।
  • NSG सदस्यता से भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि को और सशक्त रूप दिया जा सकता है। इस समूह की सदस्यता भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता  के दावे को और मजबूती प्रदान करेगी।

NSG की सदस्यता पाने में भारत की असफलता के कारण-

  • 2016 में अमेरिका, मैक्सिको आदि देशों के समर्थन के बावज़ूद भारत NSG में शामिल होने में असफल रहा, क्योंकि NSG में सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिये जाते हैं और NPT तथा CTBT का हस्ताक्षरकर्त्ता  नहीं होने के आधार पर स्विट्ज़रलैंड, ब्राज़ील, ऑस्ट्रिया आदि ने भारत की उम्मीदवारी का विरोध किया था।
  • भारत को NSG सदस्यता दिये जाने की स्थिति में चीन पाकिस्तान को भी NSG में प्रवेश देने का तर्क रखता है ।

अथवा 

भारत में विकास के सन्दर्भ में एशियाई विकास बैंक की भूमिका पर चर्चा कीजिए l

  • Discuss the role of Asian Development Bank in the context of development in India.
    • उत्तर :
    • भारत ने 1986 में पहली बार एशियाई विकास बैंक की साधारण पूंजीगत संसाधनों से उधार लेना शुरू किया थाl भारत, मुख्य रूप से ऊर्जा, परिवहन, संचार, वित्त, उद्योग, शहरी बुनियादी ढांचों, कृषि और सिंचाई जैसे क्षेत्रों के लिए एशियाई विकास बैंक से ऋण लेता है l
  • हाल ही में 31 मार्च 2017 को एशियाई विकास बैंक (ADB) ने भारत भर में सड़कों और घरों में कम उर्जा की खपत वाले (energy-efficient) लाखों बल्ब लगाने के साथ-साथ कम उर्जा की खपत वाले (energy-efficient) वाटर पंपों (water pumps) को लगाने के लिए 200 मिलियन डॉलर के ऋण को मंजूरी दी हैl इस सौदे के द्वारा प्रति वर्ष लगभग 3800 गीगावाट घंटा (GWh) ऊर्जा की बचत करने में मदद मिलेगीl
  • एशियाई विकास बैंक का लक्ष्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र को गरीबी से मुक्त करना हैl इसका लक्ष्य विकासशील सदस्य देशों में गरीबी को कम करने और वहां के लोगों के जीवन-स्तर की गुणवत्ता में सुधार के लिए मदद करना हैl कई सफलताओं के बावजूद इस क्षेत्र में दुनिया के सर्वाधिक गरीब लोग रहते हैं, जिनमें से 330 मिलियन लोग की दैनिक आमदनी 1.90 डॉलर से कम है, जबकि 1.2 बिलियन लोगों की दैनिक आमदनी 3.10 डॉलर से कम हैl
  • इसलिए यह कहा जा सकता है कि भारत सरकार द्वारा शुरू की गई ढांचागत विकास परियोजनाओं में एशियाई विकास बैंक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और यह सफ़र आगे आने वाले सालों में भी चलता ही रहेगा l

 

खंड – 5

          ( उत्तर की शब्द सीमा – 175 शब्द , अधिकतम अंक – 15 )

 

भाग – 1

                                विभिन्न अधिनियम 

 

  1. उपभोक्ता के अधिकारों एवं उत्तरदायित्वों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए l

Write a brief comment on the rights and responsibilities of the consumer.

उत्तर :

उपभोक्ता के अधिकार 

सुरक्षा का अधिकार  : उपभोक्ताओं को ऐसी वस्तुओं की बिक्री से सुरक्षा का अधिकार है, जो स्वास्थ्य एवं जीवन के लिए हानिकारक है। उपभोक्ता के रूप में यदि आप इस अधिकार के सम्बन्ध् में सचेत हैं तो हानि को रोकने के लिए कदम उठा सकते हैं, और यदि सतर्कता के बाद भी हानि होती है तो आप विक्रेता की शिकायत कर सकते हैं तथा क्षतिपूर्ति का दावा भी कर सकते हैं। उदाहरण के लिए माना आपने कोई दवा खरीदी है तो दवा के हानिकारक होने की दशा में आप दवा विक्रेता को उत्तरदायी ठहरा सकते हैं। इसी प्रकार से यदि आप खाना पकाने के लिए गैस के सिलेन्डर का प्रयोग करते हैं तो आपूर्ति के समय जांच कर लें कि यह रिस तो नहीं रहा है। यदि बाद में यह रिसने लगता है तो इसके कारण आग लगने पर यदि कोई चोट आती है या किसी की मृत्यु हो जाती है तो आपूर्ति कर्ता का क्षतिपूर्ति का दायित्व होगा।

सूचना पाने का अधिकार  :उपभोक्ता को उपलब्ध् वस्तुओं की गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता, स्तर या श्रेणी तथा मूल्य के सम्बंध् में जानने का अधिकार है, जिससे कि वह किसी वस्तु अथवा सेवा का क्रय करने से पहले सही चुनाव कर सके। इसके साथ ही वस्तु के उपभोग के समय उससे होने वाली क्षति अथवा चोट से बचने के लिए उपभोक्ता को सुरक्षा के किन उपायों का ध्यान रखना चाहिए इस सम्बंध् में जहां भी आवश्यकता हो उपभोक्ता को सूचना प्रदान करानी चाहिए। उदाहरण के लिए गैस सिलेन्डर को लें, पूर्तिकर्ता को उपभोक्ता को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि ‘‘जब गैस का प्रयोग न हो तो रेगुलेटर की सहायता से गैस के प्रवाह को बंद कर देना चाहिए।’’

चयन का अधिकार : प्रत्येक उपभोक्ता को अपनी आवश्यकता की वस्तुओं को उनकी विभिन्न किस्मों में से चयन का अधिकार है। कई बार विक्रेता एवं व्यापारी घटिया गुणवत्ता वाली वस्तु को बेचने के लिए दबाव के हथकन्डे अपनाता है। कभी-कभी उपभोक्ता भी टी.वी पर विज्ञापनों से प्रभावित हो जाता है। उपभोक्ता यदि अपने चयन के अधिकार के प्रति सचेत है तो इन सम्भावनाओं से बचा जा सकता है।

सुनवाई का अधिकार  : इस अधिकार को तीन विभिन्न अर्थों में समझा जा सकता है। व्यापक अर्थ में इसका अर्थ है कि जब भी सरकार एवं सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा उपभोक्ता के हितों को प्रभावित करने वाले निर्णय लिए जाएं तो उपभोक्ता से सलाह ली जाय। उपभोक्ताओं का यह भी अधिकार है कि निर्माता, विक्रेता एवं विज्ञापनकर्ता उत्पादन एवं विपणन सम्बन्धी निर्णय लेते समय उनके विचार जानें। तीसरे, उपभोक्ताओं की शिकायतों की सुनवाई के समय अदालती कार्यवाही के मध्य उनकी सुनवाई का भी उनका अधिकार है।

निवारण का अधिकार  : जब भी किसी उपभोक्ता को अनुचित व्यापार व्यवहार, जैसे अधिक मूल्य वसूलना, घटिया गुणवत्ता वाले अथवा असुरक्षित उत्पादों को बेचना, वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति में नियमितता की कमी के सम्बंध् में कोई शिकायत है या पिफर उसे दोषपूर्ण अथवा मिलावटी वस्तुओं के कारण कोई हानि हुई है अथवा चोट पहुंची है तो उसे उनके निवारण का अधिकार है। उसे दोषपूर्ण वस्तुओं के स्थान पर दूसरी वस्तु अथवा विक्रेता द्वारा मूल्य वापसी को प्राप्त करने का अधिकार है। उसे उचित न्यायालय में वैधानिक समाधन पाने का भी अधिकार है। यह अधिकार उपभोक्ताओं को यह विश्वास दिलाता है कि उनकी शिकायत पर उचित ध्यान दिया जायेगा। इस अधिकार में यदि आपूर्तिकर्ता अथवा विनिर्माता की गलती के कारण उन्हें कोई हानि होती है अथवा किसी कठिनाई का सामना करना पड़ता है तो उपभोक्ता के लिए उचित क्षतिपूर्ति का भी प्रावधान है।

उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार : बाजार में दोषपूर्ण कार्यों एवं उपभोक्ताओं के शोषण को रोकने के लिए उपभोक्ताओं में जागरूकता पैदा करना एवं उनको शिक्षित करना बहुत आवश्यक है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उपभोक्ता संगठन, शैक्षणिक संस्थान एवं सरकारी नीति निर्धरकों से अपेक्षा है कि वे उपभोक्ताओं को इन विषयों से अवगत कराएं और उनके विषय में शिक्षित करें।

  1. अनुचित व्यापार कार्यों को रोकने के उद्देश्य से बनाए गये प्रासंगिक कानून;
  2. बेईमान व्यापारियों एवं उत्पादनकर्ताओं द्वारा अपनाये जाने वाली वे विधियां जिनके द्वारा वह उपभोक्ताओं को धोखा देने के लिए बाजार के व्यवहार को तोड़ मरोड़ करने का प्रयत्न करता है;
  3. उपभोक्ता किस प्रकार से अपने हितों की रक्षा कर सकते हैं;
  4. शिकायत करते समय उपभोक्ताओं द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया इत्यादि।

बहुत से उपभोक्ता संगठन उपभोक्ताओं को पर्चें, पित्राकाओं एवं पोस्टरों के द्वारा शिक्षित करने की दिशा में पहले ही कदम उठा चुके हैं। इस सम्बन्ध् में टी.वी. पर कार्यक्रम भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

उपभोक्ता के उत्तरदायित्व 

स्वयं सहायता का दायित्व 

उपभोक्ता से यह अपेक्षा की जाती है कि जहां तक संभव हो वस्तु के सम्बंध् में सूचना एवं चुनाव के लिए वह विक्रेता पर निर्भर न रहें। एक उपभोक्ता के नाते, आप से यह अपेक्षित है कि स्वयं को धेखे से बचाने के लिए आपका व्यवहार उत्तदायित्वपूर्ण हो। एक सजग उपभोक्ता दूसरों की अपेक्षा अपने हितों का अधिक ध्यान रख सकता है। शुरू से ही जागरूक हो जाना एवं अपने आपको तैयार कर लेना हानि होने अथवा क्षति पहुंचाने के पश्चात उसका निवारण करने से, सदा श्रेष्ठ होता है।

लेन-देन का प्रमाण 

उपभोक्ता का दूसरा दायित्व क्रय का प्रमाण एवं स्थायी वस्तुओं के क्रय से सम्बिन्ध्त प्रपत्रों को प्राप्त करना एवं उन्हें सुरक्षित रखना है। उदाहरण के लिए वस्तुओं के क्रय पर रोकड़ पर्ची को प्राप्त करना आवश्यक है। याद रहे कि यदि आप वस्तु में किसी कमी के सम्बन्ध् में शिकायत करना चाहते हैं तो क्रय का प्रमाण होने पर आप वस्तु की मरम्मत अथवा उसके प्रतिस्थापन का दावा कर सकते हैं। इसी प्रकार टी.वी., रेपफरीजरेटर आदि स्थायी वस्तुओं के क्रय पर विक्रेता आश्वासन/गारंटी कार्ड देते हैं। यह कार्ड आपको क्रय के पश्चात मरम्मत अथवा नुकसान के प्रतिस्थापन की सेवा मुफ्त प्राप्त करने का अधिकार देता है।

उचित दावा 

उपभोक्ता का एक आरै दायित्व, जो उसे मस्तिष्क में रखना चाहिए, है कि शिकायत करते समय एवं हानि अथवा क्षति होने पर उसकी पूर्ति का दावा करते समय अनुचित रूप से बड़ा दावा नहीं करना चाहिए। कभी-कभी उपभोक्ता अपने निवारण के अधिकार का उपयोग न्यायालय में करता है। ऐसे भी मामले सामने आये हैं जिनमें उपभोक्ता ने बिना किसी उचित कारण के क्षतिपूर्ति की बड़ी राशि का दावा किया है। यह एक अनुचित कार्य है, जिससे बचना चाहिए।

उत्पाद अथवा सेवाओं का उचित उपयोग 

कछु उपभोक्ता विशेष रूप से गारंटी अवधि के दौरान यह सोचकर वस्तुओं तथा सेवाओं का दुरुपयोग करते हैं कि इस अवधि में इसका प्रतिस्थापन तो हो ही जायेगा। उनके लिए ऐसा करना उचित नहीं है। उन्हें वस्तुओं का अपनी स्वयं की वस्तु समझकर प्रयोग करना चाहिए।

इन दायित्वों के अतिरिक्त उपभोक्ता के अन्य दायित्व भी हैं।

उन्हें विनिर्माता, व्यापारी एवं सेवा प्रदानकर्ता के साथ अपने अनुबंध का सख़्ती से पालन करना चाहिए। उधर क्रय की स्थिति में उसे समय पर भुगतान करना चाहिए। उन्हें सेवा के माध्यम जैसे बिजली एवं पानी के मीटर, बस एवं रेल गाड़ियों की सीटों के साथ छेड़-छाड़ नहीं करनी चाहिए। उन्हें याद रखना चाहिए कि वह अपने अधिकारों का उपयोग तभी कर सकते हैं जब वह अपने दायित्वों को निभाने के लिए तैयार अथवा इच्छुक हैं।

अथवा

 

 एफआईआर के सम्बन्ध में महिलाओं को प्राप्त विशेष अधिकारों पर चर्चा कीजिए l

उत्तर :

छेड़छाड़, बलात्कार या किसी भी तरह के उत्पीड़न संबंधी फर्स्ट इन्फॉरमेशन रिपोर्ट (FIR) किसी भी थाने में दर्ज कराई जा सकती है, भले ही अपराध संबंधित थाना क्षेत्र में हुआ हो या न हुआ हो। वह थाना उस रिपोर्ट को संबंधित थाने को ट्रांसफर कर सकता है। केंद्र सरकार ने निर्भया मामले के बाद सभी राज्यों को अपराध होते ही जीरो एफआईआर करने को कह दिया था और पुलिस यदि किसी महिला की शिकायत दर्ज करने से मना कर दे तो संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है l

निजता का अधिकार – किसी भी मामले में नाम आने पर पुलिस या मीडिया किसी के भी पास ये अधिकार नहीं है, कि वे संबंधित महिला का नाम उजागर करें। पीड़िता का नाम उजागर करना भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय अपराध है। ऐसा पीड़िता को सामाजिक उत्पीड़न से बचाने के लिए किया जाता है। बलात्कार की शिकार महिला अपना बयान सीधे-सीधे जिला मजिस्ट्रेट को दर्ज करा सकती है, जहां किसी और की उपस्थिति ज़रूरी नहीं है।

यदि किसी वजह से महिला पुलिस स्टेशन नहीं जा सकती है या फिर उसे इस बात का डर है कि बाहर निकलने से अपराधी उसे फिर से कोई नुकसान पहुंचा देगा तो ऐसे में संबंधित महिला मेल या डाक के द्वारा डिप्टी कमिश्नर या कमिश्नर स्तर के किसी अधिकारी के सामने लिखित में अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है। शिकाय मिलने के बाद वो अफसर/अधिकारी संबंधित थानाधिकारी को मामले की सच्चाई को परखने की कार्रवाई का निर्देश देता है। मेल द्वारा शिकायत करना काफी आसान है। अॉनलाइन फॉर्म भरने के बाद महिला को एक एसएमएस प्राप्त होता है, जिसमें एक ट्रैकिंग नंबर भेजा जाता है।

पहले बलात्कार पीड़िता की मेडिकल जांच पुलिस में मामला दर्ज होने के बाद होती थी, लेकिन अब फॉरेंसिक मेडिकल केयर फॉर विक्टिम्स ऑफ़ सेक्सुअल असॉल्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार बलात्कार पीड़िता FIR दर्ज कराये बगैर भी डॉक्टरी परीक्षण के लिए डाक्टर मांग सकती है। कुछ मामलों में तो पुलिसकर्मी ही पीड़िता को जांच कराने के लिए हॉस्पिटल ले जाता था। अब मेडिकल मुआयना करवाने से पहले पीड़िता को डॉक्टर को सारी प्रक्रिया समझानी होती है और उसकी लिखित सहमति लेनी होती है। पीड़िता यदि चाहे तो मेडिकल टेस्ट देने से मना भी कर सकती है।

जिस महिला का बलात्कार हुआ है, वो कानूनी मदद के लिए मुफ्त मदद मांग सकती है और ये जिम्मेदारी स्टेशन हाउस अधिकारी की होती है, कि वो विधिक सेवा प्राधिकरण को वकील की व्यवस्था करने के लिए जल्द से जल्द सूचित करे।

साथ ही यौन उत्पीड़न के अलावा महिलाओं के और भी ऐसे कई अधिकार हैं, जिनकी कानूनी तौर पर जानकारी बेहद ज़रूरी है, जैसे- पारिश्रमिक अधिकार, कार्य क्षेत्र में उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार, घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार, कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व लाभ संबंधी अधिकार, भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार और पुश्तैनी संपत्ति अधिकार।

 

                                        भाग – 3

                                    छ. ग. की कला 

 

  1. जनजातियों के कलात्मक जीवन का वर्णन करें l

उत्तर  :

हालांकि जनजाति वर्ग समूह आज के इस आधुनिक युग मे भी विकास से काफी दूर  जीवन व्यतीत कर रहा है ,  एवं इनमें शिक्षा का अभाव है किंतु जनजाति वर्ग समूह में सदियों से चली आ रही उनकी अपनी एक अलग परंपरा विद्यमान है जिनमें से एक कला पीढ़ी दर पीढ़ी उनके साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही है , यूँ तो जनजाति वर्ग समूह का   आय का मुख्य  स्त्रोत  वन उत्पाद है , अर्थात वन से प्राप्त लाख, टशर, चिरौंजी, महुआ, मशरूम एवं अन्य वनों से प्राप्त होने वाले उत्पाद |

 

कला तो  आदिम काल से ही इन आदिवासियों की सभ्यता एवं संस्कृति में विद्यमान है ,  किंतु जब इस  कला

ने  उन्हें एक आय का माध्यम  एवं एक नई पहचान प्रदान की तो इस कला का और भी विकास होने लगा l

 

वर्तमान समय में कमार जनजाति वर्ग समूह एवं कंदरा जनजाति वर्ग समूह बांस शिल्प के लिए प्रसिद्ध है, एवं अपने जीवन यापन बांस से बने उत्पाद को बेचकर प्राप्त करते हैं ,  यह सभी कार्य कमार जनजाति वर्ग की महिलाओं के द्वारा किया जाता है , जिसके कारण ही  इस जनजाति मैं महिलाओं का विशेष स्थान होता है l

 

उत्तरी छत्तीसगढ़ में विद्यमान लो शिल्प कला, रायगढ़ क्षेत्र का प्रसिद्ध झारा शिल्प कला  एवं बस्तर क्षेत्र में अनेक कला अपनी कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध है, बांस एवं सागोन पर उकेरी गई इनकी कलाकृतियां  एवं समूचे एक तने को दी गई एक विशेष आकृति “मूर्ति ,  नाव, स्तंभ” आदि काष्ठ शिल्प कला के उदाहरण है l

 

इसके अतिरिक्त टेराकोटा अर्थात चाक की सहायता से  मृदा की अनेक सुंदर कलाकृतियां इस क्षेत्र के जनजातियों को एक विशिष्ट पहचान दिलाती है, जिनके द्वारा बनाए गए हाथी ,घोड़े इत्यादि पूरे प्रदेश के साथ देश में भी प्रसिद्ध है l

 

बेल मेटल से बना घड्वा शिल्प कला  अपनी विशिष्ट कला शैली के कारण विश्व भर में प्रसिद्ध है l  राज्य सरकार द्वारा शबरी एंपोरियम के माध्यम से इसका बाजार भारत के मेट्रो शहर एवं विदेशों में भी स्थापित किए जा रहे हैं, जनजाति वर्ग समूह के इन विशिष्ट कला के कारण इन्हें विशिष्ट पहचान तो मिलती है साथ ही इनके आय स्रोत में वृद्धि पर हो रही है , परिणाम स्वरूप यह इनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने हेतु काफी कारगर सिद्ध होगा l

 

अथवा

 

 सिरपुर के ऐतिहासिक महत्व को बताइए l लक्ष्मण मंदिर की स्थापत्य शैली का वर्णन  कीजिए l

Describe the historic importance of Sirpur . Describe the architectural style of Laxman temple.

उत्तर :

सिरपुर को कला के शाश्वत नैतिक मूल्यों व मौलिक स्थापत्य शैली के लिए पहचाना जाता है. यह भारतीय कला के इतिहास में विशिष्ट कला तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध था. साथ ही यह धार्मिक, आध्यात्मिक व ज्ञान-विज्ञान के प्रकाश से भी जगमग रहा है.

बताते चलें कि सिरपुर प्राचीन काल में श्रीपुर के नाम से विख्यात रहा, सोमवंशी शासकों के काल में इसे दक्षिण कौसल की राजधानी होने का गौरव भी हासिल था.

इतिहासकारों के अनुसार छठी शताब्दी में चीनी यात्री व्हेनसांग भी यहां आया था. वहीं ऐतिहासिक जनश्रुतियां बताती हैं कि भद्रावती के सोमवंशी पाण्डव नरेशों ने भद्रावती को छोड़कर इसको बसाया था.

छठी शताब्दी में निर्मित भारत का सबसे पहला ईंटों से बना मंदिर यहीं पर है. सोमवंशी नरेशों ने यहां लाल ईंटो से राम मंदिर और लक्ष्मण मंदिर का निर्माण कराया था. अलंकरण, सौंदर्य, मौलिक अभिप्राय व निर्माण कौशल की दृष्टि से यह अपूर्व है.

यूरोपियन साहित्यकार एडविन एराल्ड ने इस मंदिर की तुलना प्रेम के प्रतीक ताजमहल से की है. इन्होंने ताजमहल को जीवित पत्थरों से निर्मित प्रेम की संज्ञा दी और लक्ष्मण मंदिर को लाल ईंटों से बना मौन प्रेम का प्रतीक बताया. वहीं रविंद्रनाथ टैगोर ने लक्ष्मण मंदिर को समय के गाल पर बिंदी सा चमकने वाला अद्भुत रत्न कहा है.

लक्ष्मण मंदिर प्राचीन स्मारक तो है ही, साथ ही यह दक्षिण कौशल में पति प्रेम की निशानी भी है! भूगर्भ से उजागर तथ्यों से पता चलता है कि 635-640 ई. में रानी वासटादेवी ने राजा हर्षगुप्त की स्मृति में लक्ष्मण स्मारक का निर्माण कराया था.

इसको राजा हर्षगुप्त की याद में रानी वासटादेवी ने बनवाया था. वासटादेवी मगध नरेश सूर्यवर्मा की बेटी थीं और वैष्णव धर्मावलंबी थीं. उनकी प्रेम कहानी खोदाई में मिले शिलालेखों से प्रामाणिक होती है, जिसके मुताबिक प्रेम के स्मारक ताजमहल से भी अधिक पुरानी प्रेम कहानी लक्ष्मण मंदिर स्मारक की है.

वासटादेवी की प्रेम कहानी का उल्लेख चीनी यात्री ह्वेन सांग ने भी अपने यात्रा वृत्रांत में किया है. मिट्टी से बनी पक्की ईंटों से निर्मित इस स्मारक में दक्षिण कौशल की शैव और मगध की वैष्णव संस्कृति का अनूठा मिश्रण मिलता है.

स्थापत्य शैली

एक बहुत बड़े मंच पर पूरी तरह से ईंट का बना हुआ यह अत्यंत भव्य मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. इसमें उत्तर और दक्षिण दिशा की ओर से मंदिर प्रांगण में ऊपर पहुंचने के लिए सीढ़िया बनी है, मंदिर में एक गर्भगृह, अंतराल और मंडप शामिल है.

वहीं अगर मंदिर के प्रवेश द्वार की बात की जाए तो यह अत्यंत सुंदर है, जिसके ऊपर शेषदायी भगवान विष्णु को उकेरा गया है. इस पर भगवान विष्णु के प्रमुख अवतार और विष्णु लीला के दृश्यों का भी वर्णन है.

मंदिर के गर्भगृह में 5 फन वाले सर्प पर आसीन लक्ष्मण की मूर्ति है, जो शेषनाग का प्रतीक है. संभवतः रानी ने खुद को उर्मिला के तौर पर देखा होगा जो 14 साल तक भगवान लक्ष्मण का वनवास खत्म होने का इंतजार करती रहीं.

शायद यही कारण है कि लक्ष्मण इस मंदिर के ईष्ट देव हैं, जो उर्मिला के प्रेम का प्रतीक बने हुए हैं. इस मंदिर के पत्थरों पर उकेरी गई बारीक नक्काशी स्तब्ध करती है वहीं शिखर और स्तम्भों पर किया गया.

 

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