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बस्तर संभाग के जिले वाईस जानकारी

जिला परिदर्शन

बस्तर

उपनाम                  –              साल वनों का द्वीप एवं जनजातियों की भूमि

जिला गठन            –              1948

जिला मुख्यालय      –              जगदलपुर

सीमावर्ती जिले (4) –              कोंडागांव, बीजापुर दंतेवाड़ा एवं सुकमा

सीमावर्ती राज्य (1) –              ओडिशा

तहसील (7)            –              1. बस्तर 2. जगदलपुर 3. दरभा 4 तोकापाल 5. बास्तानार 6. लोहण्डीगुड़ा 7. बकावंड

विकासखंड (7)      –              1. बस्तर 2. जगदलपुर 3. दरभा 4. तोकापाल 5. बास्तानार 6. लोहण्डीगुड़ा जगदलपुर 7. बकावंड

नगर निगम (1)       –              जगदलपुर

विधानसभा क्षेत्र (3) –              1. बस्तर (ST) 2. चित्रकोट (ST) 3. जगदलपुर

लोकसभा क्षेत्र (1)   –              बस्तर (ST)

जनजाति             –           परजा. धुरवा मुरिया

 

राष्ट्रीय राजमार्ग     –           1. NH-30 (कवर्धा बेमेतरा-रायपुर- धमतरी – कांकेर- कोंडागांव बस्तर – सुकमा)

  1. NH-63 (बीजापुर दंतेवाड़ा-जगदलपुर (बस्तर) – विशाखापट्टनम्)

हवाई अड्डा          –                       माँ दंतेश्वरी हवाई अड्डा, जगदलपुर

शिक्षा                 –                       1. महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय, जगदलपुर (2008)

  1. गुण्डाधुर कृषि महाविद्यालय जगदलपुर
  2. स्वर्गीय बलीराम कश्यप शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय जगदलपुर
  3. वीर झाड़ा सिरहा शासकीय तकनीकी महाविद्यालय, जगदलपुर

खानिज               –                       1. हीरा तोकापाल

  1. बॉक्साइड आसना, तारापुर कुदारवाही
  2. अभ्रक दरमाघाटी
  3. डोलोमाइट तिरिया, मचकोट, जीरागांव, डोकरी पखना

नोट कोयला का निक्षेप नहीं है।

उद्योग                            –                       नगरनार इस्पात संयंत्र नगरनार, बस्तर (NMDC द्वारा संचालित)

औद्योगिक क्षेत्र      –                       धुरागांव, कलचा

मिट्टियां               –           बस्तर के ढलानों में पाई जाने वाली मिट्टियों को टिकरा कहते हैं। उच्च से निम्न की ओर मिट्टियों का क्रम (उत्तर से दक्षिण की ओर) -मरहान > टिकरा > माल / बाड़ी भार

प्रमुख नदियां        –           1. शबरी नदी बस्तर जिले के पूर्वी भाग में बहती है।

  1. इन्द्रावती नदी बस्तर जिले के उत्तरी भाग में बहती है।
  2. कांगेर नदी यह शबरी की एक सहायक नदी है जिसके दोनों तरफ निर्मित घाटी को कांगेर घाटी के नाम से जानते हैं। इस नदी पर भैंसादरहा के समीप मगरमच्छ पाये जाते हैं।
  3. मुनगावहार नदी यह कांगेर नदी की सहायक नदी है जिसमें तीरथगढ़ जलप्रपात स्थित है।

सिंचाई परियोजना              –           झीरम नदी व्यपवर्तन (झीरम नदी पर)

कोसारटेड़ा (इन्द्रावती पर )

बस्तर संभाग की विशेषता क्या है 1000 शब्द में बस्तर संभाग: एक आदिवासी हृदयभूमि का विविध विस्तार

बस्तर संभाग भारत के मध्य में स्थित छत्तीसगढ़ राज्य का एक प्रशासनिक क्षेत्र है। यह अपने विविध भूगोल, समृद्ध आदिवासी संस्कृति और समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों के लिए जाना जाता है। बस्तर के आकर्षण की विशिष्टता को 1000 शब्दों में निम्नानुसार समझाया जा सकता है:

भौगोलिक विविधता:

बस्तर संभाग एक विस्तृत भौगोलिक परिदृश्य को समेटे हुए है। यह दक्षिण में पूर्वी घाटों से लेकर उत्तर में छत्तीसगढ़ी मैदानों तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र में ऊंचे पहाड़, घाटियां, घने जंगल, नदियां और झरने हैं। इंद्रावती नदी संभाग की जीवनरेखा है, जो पूरे क्षेत्र में बहती है।

आदिवासी संस्कृति:

बस्तर संभाग 75 से अधिक आदिवासी समुदायों का निवास स्थान है, जो कुल आबादी का लगभग 70% हिस्सा बनाते हैं। इनमें गोंड, मुड़िया, भटरा, भींझवार और मुरिया प्रमुख हैं। प्रत्येक समुदाय की अपनी अनूठी भाषा, संस्कृति, परंपराएं और जीवन जीने का तरीका है। बस्तर में आदिवासी कला और शिल्प, जैसे पारंपरिक चित्रकला, धातु कार्य और बांस की बुनकारी के लिए प्रसिद्ध है।

सांस्कृतिक विरासत:

बस्तर में एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। यह ककतीय वंश और नागवंशी राजाओं के शासन का स्थल रहा है। क्षेत्र के कई किले, मंदिर और स्मारक इस ऐतिहासिक अतीत के साक्षी हैं। जगदलपुर में जगदलपुर पैलेस, बारसूर में बस्तर पैलेस और भोरमदेव मंदिर बस्तर की वास्तुकला और शिल्प कौशल का प्रदर्शन करते हैं।

प्राकृतिक संसाधन:

बस्तर संभाग प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न है। यह खनिजों, विशेष रूप से लौह अयस्क, बॉक्साइट और चूना पत्थर का एक प्रमुख भंडार है। क्षेत्र के जंगलों में सागौन, साल और बांस जैसी मूल्यवान प्रजातियां पाई जाती हैं। इंद्रावती नदी और अन्य जल निकाय जल विद्युत और सिंचाई के लिए जल संसाधन प्रदान करते हैं।

वन्यजीव और संरक्षित क्षेत्र:

बस्तर संभाग अपने समृद्ध वन्यजीव और संरक्षित क्षेत्रों के लिए जाना जाता है। इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान बाघों, तेंदुओं, जंगली कुत्तों और अन्य वन्यजीवों की एक विस्तृत श्रृंखला का घर है। कैलाश गुफा मंदिर और चित्रकोट जलप्रपात क्षेत्र के प्रमुख प्राकृतिक आकर्षण हैं।

पर्यटन:

बस्तर की प्राकृतिक सुंदरता, आदिवासी संस्कृति और सांस्कृतिक विरासत इसे पर्यटकों के लिए एक आकर्षक स्थल बनाती है। क्षेत्र में कई पर्यटन स्थल हैं, जिनमें जगदलपुर, बारसूर, कोतगुड़ा और चित्रकोट शामिल हैं। बस्तर दशहरा, जो एक भव्य आदिवासी त्योहार है, पर्यटकों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है।

आर्थिक विकास:

बस्तर संभाग अपनी आर्थिक क्षमता के लिए भी जाना जाता है। खनन, वानिकी और पर्यटन क्षेत्र के प्रमुख उद्योग हैं। राज्य सरकार क्षेत्र में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए पहल कर रही है।

सामाजिक चुनौतियां:

बस्तर अपनी समृद्ध विशेषताओं के बावजूद, सामाजिक चुनौतियों का भी सामना कर रहा है। क्षेत्र में गरीबी, कुपोषण और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच की कमी एक चिंता का विषय है। आदिवासी समुदायों को भूमि अधिकारों, सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक विकास के मुद्दों का भी सामना करना पड़ रहा है।

संरक्षण और विकास:

बस्तर संभाग का संरक्षण और विकास एक जटिल चुनौती है। क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करते हुए, आदिवासी संस्कृति की रक्षा करना और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है। स्थायी पर्यटन, समुदाय-आधारित पहल और सरकारी नीतियों को संभाग के दीर्घकालिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए संयोजित किया जाना चाहिए।

निष्कर्षतः, बस्तर संभाग अपनी विविध भूगोल, समृद्ध आदिवासी संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक संसाधनों, वन्यजीव और सामाजिक चुनौतियों के साथ एक आकर्षक क्षेत्र है। क्षेत्र के अनूठे आकर्षण को संरक्षित करते हुए, समावेशी विकास को बढ़ावा देना इस आदिवासी हृदयभूमि के उज्जवल भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

बस्तर संभाग में सात जिले है जो निम्न है

Kanker

Narayanpur

Kondagaon

Bastar

Bijapur

Dantewada

Sukma

बस्तर संभाग के जिले

कंकेर

नारायणपुर

कोंडागांव

बस्तर

बीजापुर

दंतेवाड़ा

सुक्मा

 

बस्तर संभाग के राजाओ के नाम

दलपत देव (1290-1340)

अन्नम देव (1424-1469)

प्रतापरुद्र देव (1626-1636)

वीर नारायण सिंह देव (1891-1919)

प्रवीर चंद्र भंज देव (1921-1936)

बस्तर संभाग का प्रमुख नदी

इंद्रावती नदी

नारायणपुर नदी

शबरी नदी

शंकरी नदी

गवेली नदी

बस्तर संभाग के खनिज संसाधन

लौह अयस्क (बैलाडीला)

बॉक्साइट

मिट्टी का तेल

चूना पत्थर

कोयला

मैंगनीज

ग्रेफाइट

बस्तर संभाग की कृषि

मुख्य फसलें: चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, दालें

बागवानी फसलें: आम, काजू, अमरूद, नारियल

व्यावसायिक फसलें: कॉफी, रबर

बस्तर संभाग के पर्यटन स्थल

छित्तरकोट जलप्रपात

तंगरिया घाटी

बारसूर मंदिर

कोटमेश्वर मंदिर

चित्रकूट जलप्रपात

बस्तर संभाग का यातायात

सड़क: राष्ट्रीय राजमार्ग 16, भिलाई-जगदलपुर राजमार्ग

रेलवे: जगदलपुर-विशाखापट्टनम रेलवे लाइन

हवाई अड्डा: जगदलपुर हवाई अड्डा

बस्तर संभाग की शिक्षा

जगदलपुर विश्वविद्यालय

शासकीय वरिष्ठ महाविद्यालय, जगदलपुर

शासकीय महाविद्यालय, दंतेवाड़ा

शासकीय महाविद्यालय, सुकमा

बस्तर संभाग की स्वास्थ्य सेवा

जगदलपुर मेडिकल कॉलेज

जिला अस्पताल, जगदलपुर

सिविल अस्पताल, दंतेवाड़ा

सिविल अस्पताल, सुकमा

बस्तर संभाग की अर्थव्यवस्था

खनिज उद्योग

वन्य उत्पादन

कृषि

पर्यटन

ये सभी नाम भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित ज़िलों के नाम हैं। यहाँ इन ज़िलों के बारे में संक्षेप में जानकारी दी जा रही है:

  1. कंकेर: यह छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख ज़िला है जिसका मुख्यालय कंकेर शहर में स्थित है। यहाँ प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक स्थलों की अधिकता है।

  2. नारायणपुर: यह ज़िला भी छत्तीसगढ़ में स्थित है और इसका मुख्यालय नारायणपुर शहर में है। यहाँ वन्यजीवन, नदी तट, और पर्यटन स्थल हैं।

  3. कोंडागांव: यह ज़िला भी छत्तीसगढ़ में स्थित है और इसका मुख्यालय कोंडागांव शहर में है। यहाँ प्राकृतिक सौंदर्य और आदिवासी संस्कृति को जाने जाते हैं।

  4. बस्तर: यह ज़िला भी छत्तीसगढ़ में स्थित है और इसका मुख्यालय बस्तर शहर में है। यहाँ आदिवासी संस्कृति, वन्यजीवन, और पर्यटन स्थल हैं।

  5. बीजापुर: यह ज़िला छत्तीसगढ़ में स्थित है और इसका मुख्यालय बीजापुर शहर में है। यहाँ कई प्राचीन और ऐतिहासिक स्थल हैं।

  6. दंतेवाड़ा: यह ज़िला भी छत्तीसगढ़ में स्थित है और इसका मुख्यालय दंतेवाड़ा शहर में है। यहाँ जंगल, नदियाँ, और ऐतिहासिक स्थल हैं।

  7. सुक्मा: यह ज़िला छत्तीसगढ़ का है और इसका मुख्यालय सुक्मा शहर में है। यहाँ भी वन्यजीवन, प्राकृतिक सौंदर्य, और ऐतिहासिक स्थल हैं।

ये ज़िले अपनी प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक महत्व, और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर संभाग में एक विविध और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। इस संभाग की संस्कृति का आधार अधिकतर आदिवासी जनजातियों की परंपराओं, समाज, और धार्मिक अनुष्ठानों पर है। यहाँ कुछ मुख्य आदिवासी समुदाय जैसे गोंड, मुरिया, धुरुवा, भूईहा, बाड़ा, हल्बा, भट्टा, और ओज्हा आदि निवास करते हैं।

बस्तर संभाग की सांस्कृतिक धारा में गाने, नृत्य, और परंपरागत कला का बहुत महत्व है। गोंड और मुरिया जनजातियों की लोक नृत्य एवं गायन की परंपरा यहाँ बहुत प्रसिद्ध है। इन नृत्यों में सामाजिक और धार्मिक अद्यात्म की कथाएं व्यक्त होती हैं।

बस्तर संभाग की संस्कृति में परंपरागत जीवन शैली, पहाड़ी संगीत, उत्सव, मेला, और पर्वों का महत्वपूर्ण स्थान है। विभिन्न त्योहारों और उत्सवों में समाज का सामूहिक सांस्कृतिक जीवन उजागर होता है।

इसके अलावा, बस्तर संभाग में विभिन्न प्राचीन मंदिर, गुफाएँ, और ऐतिहासिक स्थल हैं जो संस्कृति और धर्म के आधार को प्रकट करते हैं। यहाँ के मंदिरों में गोंड, मुरिया, और धुरुवा समुदायों के लोग धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-अर्चना करते हैं।

बस्तर संभाग की संस्कृति उसकी प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिकता, और समाजिक समृद्धि का प्रतीक है।

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