आंध्र प्रदेश: एक विस्तृत अवलोकन
आंध्र प्रदेश, भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित एक राज्य है, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, गौरवशाली इतिहास और जीवंत परंपराओं के लिए जाना जाता है। इसे “भारत का अन्न का कटोरा” (Rice Bowl of India) भी कहा जाता है। 2014 में तेलंगाना के अलग होने के बाद, राज्य का पुनर्गठन हुआ और वर्तमान में इसमें 26 जिले हैं।
आंध्र प्रदेश की प्रशासनिक संरचना
आंध्र प्रदेश को मुख्य रूप से तीन प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा गया है: उत्तरांध्र, तटीय आंध्र, और रायलसीमा। प्रशासनिक दृष्टि से, राज्य में 661 ब्लॉक (मंडल), 13,387 ग्राम पंचायतें और 21,207 गाँव शामिल हैं, जो एक व्यापक प्रशासनिक ढाँचा तैयार करते हैं।
जिलों का प्रशासनिक विवरण:
क्रम संख्या | जिला | ब्लॉकों की संख्या | पंचायतों की संख्या | गांवों की संख्या |
1 | अल्लूरी सीताराम राजू | 22 | 430 | 3494 |
2 | अनकापल्ली | 24 | 646 | 841 |
3 | अनंतपुर | 31 | 577 | 691 |
4 | अन्नमय्या | 30 | 505 | 621 |
5 | बापटला | 25 | 458 | 474 |
6 | चित्तूर | 31 | 700 | 1031 |
7 | पूर्वी गोदावरी | 18 | 300 | 331 |
8 | एलुरु | 27 | 549 | 749 |
9 | गुंटूर | 17 | 256 | 264 |
10 | काकीनाडा | 20 | 385 | 452 |
11 | कोनसीमा | 22 | 385 | 402 |
12 | कृष्णा | 25 | 497 | 566 |
13 | कुरनूल | 25 | 479 | 982 |
14 | नंद्याल | 28 | 488 | 978 |
15 | नेल्लोर | 37 | 721 | 884 |
16 | एन.टी.आर. | 16 | 289 | 340 |
17 | पलनाडु | 28 | 530 | 549 |
18 | पार्वतीपुरम मन्यम | 15 | 450 | 993 |
19 | प्रकाशम | 38 | 729 | 975 |
20 | श्री सत्य साई | 32 | 468 | 588 |
21 | श्रीकाकुलम | 30 | 914 | 1477 |
22 | तिरुपति | 34 | 806 | 1233 |
23 | विशाखापत्तनम | 4 | 79 | 96 |
24 | विजयनगरम | 27 | 776 | 1004 |
25 | पश्चिमी गोदावरी | 20 | 408 | 419 |
26 | वाई.एस.आर. | 35 | 562 | 773 |
कुल | 661 | 13387 | 21207 |
आंध्र प्रदेश का विस्तृत इतिहास: युगों की यात्रा
आंध्र प्रदेश का इतिहास हजारों वर्षों में फैला हुआ है, जिसमें महान साम्राज्यों, सांस्कृतिक विकास और महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तनों की गाथाएं शामिल हैं।
प्राचीन काल (236 ईसा पूर्व से):
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सातवाहन और इक्ष्वाकु: इस क्षेत्र में तेलुगु भाषी आंध्र लोगों का निवास बहुत प्राचीन काल से रहा है। लगभग तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में, सातवाहन वंश सत्ता में आया, जिसने एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की। उनके बाद इक्ष्वाकु, पल्लव और चालुक्य जैसे कई अन्य राजवंशों ने इस क्षेत्र पर शासन किया और कला, वास्तुकला तथा संस्कृति पर अपनी अमिट छाप छोड़ी।
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बौद्ध धर्म का केंद्र: इस दौरान आंध्र प्रदेश बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरा। अमरावती और नागार्जुनकोंडा जैसे स्थल शिक्षा और तीर्थयात्रा के महत्वपूर्ण केंद्र थे।
मध्यकाल (14वीं से 18वीं शताब्दी):
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काकतीय और विजयनगर साम्राज्य: मध्यकाल में काकतीय राजवंश एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरा, जो अपनी स्थापत्य उपलब्धियों, विशेष रूप से वारंगल किले के लिए जाना जाता है। इसके बाद, विजयनगर साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण अवधि तक प्रभुत्व रहा, जिसने तेलुगु भाषा और संस्कृति को बहुत बढ़ावा दिया।
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कुतुब शाही शासन: इस अवधि में गोलकुंडा के कुतुब शाही राजवंश का भी शासन रहा, जिनकी राजधानी हैदराबाद थी। हैदराबाद का प्रतिष्ठित चारमीनार उन्हीं की देन है।
औपनिवेशिक काल (18वीं से 20वीं शताब्दी):
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यूरोपीय प्रभाव: इस दौर में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने तटीय आंध्र पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया और यह क्षेत्र ब्रिटिश शासन के तहत मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा बन गया। इस काल में ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई विद्रोह भी हुए।
एक अलग राज्य के लिए संघर्ष और गठन:
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भाषाई आंदोलन: 20वीं सदी की शुरुआत में तेलुगु पहचान के आधार पर एक अलग राज्य के लिए एक मजबूत आंदोलन शुरू हुआ।
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आंध्र राज्य का निर्माण: 1952 में पोट्टि श्रीरामुलु के आमरण अनशन और बलिदान ने इस आंदोलन को निर्णायक मोड़ दिया, जिसके परिणामस्वरूप 1 अक्टूबर 1953 को मद्रास प्रेसीडेंसी से तेलुगु भाषी क्षेत्रों को अलग करके आंध्र राज्य का गठन किया गया। यह भाषाई आधार पर गठित भारत का पहला राज्य था।
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आंध्र प्रदेश का गठन: 1 नवंबर 1956 को, राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत, हैदराबाद राज्य के तेलुगु भाषी क्षेत्रों (तेलंगाना) को आंध्र राज्य के साथ मिला दिया गया, जिससे आंध्र प्रदेश का निर्माण हुआ और हैदराबाद को इसकी राजधानी बनाया गया।
हाल के घटनाक्रम:
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राज्य का विभाजन: तेलंगाना क्षेत्र में अलग राज्य की लंबी मांग के बाद, 2 जून 2014 को आंध्र प्रदेश का विभाजन कर तेलंगाना को भारत के 29वें राज्य के रूप में स्थापित किया गया। विभाजन के बाद, हैदराबाद तेलंगाना की राजधानी बन गया और आंध्र प्रदेश के लिए अमरावती को नई राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया।
आज, आंध्र प्रदेश अपनी समृद्ध विरासत को सहेजते हुए कृषि, उद्योग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है।