राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय में संरचनात्मक परिवर्तन:
- **सकल घरेलू उत्पाद और कार्यशक्ति में वृद्धि**: भारतीय अर्थ व्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तन के परिणामस्वरूप, घरेलू उत्पादन और कार्यशक्ति में वृद्धि देखी गई है। इसके लिए नए उद्यमों की उत्थान और बढ़ते औद्योगिकीकरण का महत्वपूर्ण योगदान है।
- **निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों की भूमिका में परिवर्तन**: निजी क्षेत्र के अधिवासी के लिए नई अवसरों की उत्पत्ति हुई है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र में विभिन्न क्षेत्रों में सुधार हुआ है और नए क्षेत्रों की उत्पत्ति हुई है।
- **नवीनतम योजनाओं में खर्च में वृद्धि**: सरकार द्वारा लागू की जाने वाली योजनाओं में कुल योजनागत व्यय में वृद्धि हुई है, जिससे आयोजित योजनाओं के साथ सामाजिक विकास में मदद मिली है।
आर्थिक सुधार, निर्धनता और बेरोजगारी की समस्याएं:
- **मौद्रिक नीति और बैंकिंग सुधार**: 1990 के दशक से भारतीय बैंकिंग एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों में सुधार किया गया है। यह सुधार वित्तीय स्थिरता और संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण रहा है।
- **रिजर्व बैंक के साख का नियमन**: रिजर्व बैंक के साख के नियमन से मौद्रिक स्थिरता में सुधार और निर्धनता के खिलाफ लड़ाई में मदद मिली है।
- **सार्वजनिक राजस्व, व्यय और ऋणों की संरचना**: बेहतर राजस्व और व्यय की संरचना के माध्यम से सरकारी संरक्षण बढ़ाया जा रहा है, जो आ
र्थिक सुधार के लिए महत्वपूर्ण है।
- **बेरोजगारी की समस्याओं का सामना**: बेरोजगारी को कम करने के लिए कई योजनाएं, प्रोत्साहन कार्यक्रम और रोजगार सर्वोत्तमीकरण के प्रयास किए जा रहे हैं।
इन उपायों के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तन और आर्थिक सुधार के प्रति कदम बढ़ाया गया है।
छत्तीसगढ़ के संदर्भ में विभिन्न सामाजिक एवं आर्थिक मुद्दों को विस्तार से देखते हुए, निम्नलिखित क्षेत्रों में परिवर्तन और उनकी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है:
- **अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग का समाजिक पिछड़ापन**: सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से इन समूहों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार का प्रयास किया जा रहा है। शिक्षा, रोजगार, आर्थिक सहायता योजनाओं को विस्तारित किया जा रहा है।
- **महिलाओं की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सशक्तिकरण**: महिलाओं के उत्थान के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं का अनुप्रयोग किया जा रहा है, जो उन्हें आर्थिक स्वाधीनता, शिक्षा और सामाजिक समानता में मदद करते हैं।
- **बाल श्रम समस्या**: बाल श्रम को रोकने के लिए विभिन्न कानूनों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, साथ ही बच्चों को शिक्षा और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है।
- **ग्रामीण विकास**: ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को गति देने के लिए सार्वजनिक सुविधाओं का विस्तार, कृषि और ग्रामीण उद्योगों को समर्थ बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।
- **वित्त और बजटीय नीति**: वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए बजट और नीतियों में सुधार किया जा रहा है, साथ ही बाह्य और आंतरिक ऋणों का संरचना और प्रबंधन किया जा रहा है।
- **सहकारिता की संरचना और वृद्धि**: सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न क्ष
ेत्रों में सहकारी संस्थाओं की विकास और संगठन की प्रक्रिया को मजबूत किया जा रहा है।
ये प्रयास छत्तीसगढ़ के समाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं।