- संज्ञा
संज्ञा किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, भावना, विचार आदि का नाम है।
उदाहरण:
- व्यक्ति: मोहन, रीमा, शिक्षक, डॉक्टर
- स्थान: भारत, दिल्ली, स्कूल, घर
- वस्तु: किताब, पेन, कुर्सी, टेबल
- भावना: खुशी, दुःख, क्रोध, प्रेम
- विचार: सपना, योजना, कल्पना, सिद्धांत
- सर्वनाम
सर्वनाम किसी संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द हैं।
उदाहरण:
- व्यक्ति: मैं, तुम, आप, वह, वे
- निर्देश: यह, वह, ये, वे
- संबंध: मेरा, तुम्हारा, उसका, इनका
- विशेषण
विशेषण किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है।
उदाहरण:
- गुण: सुंदर, बड़ा, छोटा, अच्छा, बुरा
- संख्या: एक, दो, तीन, चार, पांच
- संबंध: मेरा, तुम्हारा, उसका, इनका
- क्रिया
क्रिया किसी कार्य, घटना या अवस्था को दर्शाती है।
उदाहरण:
- कर्म: खाना, पीना, सोना, जागना, पढ़ना
- अवस्था: होना, रहना, बैठना, खड़ा होना
- भाव: हंसना, रोना, डरना, शर्माना
व्यावहारिक प्रयोग:
संज्ञा:
- मोहन एक छात्र है।
- दिल्ली भारत की राजधानी है।
- पेन से लिखना आसान है।
- खुशी एक अच्छी भावना है।
सर्वनाम:
- मैं स्कूल जाता हूँ।
- तुम क्या कर रहे हो?
- वह डॉक्टर है।
- ये किताबें मेरी हैं।
विशेषण:
- लाल गुलाब बहुत सुंदर है।
- बड़ा हाथी शक्तिशाली होता है।
- मेरा दोस्त ईमानदार है।
क्रिया:
- बच्चा खेल रहा है।
- पक्षी उड़ रहा है।
- वह सो रहा है।
- मैं खाना खा रहा हूँ।
उम्मीद है यह जानकारी आपको उपयोगी लगेगी।
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया का व्यावहारिक प्रयोग
संज्ञा: व्यक्तियों, स्थानों या चीजों के नामकरण के लिए उपयोग की जाती हैं।
उदाहरण: लड़का, स्कूल, पुस्तक
सर्वनाम: संज्ञाओं के स्थान पर उपयोग किए जाते हैं।
उदाहरण: वह, वे, हमारा, तुम्हारा
विशेषण: संज्ञाओं या सर्वनामों का वर्णन या परिभाषा करते हैं।
उदाहरण: बड़ा, छोटा, सुंदर, बुद्धिमान
क्रिया: क्रियाओं या अवस्थाओं को व्यक्त करती हैं।
व्यावहारिक प्रयोग:
वाक्य 1: लड़का स्कूल गया।
संज्ञा: लड़का, स्कूल
सर्वनाम: कोई नहीं
विशेषण: कोई नहीं
क्रिया: गया
वाक्य 2: बड़ी किताब मेज पर है।
संज्ञा: किताब, मेज
सर्वनाम: कोई नहीं
विशेषण: बड़ी
क्रिया: है
वाक्य 3: हम तुम्हारे घर जाएंगे।
संज्ञा: घर
सर्वनाम: हम, तुम्हारा
विशेषण: कोई नहीं
क्रिया: जाएंगे
वाक्य 4: सुंदर बच्चा खिलौने के साथ खेल रहा है।
संज्ञा: बच्चा, खिलौना
सर्वनाम: कोई नहीं
विशेषण: सुंदर
क्रिया: खेल रहा है
संज्ञा: मित्र (Friend), गाड़ी (Car), पुस्तक (Book), घर (House)
सर्वनाम: यहाँ (Here), वहाँ (There), उसने (He/She/They), तुम (You)
विशेषण: सुंदर (Beautiful), लाल (Red), बड़ा (Big), छोटा (Small)
क्रिया: खेलना (Play), लिखना (Write), पढ़ना (Read), खाना (Eat)
बिल्कुल, यहाँ व्यावहारिक प्रयोग हैं:
- संज्ञा: राजू ने अपने मित्र से मिलने का निश्चय किया। (Raju decided to meet his friend.)
- सर्वनाम: वहाँ खड़ी लड़की ने उसको देखा और मुस्कुरा दिया। (The girl standing there saw him and smiled.)
- विशेषण: यह बड़ी लाल गाड़ी उसकी है। (This big red car is his.)
- क्रिया: वे स्कूल जाने के लिए तैयार हो रहे हैं। (They are getting ready to go to school.)
समास- रचना एवं प्रकार
समास-रचना
समास दो या दो से अधिक शब्दों के मिलने से बना एक नया शब्द होता है। ये शब्द एक साथ जुड़कर एक नया अर्थ प्रकट करते हैं। समास-रचना निम्नलिखित चरणों में की जाती है:
- शब्दों का चयन: दो या दो से अधिक शब्द चुनें जो एक साथ एक नया अर्थ प्रकट कर सकें।
- आदेश निर्धारण: शब्दों को ऐसे क्रम में रखें जो उनके अर्थ को स्पष्ट करे।
- संधि: यदि आवश्यक हो, तो शब्दों के बीच स्वर या व्यंजन मिलाएँ ताकि वे सुचारू रूप से जुड़ सकें।
- लिंग और वचन का निर्धारण: समस्त शब्द का लिंग और वचन उसके प्रधान उपपद के अनुसार निर्धारित होता है।
समास के प्रकार
समास को उनकी संरचना और अर्थ के आधार पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
- तत्पुरुष समास
इसमें एक शब्द दूसरे शब्द का विशेषण बन जाता है।
संरचना: विशेष्य + विशेष्य
उदाहरण: नीलकमल (नील कमल)
- कर्मधारय समास
इसमें दो शब्द एक साथ एक नया अर्थ प्रकट करते हैं जो उन शब्दों के शाब्दिक अर्थ से अलग होता है।
संरचना: विशेष्य + विशेष्य
उदाहरण: नीलकंठ (शिव)
- द्विगु समास
इसमें दो समान शब्द जुड़कर एक तीव्रता या बहुलता का भाव प्रकट करते हैं।
संरचना: शब्द + शब्द
उदाहरण: राम-राम (बार-बार राम का नाम लेना)
- अव्ययीभाव समास
इसमें एक शब्द एक अव्यय हो जाता है और दूसरे शब्द का विशेषण बन जाता है।
संरचना: अव्यय + विशेष्य
उदाहरण: रातों-रात (बहुत तेजी से)
- बहुव्रीहि समास
इसमें दो शब्द मिलकर एक ऐसे तीसरे शब्द के अर्थ को प्रकट करते हैं जो उन शब्दों में से किसी में भी व्यक्त नहीं होता है।
संरचना: विशेष्य + विशेष्य
उदाहरण: कमललोचन (कमल के समान नेत्र वाला)
- द्वंद्व समास
इसमें दो या दो से अधिक समान अर्थ वाले शब्द जुड़कर एक नया शब्द बनाते हैं।
संरचना: शब्द + शब्द + …
उदाहरण: रोटी-दाल (खाने की दो वस्तुएँ)
- संधि समास
इसमें दो या दो से अधिक शब्द मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं जिसमें कोई शब्द काट दिया जाता है या संक्षिप्त कर दिया जाता है।
संरचना: शब्द + संधि + शब्द
उदाहरण: रामचंद्र (राम + चंद्र)
समास संस्कृत भाषा का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो दो या अधिक शब्दों को जोड़कर एक नया शब्द बनाता है। समास का उपयोग भाषा को संक्षिप्त करने में मदद करता है और भाषा की समृद्धि को बढ़ाता है।
समास के प्रकार:
- तत्पुरुष समास: इसमें दोनों शब्दों में सम्बंध दिखाता है, जिसमें पहला शब्द दूसरे शब्द के गुण या विशेषता को बताता है। उदाहरण: गायों का दूध (Cow’s milk), लाल किताब (Red book)
- बहुव्रीहि समास: इसमें शब्दों का संयोजन होता है और एक नया शब्द बनता है, जो दोनों के अर्थ को समझाता है। उदाहरण: महानुभाव (Great personality), दानशील (Charitable)
- कर्मधारय समास: इसमें दोनों शब्दों के अर्थ का एक नया शब्द बनता है, जो उनके सम्बंध को दर्शाता है। उदाहरण: दुःखहर्ता (Sorrow bearer), राजधानी (Capital)
- द्वंद्व समास: इसमें दो या दो से अधिक शब्दों का सम्बन्ध होता है, जो एक समान कार्य को करते हैं। उदाहरण: राम-श्याम (Ram and Shyam), सिता-राम (Sita and Ram)
इन प्रकार के समास भाषा को और भी संवेदनशील और समृद्ध बनाते हैं।
समास- रचना एवं प्रकार
समास दो या दो से अधिक पदों के मिलने से बने शब्द को कहते हैं। समास में पदों के बीच विभक्तियों का लोप हो जाता है और एक नया अर्थ बनता है।
समास- रचना:
- पूर्वपद: समास में प्रथम पद को पूर्वपद कहते हैं।
- उत्तरपद: समास में द्वितीय पद को उत्तरपद कहते हैं।
- समस्तपद: समास से बने नए शब्द को समस्तपद कहते हैं।
समास के प्रकार:
समास मुख्य रूप से छः प्रकार के होते हैं:
- तत्पुरुष समास: इस समास में उत्तरपद प्रधान होता है।
- कर्मधारय समास: इस समास में दोनों पद प्रधान होते हैं।
- द्विगु समास: यह कर्मधारय समास का उपभेद होता है।
- द्वन्द्व समास: इस समास में दोनों पद समान रूप से प्रधान होते हैं।
- बहुव्रीहि समास: इस समास में समस्तपद किसी अन्य पद का विशेषण होता है।
- अव्ययीभाव समास: इस समास में पहला पद अव्यय होता है।
उदाहरण:
- तत्पुरुष समास: राजा का पुत्र = राजपुत्र
- कर्मधारय समास: नीला कमल = नीलकमल
- द्विगु समास: चार हाथ = चतुर्भुज
- द्वन्द्व समास: माता-पिता = मातापिता
- बहुव्रीहि समास: जिसके पास चार हाथ हैं = चतुर्भुज
- अव्ययीभाव समास: सदैव = सदैव
समास- विग्रह:
समास- विग्रह समस्तपद को उसके मूल पदों में तोड़ने की प्रक्रिया है।
उदाहरण:
- राजपुत्र = राजा का पुत्र
- नीलकमल = नीला कमल
- चतुर्भुज = चार हाथ
समास का महत्व:
- समास भाषा को संक्षिप्त और प्रभावशाली बनाता है।
- समास भाषा में अर्थ की गहराई लाता है।
- समास भाषा को अधिक अभिव्यंजक बनाता है।
यह जानकारी आपको उपयोगी लगी होगी।
अतिरिक्त जानकारी:
अन्य प्रश्न:
- समास के भेदों का विस्तार से वर्णन करें।
- समास- विग्रह के नियमों का उल्लेख करें।
- समास के कुछ उदाहरण दें।
संधि – स्वर, व्यंजन एवं विसर्ग संधि
स्वर संधि
जब दो स्वर एक साथ आते हैं, तो वे मिलकर एक नया स्वर बनाते हैं। स्वर संधि तीन प्रकार की होती है:
दीर्घ संधि: जब दो समान स्वर मिलते हैं, तो उनका दीर्घ रूप बनता है। उदाहरण: राम + ईश्वर = रा मीश्वर
गुण संधि: जब दो भिन्न स्वर मिलते हैं, तो पहला स्वर गुणवान हो जाता है। उदाहरण: हाय + ईश्वर = हे ईश्वर
वृद्धि संधि: जब दो भिन्न स्वर मिलते हैं, तो पहला स्वर वृद्धिमान हो जाता है। उदाहरण: वय + ईश्वर = वै ईश्वर
व्यंजन संधि
जब दो व्यंजन एक साथ आते हैं, तो वे मिलकर एक नया व्यंजन बनाते हैं। व्यंजन संधि दो प्रकार की होती है:
संयोज्य संधि: जब दो व्यंजन एक साथ मिलते हैं, तो उनका संयोग हो जाता है। उदाहरण: क + त = क्त
विसर्ग संधि: जब एक व्यंजन के बाद विसर्ग आता है, तो विसर्ग का लोप हो जाता है। उदाहरण: त + : = त:
विसर्ग संधि
जब एक शब्द के अंत में विसर्ग आता है और अगले शब्द के प्रारंभ में स्वर या व्यंजन आता है, तो विसर्ग का लोप हो जाता है। विसर्ग संधि तीन प्रकार की होती है:
सर्वथा निषेध संधि: जब विसर्ग के बाद स्वर आता है, तो विसर्ग का सर्वथा लोप हो जाता है। उदाहरण: इति + अस्ति = इति अस्ति
अर्डध निषेध संधि: जब विसर्ग के बाद व्यंजन आता है, तो विसर्ग का आधा लोप होता है और आधा व्यंजन के साथ मिल जाता है। उदाहरण: तत् + च = तच्च
विकल्प निषेध संधि: जब विसर्ग के बाद अक्षर आता है, तो विसर्ग का या तो लोप हो जाता है या फिर वह रह जाता है। उदाहरण: तत् + किल = तत् किल/त: किल
संधि व्याकरण में वे परिवर्तन होते हैं जो दो या दो से अधिक शब्दों के आपसी संपर्क में होते हैं। इसमें तीन प्रकार की संधियाँ होती हैं:
- स्वर संधि: जब दो स्वरों का मिलना होता है, तो वे मिलने पर उनमें संधि होती है। उदाहरण के लिए, वायु + उत्तर = वायुत्तर (Air + North = North wind)
- व्यंजन संधि: जब दो व्यंजनों का मिलना होता है, तो वे मिलने पर उनमें संधि होती है। उदाहरण के लिए, ग्राम + उद्धारण = ग्रामोद्धारण (Village + Uddharan = Development of villages)
- विसर्ग संधि: जब कोई शब्द एक विसर्ग के साथ शुरू होता है और दूसरा शब्द एक विसर्ग के साथ समाप्त होता है, तो उनमें संधि होती है। उदाहरण के लिए, आत्म + इष्ट = आत्मैष्ट (Self + Esteem = Self-esteem)
इन संधियों का समय-समय पर अध्ययन करना व्याकरण में ठीक से लिखाई और उच्च गुणवत्ता की भाषा के लिए महत्वपूर्ण है।
संधि – स्वर, व्यंजन एवं विसर्ग संधि
संधि शब्दों के मेल से उत्पन्न होने वाले परिवर्तनों को दर्शाता है। यह तीन प्रकार का होता है:
- स्वर संधि: जब दो स्वरों का मेल होता है तो स्वर संधि होती है। स्वर संधि के तीन प्रकार होते हैं:
- दीर्घ संधि: जब दो स्वरों का मेल होकर एक दीर्घ स्वर बनता है तो दीर्घ संधि होती है।
- गुण संधि: जब “अ” के मेल से “आ”, “इ” के मेल से “ई”, “उ” के मेल से “ऊ” बनता है तो गुण संधि होती है।
- वृद्धि संधि: जब “अ” के मेल से “ए”, “इ” के मेल से “ऐ”, “उ” के मेल से “ओ” बनता है तो वृद्धि संधि होती है।
उदाहरण:
- दीर्घ संधि: राम + इंद्र = रामेंद्र
- गुण संधि: देव + अग्नि = देवाग्नि
- वृद्धि संधि: पुरुष + ऋषि = पुरुषर्षि
- व्यंजन संधि: जब दो व्यंजनों का मेल होता है तो व्यंजन संधि होती है। व्यंजन संधि के कई प्रकार होते हैं, जैसे:
- स्पर्श संधि: जब दो स्पर्श व्यंजनों का मेल होता है तो स्पर्श संधि होती है।
- अनुस्वार संधि: जब “न” के बाद “य”, “र”, “ल”, “व” या “ह” आता है तो अनुस्वार संधि होती है।
- यम संधि: जब “य” के बाद “म” आता है तो यम संधि होती है।
उदाहरण:
- स्पर्श संधि: राजा + पुरुष = राजपुरुष
- अनुस्वार संधि: राम + नारायण = रामनारायण
- यम संधि: यम + मुनि = यमुनि
- विसर्ग संधि: जब “ः” के बाद स्वर या व्यंजन आता है तो विसर्ग संधि होती है। विसर्ग संधि के दो प्रकार होते हैं:
- अयादि संधि: जब “ः” के बाद “अ” या “आ” आता है तो “ः” “ह” में बदल जाता है।
- उपसर्ग संधि: जब “ः” के बाद “इ”, “उ”, “ए”, “ऐ”, “ओ”, “औ” या व्यंजन आता है तो “ः” “र्” में बदल जाता है।
उदाहरण:
- अयादि संधि: सः + अस्त = स हस्त
- उपसर्ग संधि: सः + इंद्र = स रिंद्र
यह जानकारी आपको उपयोगी लगी होगी।
अतिरिक्त जानकारी:
- संधि के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप NCERT की कक्षा 10 की हिंदी की पाठ्यपुस्तक देख सकते हैं।
- आप पर भी जा सकते हैं।
अन्य प्रश्न:
- स्वर संधि के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।
- व्यंजन संधि के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।
- विसर्ग संधि के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।
- संधि के कुछ उदाहरण दें।
व्याकरणिक अशुद्धियां
शब्दावली में अशुद्धियां
अशुद्ध शब्दावली (जैसे, “फूड” के बजाय “भोजन”)
शब्दों का अनुचित उपयोग (जैसे, “कंप्यूटर” के बजाय “लैपटॉप”)
शब्दों का गलत उच्चारण (जैसे, “एफेक्ट” के बजाय “इफेक्ट”)
शब्दों का गलत वर्तनी (जैसे, “डेफिनेट” के बजाय “निश्चित”)
वाक्य रचना में अशुद्धियां
वाक्यों की गलत संरचना (जैसे, “वह मेज पर दौड़ा” के बजाय “वह मेज पर दौड़ा”)
काल या वचन में असंगति (जैसे, “वह कल स्कूल गए” के बजाय “वह कल स्कूल गया”)
सर्वनाम का गलत उपयोग (जैसे, “उसने खुद को देखा” के बजाय “उसने खुद को देखा”)
विकृत संयोजक (जैसे, “और” के बजाय “क्योंकि”)
व्याकरण में अशुद्धियां
संज्ञाओं का गलत संधि (जैसे, “उसका कुत्ता” के बजाय “उसका कुत्ते”)
क्रियाओं का गलत संयुग्मन (जैसे, “वह खाता है” के बजाय “वह खाता है”)
विशेषणों और क्रिया विशेषणों का गलत रूप (जैसे, “अच्छा” के बजाय “अच्छी”)
पूर्वसर्गों का गलत उपयोग (जैसे, “पर” के बजाय “के”)
विराम चिह्न में अशुद्धियां
विराम चिह्न का गलत स्थान या उपयोग (जैसे, अल्पविराम के बजाय अवधि)
उद्धरण चिह्नों या ब्रेस का अनुपयुक्त उपयोग
विस्मयादिबोधक चिह्नों या प्रश्न चिह्नों का अति प्रयोग
वाक्य रचना संबंधी अशुद्धियां
अजीब वाक्य संरचनाएं या अभिव्यक्तियाँ (जैसे, “वह उतना ही चतुर है जितना खूबसूरत है”)
अनावश्यक पुनरावृत्ति या अतिरेक (जैसे, “वह वास्तव में बहुत ही शानदार है”)
अस्पष्टता या двусмысленность (जैसे, “वह अपनी कार बेचने जा रही है, लेकिन वह इसे नहीं कर सकती”)
व्याकरणिक अशुद्धियाँ भाषा के अनुचित उपयोग से होती हैं, जो शब्दों, वाक्यों या वाक्यांशों के संरचन में गलतियों को उत्पन्न करती हैं। यहाँ कुछ सामान्य व्याकरणिक अशुद्धियाँ हैं:
- वचनभंगि: जब किसी एक वचन के शब्द को दूसरे वचन में प्रयोग किया जाता है, तो इसे वचनभंगि कहते हैं। उदाहरण: “उसके चाचा एक अधिकारी है” यहाँ “चाचा” का वचन “चाचे” होना चाहिए।
- लिंगभंगि: जब किसी एक लिंग के शब्द को दूसरे लिंग में प्रयोग किया जाता है, तो इसे लिंगभंगि कहते हैं। उदाहरण: “मैंने उसे लड़का देखा” यहाँ “लड़का” की जगह “लड़की” होना चाहिए।
- संधि अशुद्धि: जब संधि का नियमित अनुपालन नहीं होता, तो यह व्याकरणिक अशुद्धि के रूप में सामने आता है। उदाहरण: “राम और श्याम कहाँ गए?” यहाँ “राम” और “और” के बीच स्वर संधि का नियमित अनुपालन नहीं हो रहा है।
- अर्थशुद्धि: अक्सर शब्दों का गलत अर्थात्मक प्रयोग करने से भी व्याकरणिक अशुद्धि होती है। उदाहरण: “मैंने उसके अंग देखे” यहाँ “अंग” की जगह “वस्त्र” होना चाहिए।
इन अशुद्धियों का समाधान शब्दों और वाक्यों का संरचन और उपयोग सही करके किया जा सकता है, जिससे भाषा का प्रयोग सही और सुगम हो।
व्याकरणिक अशुद्धियां ( व्याकरणिक_अशुद्धियाँ ) यानी grammatical errors हिंदी भाषा में लिखते या बोलते समय होने वाली गलतियों को कहते हैं। ये अशुद्धियां कई तरह की हो सकती हैं, जिनमें से कुछ मुख्य प्रकार हैं:
- शब्द रूपों की गलतियां:
- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के गलत रूपों का प्रयोग।
- लिंग, वचन और कारक में असहमति।
- विभक्ति चिह्नों का गलत प्रयोग।
- वाक्य रचना की गलतियां:
- वाक्य में कर्ता और क्रिया का असमंजस।
- वाक्य में पदों का गलत क्रम।
- अनावश्यक शब्दों का प्रयोग।
- वाक्य में स्पष्टता का अभाव।
- समास और संधि की गलतियां:
- गलत समास बनाना।
- स्वर, व्यंजन और विसर्ग संधि के नियमों का पालन न करना।
- अनावश्यक शब्द प्रयोग:
- वाक्य में ऐसे शब्दों का प्रयोग करना जिनकी कोई जरूरत नहीं होती।
- क्लिच वाक्यांशों का प्रयोग।
व्याकरणिक अशुद्धियों को कैसे सुधारें?
- व्याकरण के नियमों को सीखें: हिंदी व्याकरण के मूल नियमों को समझना जरूरी है। इससे आपको वाक्य बनाने और शब्दों के सही रूपों का प्रयोग करने में मदद मिलेगी।
- अच्छे साहित्य का अध्ययन करें: व्याकरणिक रूप से शुद्ध हिंदी लिखने का एक अच्छा तरीका है अच्छे साहित्य का अध्ययन करना। इससे आप भाषा के लए का पता लगा सकते हैं और वाक्य रचना की समझ मजबूत कर सकते हैं।
- अभ्यास करें: व्याकरण का अभ्यास जितना ज्यादा करेंगे, उतना ही आप भाषा पर पकड़ बना पाएंगे। अभ्यास के लिए आप रोजाना कुछ लिखने की आदत डाल सकते हैं।
- शब्दकोश का उपयोग करें: अगर आपको किसी शब्द के सही रूप या अर्थ के बारे में संदेह हो तो शब्दकोश का सहारा लें।
- ऑनलाइन उपकरणों का उपयोग करें: आजकल ऑनलाइन कई ऐसे उपकरण उपलब्ध हैं जो व्याकरणिक अशुद्धियों को पहचानने में मदद करते हैं।
आप मुझे भी अपनी लिखी हुई सामग्री भेज सकते हैं, मैं व्याकरणिक अशुद्धियों को पहचानने में आपकी मदद कर सकता हूँ।
शब्द रचना – उपसर्ग एवं प्रत्यय
उपसर्ग
उपसर्ग शब्द के आदि में आने वाले ऐसे वर्ण या वर्ण समूह हैं जो शब्द के अर्थ में परिवर्तन करते हैं या नया शब्द बनाते हैं।
उदाहरण:
वि + मान = विमान
प्रत्यु + आहार = प्रत्युहार
सम् + आदर = सम्मान
प्रत्यय
प्रत्यय शब्द के अंत में आने वाले ऐसे वर्ण या वर्ण समूह हैं जो शब्द के अर्थ में परिवर्तन करते हैं या नया शब्द बनाते हैं।
उदाहरण:
पूरक + ता = पूरकता
नौक + इ = नौकाई
बाल + इक = बालिका
उपसर्ग और प्रत्यय का वर्गीकरण
शब्दार्थ के आधार पर
अर्थबोधक: शब्द का अर्थ बदलने वाले
व्याकरणिक: शब्द के व्याकरणिक रूप को बदलने वाले
घटक शब्दों के आधार पर
तत्सम: संस्कृत से सीधे लिए गए
तद्भव: संस्कृत के शब्दों से व्युत्पन्न
संख्या के आधार पर
एकवर्णीय: एक वर्ण का
द्वि-वर्णीय: दो वर्णों का
बहु-वर्णीय: कई वर्णों का
उपयोग के आधार पर
मुक्त: स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त हो सकने वाले
बंध: केवल अन्य शब्दों के साथ ही प्रयुक्त हो सकने वाले
उदाहरण:
अर्थबोधक तत्सम उपसर्ग: सु- (अच्छा), दुर्- (बुरा), अति- (बहुत)
व्याकरणिक तद्भव प्रत्यय: ता (गुण), इक (स्त्रीलिंग), आ (क्रिया)
एकवर्णीय मुक्त उपसर्ग: प्रति- (विरुद्ध)
द्विवर्णीय बंध प्रत्यय: ईय (भाव या गुण)
शब्द रचना (morphology) में, उपसर्ग (prefix) और प्रत्यय (suffix) दो ऐसे शब्द रचनात्मक घटक हैं जो शब्द के अर्थ या उपयोग में परिवर्तन लाते हैं।
- उपसर्ग (Prefix): यह वह शब्दांश होता है जो किसी शब्द के पहले जोड़ा जाता है और उसके अर्थ को परिवर्तित करता है। उपसर्ग विभिन्न प्रकार के होते हैं और वे भाषा के अनुसार बदलते हैं। उदाहरण के लिए, “अन-” (un-) उपसर्ग का प्रयोग करके “कुशल” को “अनकुशल” बनाया जा सकता है।
- प्रत्यय (Suffix): यह वह शब्दांश होता है जो किसी शब्द के अंत में जोड़ा जाता है और उसके अर्थ या भाव को परिवर्तित करता है। प्रत्यय भी विभिन्न प्रकार के होते हैं और भाषा के अनुसार बदलते हैं। उदाहरण के लिए, “ता” प्रत्यय का प्रयोग करके “राज” को “राजता” बनाया जा सकता है।
उपसर्ग और प्रत्यय शब्दों की रचना में अहम भूमिका निभाते हैं, जो शब्दों को व्याकरणिक और सांविक दृष्टि से परिवर्तित करते हैं। इनका प्रयोग भाषा को अधिक सुविधाजनक और संवेदनशील बनाने में मदद करता है।