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शब्द साधन-संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, वाच्य, अव्यय (क्रिया विशेषण, संबंध बोधक, विस्मयादि बोधक) कारक फुल जानकारी

शब्द साधन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा शब्दों की उत्पत्ति और विकास का अध्ययन किया जाता है। यह शब्दों के रूप, अर्थ और उपयोग में परिवर्तनों का पता लगाता है।

## शब्दों के प्रकार

संज्ञा: एक व्यक्ति, स्थान, वस्तु या अवधारणा का नाम देती है।

उदाहरण: घर, पुस्तक, आनंद

सर्वनाम: संज्ञाओं की जगह लेता है।

उदाहरण: वह, हम, कौन

विशेषण: किसी संज्ञा या सर्वनाम का वर्णन करता है।

उदाहरण: बड़ा, सुंदर, लाल

क्रिया: एक क्रिया, अवस्था या होने की स्थिति को व्यक्त करती है।

उदाहरण: खाना, सोना, होना

वाच्य: यह दर्शाता है कि क्रिया के कर्ता द्वारा या उसके साथ क्या किया जा रहा है।

कर्मवाच्य: जब कर्ता क्रिया का कर्म होता है।

कर्तृवाच्य: जब कर्ता क्रिया का कार्य करता है।

अव्यय: एक ऐसा शब्द जो अन्य शब्दों को संशोधित करता है लेकिन अपना रूप नहीं बदलता है।

### अव्यय के प्रकार

क्रिया विशेषण: क्रिया को संशोधित करता है।

उदाहरण: जल्दी, धीरे-धीरे, अच्छी तरह से

संबंध बोधक: संज्ञाओं या सर्वनामों को जोड़ता है।

 उदाहरण: और, पर, क्योंकि

विस्मयादि बोधक: आश्चर्य, खुशी या दुख जैसी भावनाओं को व्यक्त करता है।

उदाहरण: ओह!, वाह!, आहा!

## कारक

कारक एक संज्ञा या सर्वनाम का वह संबंध है जो वाक्य में किसी अन्य शब्द से होता है।

### कारकों के प्रकार

कर्ता कारक: क्रिया का कर्ता।

कर्म कारक: क्रिया का कर्म।

करण कारक: जिस साधन या माध्यम से क्रिया की जाती है।

संबंध कारक: जिस व्यक्ति या वस्तु से संबंधित होता है।

अधिकरण कारक: जिस स्थान या समय में क्रिया की जाती है।

संबोधन कारक: जिस व्यक्ति या वस्तु से बात की जाती है।

शब्द (Word) संज्ञा (Noun), सर्वनाम (Pronoun), विशेषण (Adjective), क्रिया (Verb), वाच्य (Voice), अव्यय (Adverb) कारक (Case) इन भिन्न-भिन्न प्रकार के शब्दों को दर्शाते हैं। ये हिंदी भाषा में वाक्य का रचनात्मक अंग होते हैं, जो भाषा को समझने और उसे सही ढंग से प्रयोग करने में मदद करते हैं।

  1. संज्ञा (Noun): ये शब्द हैं जो किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, भावना या विचार को प्रकट करते हैं, जैसे “बालक”, “किताब”, “भारत”, “स्नेह”।
  2. सर्वनाम (Pronoun): ये शब्द हैं जो संज्ञा की जगह ले सकते हैं, जैसे “वह”, “यह”, “मैं”, “उसका”।
  3. विशेषण (Adjective): ये शब्द हैं जो संज्ञा की विशेषता को बढ़ाते हैं, जैसे “सुंदर”, “लाल”, “बड़ा”, “अच्छा”।
  4. क्रिया (Verb): ये शब्द हैं जो किसी क्रिया को दर्शाते हैं, जैसे “खेलना”, “जाना”, “पढ़ना”, “सोना”।
  5. वाच्य (Voice): ये शब्द बताते हैं कि क्रिया किसे हो रही है, जैसे क्रिया करता है (कर्ता), किस पर क्रिया हो रही है (कर्म), या किस संदर्भ में क्रिया हो रही है (करण)।
  6. अव्यय (Adverb): ये शब्द हैं जो क्रिया, विशेषण, वाक्यांश या वाक्य की पूरी समर्थन करते हैं, जैसे “धीरे”, “जल्दी”, “कहीं”, “यहाँ”।

कारक (Case) भी भाषा के गहराई को समझने में मदद करते हैं। ये शब्द वाक्य में किसी क्रिया के संदर्भ, कार्य या करण को दर्शाते हैं। उनमें कुछ प्रमुख कारक हैं:

  • क्रिया विशेषण (Adverbial Modifier): ये कारक वाक्यांश को पूरा करते हैं और किसी क्रिया के तरीके, समय, स्थान या परिस्थिति का वर्णन करते हैं, जैसे “वह बहुत धीरे चलता है।”

  • संबंध बोधक (Relational Case): ये कारक दो या दो से अधिक व्यक्तियों, वस्तुओं या विचारों के बीच संबंध का निर्देश करते हैं, जैसे “मैं उससे मिला।”

  • विस्मयादि बोधक (Exclamatory Case): ये कारक विस्मय, प्रशंसा, असंतोष आदि की भावना को व्यक्त करते हैं, जैसे “वाह! कितना सुंदर नजारा है।”

काल, लिंग, वचन, शब्द रचना की विधियों, उपसर्ग, प्रत्यय संधि (अ) हिन्दी में संधि, (ब) छत्तीसगढ़ी में संधि, समास, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, फुल जानकारी ## हिंदी भाषाविज्ञान

### काल

  1.  भूतकाल
  2.  वर्तमानकाल
  3.  भविष्यकाल

लिंग

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

नपुंसकलिंग

वचन

एकवचन

बहुवचन

### शब्द रचना की विधियाँ

उपसर्ग जोड़ना

प्रत्यय जोड़ना

संधि

समास

### उपसर्ग

निर् + उपस्थिति = निरूपस्थिति (अनुपस्थिति)

दु: + चार = दु:चार (विपत्ति)

### प्रत्यय

लावण्य + वान = लावण्यवान (सुंदर)

दया + लु = दयालु (दयालु)

## संधि

### (अ) हिंदी में संधि

 स्वर संधि

अ + अ = आ (कमल + असन = कमलासन)

इ + अ = ए (नदी + किनारा = नदीकिनारा)

उ + अ = ओ (पुरुष + उत्तर = पुरुषोत्तर)

 व्यंजन संधि

न + त = न्द (मन + तप = मंदताप)

म + प = म्प (स्मरण + पत्र = स्मृतिपत्र)

### (ब) छत्तीसगढ़ी में संधि

 स्वर संधि

उ + अ = ओ (छुआ + असन = छुआसं)

ओ + अ = ओ (खो + अखि = खोअखि)

ई + अ = ऐ (दी + अत = दैत)

 व्यंजन संधि

न + त = न्द (अन + तप = अनदाप)

म + प = म्प (सम + प्रीति = सम्प्रीति)

## समास

दो या दो से अधिक शब्दों का मिलकर एक नया अर्थ देने वाला शब्द।

### प्रकार

अव्ययीभाव समास

तत्पुरुष समास

कर्मधारय समास

द्विगु समास

बहुव्रीहि समास

## छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग

छत्तीसगढ़ राज्य की राजभाषा हिंदी और छत्तीसगढ़ी है।

इसकी स्थापना 8 जनवरी 1976 को हुई थी।

इसका उद्देश्य छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास और संवर्धन को सुनिश्चित करना है।

ठीक है, मैं आपको निम्नलिखित विषयों पर पूरी जानकारी प्रदान करूँगा:

  1. काल (Tense): काल शब्द व्यक्ति या वस्तु की क्रिया के समय को दर्शाते हैं। हिंदी में काल तीन प्रमुख अवस्थाओं में होते हैं – वर्तमान काल, भूतकाल और भविष्यत् काल।
  2. लिंग (Gender): लिंग शब्द व्यक्ति या वस्तु के लिंग को दर्शाते हैं, जो पुल्लिंग (मस्कुलिन), स्त्रीलिंग (फेमिनिन) और नपुंसकलिंग (न्यूट्रल) में हो सकता है।
  3. वचन (Number): वचन शब्द व्यक्ति या वस्तु के संख्या को दर्शाते हैं, जो एकवचन (सिंगुलर) और बहुवचन (प्लुरल) में हो सकता है।
  4. शब्द रचना की विधियाँ (Word Formation Rules): शब्द रचना की विधियाँ शब्दों को बनाने और प्रयोग करने के नियमों को दर्शाती हैं, जैसे उपसर्ग, प्रत्यय, संधि, समास आदि।
  5. उपसर्ग (Prefix): उपसर्ग शब्दों के पहले जुड़कर नए शब्द बनाते हैं और उनका अर्थ परिवर्तित करते हैं।
  6. प्रत्यय (Suffix): प्रत्यय शब्दों के अंत में जुड़कर नए शब्द बनाते हैं और उनका अर्थ परिवर्तित करते हैं।
  7. संधि (Sandhi):
  8.    – (अ) हिंदी में संधि: हिंदी में संधि शब्दों के आपसी मेल को कहते हैं, जो वर्णों के मेल से होती है।
  9.    – (ब) छत्तीसगढ़ी में संधि: छत्तीसगढ़ी में भी संधि की विधियाँ होती हैं, जो शब्दों के मेल को दर्शाती हैं।
  10. समास (Compound): समास शब्दों के मेल से नए शब्द बनाते हैं, जो अलग-अलग शब्दों के विभिन्न प्रकारों में होते हैं, जैसे तत्सम, तद्भव, द्विगु, बहुब्रीहि, कर्मधारय, अव्ययीभाव आदि।
  11. छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग: छत्तीसगढ़ राज्य की राजभाषा की रचना, प्रयोग और विकास के लिए राजभाषा आयोग की गठन होती है, जो राजभाषा की विकास और संरक्षण के लिए निर्देशन प्रदान करता है।

यदि आपको इन विषयों पर और विस्तृत जानकारी चाहिए तो कृपया पूछें!

छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास में समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, आकाशवाणी व सिनेमा की भूमिका, लोकव्यवहार में छत्तीसगढ़ी, फुल जानकारी छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास में समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, आकाशवाणी और सिनेमा की भूमिका

छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास में निम्नलिखित माध्यमों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है:

समाचार पत्र और पत्रिकाएं:

छत्तीसगढ़ी में पहला समाचार पत्र “छत्तीसगढ़ मित्र” 1936 में प्रकाशित हुआ था।

इसके बाद “नई दुनिया”, “दैनिक भास्कर” और “पत्रिका” जैसे समाचार पत्रों ने छत्तीसगढ़ी संस्करण निकाले।

समाचार पत्रों में छत्तीसगढ़ी भाषा में लेख, समाचार और साहित्य का प्रकाशन हुआ, जिससे भाषा की पहुंच बढ़ी और मानकीकरण में मदद मिली।

आकाशवाणी:

आकाशवाणी ने 1961 में रायपुर से छत्तीसगढ़ी प्रसारण शुरू किया।

आकाशवाणी ने छत्तीसगढ़ी लोकगीतों, कहानियों, नाटकों और समाचारों का प्रसारण किया, जिससे भाषा को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाया गया।

इससे छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रचार-प्रसार हुआ और इसे लोकप्रिय बनाने में मदद मिली।

सिनेमा:

छत्तीसगढ़ी सिनेमा ने छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म “संत घासीदास” 1984 में रिलीज़ हुई थी।

इसके बाद “मै हुं छत्तीसगढ़िया”, “बोरिया मजदूर” और “निशाना” जैसी फिल्में रिलीज़ हुईं, जो व्यावसायिक रूप से सफल रहीं।

छत्तीसगढ़ी सिनेमा ने छत्तीसगढ़ी भाषा को बड़े पर्दे पर लाया और इसे युवाओं और शहरी क्षेत्रों में लोकप्रिय बनाने में मदद की।

लोकव्यवहार में छत्तीसगढ़ी:

छत्तीसगढ़ी राज्य की राजभाषा है और इसका व्यापक रूप से लोकव्यवहार में उपयोग किया जाता है।

लोग अपने दैनिक जीवन में, घर पर, बाजारों में और सार्वजनिक स्थानों पर छत्तीसगढ़ी बोलते हैं।

छत्तीसगढ़ी भाषा संस्कृति, विरासत और राज्य की पहचान से जुड़ी हुई है।

छत्तीसगढ़ी भाषा पर निरंतर प्रभाव:

उपरोक्त माध्यमों के अलावा, निम्नलिखित कारकों ने भी छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास पर निरंतर प्रभाव डाला है:

शिक्षा: छत्तीसगढ़ी को स्कूलों में एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है, जो भाषा की स्थिरता और विकास में मदद करता है।

साहित्य: छत्तीसगढ़ी लेखकों ने उपन्यास, कहानियां, कविताएं और नाटक लिखे हैं, जिससे भाषा की समृद्धि हुई है।

सोशल मीडिया: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रचार-प्रसार का एक प्रमुख साधन बन गए हैं।

डिजिटल मीडिया: छत्तीसगढ़ी ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल, ब्लॉग और ई-किताबें भाषा की पहुंच का विस्तार कर रही हैं।

इस प्रकार, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, आकाशवाणी, सिनेमा और लोकव्यवहार ने मिलकर छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन माध्यमों ने भाषा को मानकीकृत किया है, इसकी पहुंच का विस्तार किया है, इसे लोकप्रिय बनाया है और इसकी स्थिरता सुनिश्चित की है।

छत्तीसगढ़ी भाषा का विकास मुख्य रूप से समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, आकाशवाणी (रेडियो), और सिनेमा के माध्यम से हुआ है। ये सभी माध्यम छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को प्रोत्साहित करते हैं और उसे लोक-स्तरीय भाषा के रूप में स्थापित करने में मदद करते हैं।

  1. समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की भूमिका: समाचार पत्रों और पत्रिकाओं ने छत्तीसगढ़ी भाषा को प्रमोट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कई स्थानीय समाचार पत्रों और पत्रिकाओं ने छत्तीसगढ़ी भाषा में समाचार प्रकाशित किए हैं, जिससे भाषा का प्रचार और प्रसार हुआ है।
  2. आकाशवाणी (रेडियो): छत्तीसगढ़ में स्थानीय रेडियो स्टेशनें भी छत्तीसगढ़ी भाषा को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे समाचार, कार्यक्रम और गीतों को छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रसारित करते हैं, जिससे लोगों को अपनी भाषा का समर्थन मिलता है।
  3. सिनेमा: छत्तीसगढ़ में स्थानीय सिनेमा उद्यम भी छत्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा देता है। छत्तीसगढ़ में बनी फिल्मों में छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग होता है, जिससे लोग अपनी भाषा के प्रति गर्व महसूस करते हैं।
  4. लोकव्यवहार में छत्तीसगढ़ी: छत्तीसगढ़ में लोकव्यवहार भी छत्तीसगढ़ी भाषा को स्थायीत्व और सम्मान प्रदान करता है। लोग अपनी भाषा को अपने दैनिक जीवन में उपयोग करते हैं, जैसे कि बोलचाल, गीत, नृत्य, और कथाएँ। इससे भाषा का प्रचार और प्रसार होता है।

ये सभी आधार हैं जो छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहाँ तक कि स्थानीय सरकारें और शैक्षिक संस्थान भी छत्तीसगढ़ी भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए कई पहल कर रही हैं।

छत्तीसगढ़ी भाषा का सामान्य परिचय-नामकरण, छत्तीसगढ़ी भाषा का परिचय, छत्तीसगढ़ी में क्रियाओं में वर्तमान, फुल जानकारी चुमावट्टी भाषा का सामान्य परिचय

नामकरण

छत्तीसगढ़ी भाषा का नाम छत्तीसगढ़ राज्य से लिया गया है, जहां यह मुख्य रूप से बोली जाती है। इसे छत्तीसगढ़ी की भी कहा जाता है।

परिचय

छत्तीसगढ़ी इंडो-आर्यन भाषा परिवार की एक पूर्वी हिंदी भाषा है। यह छत्तीसगढ़ राज्य की आधिकारिक भाषा है और भारत के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में लगभग 17 मिलियन लोगों द्वारा बोली जाती है।

छत्तीसगढ़ी को उसकी विशिष्ट ध्वन्यात्मक विशेषताओं, जैसे कि एल्पकालिक स्वरों की उपस्थिति, स्वरों का लोप, और व्यंजनों का ध्वनिकरण द्वारा पहचाना जाता है। इसके व्याकरण में कुछ विशिष्ट विशेषताएं भी हैं, जैसे कि क्रिया रूपों का एक जटिल तंत्र और नामवाचकों के लिए चार लिंग।

क्रियाओं में वर्तमान

छत्तीसगढ़ी में क्रियाओं में वर्तमान काल व्यक्त करने के लिए कई रूप हैं:

वर्तमान सामान्य: इस रूप का उपयोग वर्तमान में हो रही सामान्य या आदतन क्रियाओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। प्रत्यय “ला” या “ता” जोड़ा जाता है।

     उदाहरण: अउं करतुला (मैं काम कर रहा हूं)

वर्तमान निरंतर: इस रूप का उपयोग वर्तमान समय में चल रही या अधूरी क्रियाओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। प्रत्यय “तार” जोड़ा जाता है।

     उदाहरण: अउं करतार (मैं काम कर रहा हूं)

वर्तमान संपूर्ण: इस रूप का उपयोग वर्तमान समय तक पूरी हुई क्रियाओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। प्रत्यय “लइस” जोड़ा जाता है।

     उदाहरण: अउं करलइस (मैंने काम किया है)

वर्तमान पूर्ण निरंतर: इस रूप का उपयोग वर्तमान समय तक चल रही या अधूरी क्रियाओं और उनके परिणामों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। प्रत्यय “तार” और “लइस” दोनों जोड़े जाते हैं।

     उदाहरण: अउं करतारलइस (मैं काम कर रहा हूं और काम पूरा हो चुका है)

वर्तमान अनुमान: इस रूप का उपयोग वर्तमान समय में हो रही अनुमानित या संभावित क्रियाओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। प्रत्यय “हान” या “उर” जोड़ा जाता है।

     उदाहरण: अउं करिहान (मैं काम कर रहा होगा)

छत्तीसगढ़ी भाषा का सामान्य परिचय और नामकरण:

छत्तीसगढ़ी भाषा, भारत के मध्य भाग में स्थित छत्तीसगढ़ राज्य की राजभाषा है। यह भाषा छत्तीसगढ़ के स्थानीय लोगों की मुख्य भाषा है और इसे छत्तीसगढ़ी के रूप में भी जाना जाता है। छत्तीसगढ़ी भाषा का विकास मुख्य रूप से मुंडारी भाषा परिवार से हुआ है।

छत्तीसगढ़ी में क्रियाओं में वर्तमान:

छत्तीसगढ़ी भाषा में क्रियाओं को विभिन्न विधियों में व्यक्त किया जाता है, जैसे प्रथम, मध्यम और अंतिम वर्तमान का प्रकटीकरण होता है। यहां विभिन्न वर्तमान के उदाहरण हैं:

  1. प्रथम वर्तमान: “हाय, मैं जा रहा हूँ”। (“हाय” वर्तमान का प्रथम वर्तमान है)
  2. मध्यम वर्तमान: “हम जा रहे हैं”। (“हम” वर्तमान का मध्यम वर्तमान है)
  3. अंतिम वर्तमान: “वह जा रहा है”। (“वह” वर्तमान का अंतिम वर्तमान है)

यह तीन वर्तमान भाषा में क्रियाओं को समझने में मदद करते हैं।

छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास में और विस्तृत जानकारी चाहिए तो कृपया पूछें।

भूत तथा पूर्ण अपूर्ण वर्तमान भविष्य काल के रूप, काल, लिखना-क्रिया के भूतकाल के रूप, पूर्ण अपूर्ण भूतकाल, पढ़ना-क्रिया के भविष्यकाल के रूप, पूर्ण अपूर्ण भविष्यकाल, पाद-टिप्पणी।

फुल जानकारी क्रिया के काल

क्रिया किसी कार्य या अवस्था के घटित होने के समय को इंगित करती है। काल तीन प्रकार के होते हैं: भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्यकाल।

भूतकाल

भूतकाल उस समय को इंगित करता है जो वर्तमान से पहले घटित हो चुका होता है।

पूर्ण भूतकाल

क्रिया की संपूर्णता या समाप्ति को इंगित करता है।

सहायक क्रिया “है” या “थे” के साथ क्रिया के भूत कृदंत का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण: लिखा है, पढ़ा था

अपूर्ण भूतकाल

क्रिया के निरंतर या दोहराए जाने वाले कार्यों को इंगित करता है।

सहायक क्रिया “था” या “थे” के साथ क्रिया के वर्तमान कृदंत का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण: लिख रहा था, पढ़ता था

वर्तमान काल

वर्तमान काल उस समय को इंगित करता है जो वर्तमान में घटित हो रहा होता है।

पूर्ण वर्तमान काल

क्रिया की प्रगति या निरंतरता को इंगित करता है।

सहायक क्रिया “है” या “हैं” के साथ क्रिया के वर्तमान कृदंत का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण: लिख रहा है, पढ़ रहा है

अपूर्ण वर्तमान काल

क्रिया के सामान्य या आदतन कार्यों को इंगित करता है।

सहायक क्रिया “है” या “हैं” के साथ क्रिया के मूल रूप का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण: लिखता है, पढ़ता है

भविष्यकाल

भविष्यकाल उस समय को इंगित करता है जो वर्तमान के बाद घटित होगा।

पूर्ण भविष्यकाल

क्रिया की संपूर्णता या समाप्ति को इंगित करता है।

सहायक क्रिया “होगा” या “होंगे” के साथ क्रिया के भूत कृदंत का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण: लिखा होगा, पढ़ा होगा

अपूर्ण भविष्यकाल

क्रिया के निरंतर या दोहराए जाने वाले कार्यों को इंगित करता है।

सहायक क्रिया “होगा” या “होंगे” के साथ क्रिया के वर्तमान कृदंत का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण: लिखता रहेगा, पढ़ता रहेगा

पाद-टिप्पणी

पाद-टिप्पणी पाठ में दिए गए शब्दों या वाक्यांशों के बारे में अतिरिक्त जानकारी या स्पष्टीकरण प्रदान करती है। ये पाठ के नीचे एक संख्या या प्रतीक के रूप में दिखाई देते हैं और एक अलग खंड में संदर्भित होते हैं।

भारतीय भाषाओं में, क्रिया के विभिन्न काल (tenses) होते हैं, जिनमें भूतकाल (past tense), वर्तमान काल (present tense), और भविष्य काल (future tense) शामिल होते हैं। इसके साथ ही, वर्तमान काल के अपूर्ण और पूर्ण रूप, भूतकाल के अपूर्ण और पूर्ण रूप, भविष्य काल के अपूर्ण और पूर्ण रूप होते हैं। ये रूप क्रिया के समय को और उसके प्रयोग को निर्दिष्ट करते हैं।

यहाँ वर्तमान, भूत, और भविष्य काल के पूर्ण और अपूर्ण रूप के उदाहरण हैं:

  1. पढ़ना (to read):
  • वर्तमान काल: मैं पढ़ रहा/रही/रहे हूँ। (I am reading.)

  • भूतकाल:

  • पूर्ण रूप: मैंने पढ़ा। (I read.)

  • अपूर्ण रूप: मैं पढ़ रहा/रही/रहे था। (I was reading.)

   – भविष्य काल:

  • पूर्ण रूप: मैं पढ़ूँगा/पढ़ूँगी। (I will read.)

  • अपूर्ण रूप: मैं पढ़ रहा/रही/रहूँगा/रहूँगी। (I will be reading.)

  1. लिखना (to write):
  • वर्तमान काल: वह लिख रहा/रही/रहे है। (He/She is writing.)

  • भूतकाल:

  • पूर्ण रूप: वह लिख चुका/चुकी/चुके है। (He/She has written.)

  • अपूर्ण रूप: वह लिख रहा/रही/रहे था। (He/She was writing.)

   – भविष्य काल:

  • पूर्ण रूप: वह लिखेगा/लिखेगी। (He/She will write.)

  • अपूर्ण रूप: वह लिख रहा/रही/रहेगा/रहेगी। (He/She will be writing.)

पाद-टिप्पणी: कृपया ध्यान दें कि हर भाषा में क्रियाओं के विभिन्न कालों के रूपों की संख्या और उपयोग में थोड़ी भिन्नता हो सकती है। इसलिए, ऊपर दिए गए उदाहरण आम रूप से उपयोग किए जाने वाले रूप हैं, लेकिन विशिष्ट भाषा और संदर्भ के लिए वे बदल सकते हैं।

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