(मानव के संदर्भ में) रुधिर की संरचना तथा कार्य, हृदय की संरचना तथा कार्यविधि (प्राथमिक ज्ञान) प्रकाश संश्लेषण परिभाषा, प्रकिया के प्रमुख पद, प्रकाश अभिकिया एवं अंधकार अभिकिया। श्वसन-परिभाषा, श्वसन एवं श्वासोच्छवास, पौधों में जल एवं खनिज लवण का परिवहन
जड़ों द्वारा जल का अवशोषण: जड़ों के रूट हेयर पानी और खनिजों को मिट्टी से अवशोषित करते हैं।
पानी का ऊपर की ओर परिवहन: पानी जड़ों से तने तक केशिकाओं और जाइलम वाहिकाओं के माध्यम से ऊपर की ओर खींचा जाता है।
पत्तियों में खनिज लवणों का अवशोषण: पानी पत्तियों तक पहुंचता है, जहां खनिज लवणों को पत्ती कोशिकाओं द्वारा अवशोषित किया जाता है।
जंतुओं में परिवहन (मानव के संदर्भ में)
रुधिर की संरचना:
एरिथ्रोसाइट्स (लाल रक्त कोशिकाएं): ऑक्सीजन ले जाती हैं।
ल्यूकोसाइट्स (श्वेत रक्त कोशिकाएं): रोग से लड़ती हैं।
प्लेटलेट्स: रक्त के थक्के बनाने में मदद करती हैं।
रुधिर के कार्य:
ऑक्सीजन और पोषक तत्वों का परिवहन
कार्बन डाइऑक्साइड और अपशिष्ट को हटाना
शरीर के तापमान को विनियमित करना
हृदय की संरचना:
दो आलिंद (दायां और बायां)
दो निलय (दायां और बायां)
वाल्व जो रक्त को गलत दिशा में प्रवाहित होने से रोकते हैं
हृदय की कार्यविधि:
आलिंद रक्त प्राप्त करते हैं।
निलय आलिंद से रक्त पंप करते हैं।
हृदय की धड़कनें विद्युत आवेगों द्वारा समन्वित होती हैं।
प्रकाश संश्लेषण
परिभाषा: पौधों द्वारा सूर्य के प्रकाश, पानी और कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करके ग्लूकोज बनाने की प्रक्रिया।
प्रमुख पद:
प्रकाश अभिक्रिया: सूर्य के प्रकाश को ऊर्जा में परिवर्तित करती है, जो पानी को विभाजित करती है और ऑक्सीजन छोड़ती है।
अंधकार अभिक्रिया: कार्बन डाइऑक्साइड को ग्लूकोज में परिवर्तित करती है।
श्वसन
परिभाषा: जीवित जीवों द्वारा ऊर्जा प्राप्त करने की प्रक्रिया।
श्वसन और श्वासोच्छवास:
श्वसन: ऊर्जा प्राप्त करने के लिए भोजन का ऑक्सीजन के साथ टूटना।
श्वासोच्छवास: शरीर और पर्यावरण के बीच गैसों (ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड) का आदान-प्रदान।
जीवविज्ञान में, परिवहन की प्रक्रिया प्रमुखतः जल एवं खनिज लवण के माध्यम से होती है। पौधों में, जल और खनिज लवण पौधों के मूल अवशेषों को भोजन, ऊर्जा, और प्राण के लिए प्रदान करते हैं। ये तत्व पौधों के ऊर्जा संशोधन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जन्तुओं में, परिवहन मानव और अन्य जन्तुओं के लिए महत्वपूर्ण है। मानव के संदर्भ में, जन्तुओं का परिवहन खासकर रक्त द्वारा होता है। रक्त का परिवहन जन्तुओं में ऊर्जा और पोषण के प्रसार के लिए महत्वपूर्ण है।
रुधिर की संरचना तथा कार्यविधि: रुधिर मुख्य रूप से चार मुख्य धमनियों के माध्यम से परिवहित होता है – धमनियों का कार्य रक्त को शरीर के अन्य अंगों और ऊतकों तक पहुंचाना है। हृदय एक महत्वपूर्ण अंग है जो रुधिर को उच्च रक्तचाप के साथ अंगों और ऊतकों में पम्प करता है।
प्रकाश संश्लेषण का अर्थ है प्रकाश की गतिता, ध्रुवीकरण और छविकरण की प्रक्रिया। प्रकिया के प्रमुख पद शामिल होते हैं: प्रकाश का प्रक्षेपण, प्रकाश का प्रक्षेपण, और प्रकाश का अवतरण। प्रकाश अभिकिया और अंधकार अभिकिया उपकरणों के प्रकाश में रंगों की आवृत्ति, और अंधकार को नियंत्रित करते हैं।
श्वसन का मतलब है हवा को इन्हें के बाहर और अंदर लेना। श्वसन का प्रकार दो होता है: श्वासोच्छ्वास (इनहेलेशन) और उच्छ्वास (एक्सहेलेशन)। यह श्वसन प्रणाली द्वारा हवा को शरीर में ऊर्जा के रूप में प्राप्त करने और विषाणुओं और अन्य अवशेषों को शरीर से निकालने में मदद करता है।
अगले चरण में, हम श्वसन प्रणाली के कार्य और मानव श्वसन प्रणाली के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। यह मानव श्वसन प्रणाली की संरचना, कार्य, और उसके विभिन्न अंगों की विशेषताओं को समझने में मदद करेगा। हम भी प्रकाश संश्लेषण के विभिन्न पहलुओं जैसे कि प्रकाश के प्रक्षेपण, प्रकाश का अवतरण, और प्रकाश का छविकरण के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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श्वसन के प्रकार, आक्सी श्वसन एवं अनाक्सी श्वसन, मनुष्य का श्वसन तंत्र एवं श्वसन प्रकिया। मनुष्य का पाचन तंत्र एवं पाचन प्रकिया (सामान्य जानकारी) नियंत्रण एवं समन्वय मनुष्य का तंत्रिका तंत्र, मस्तिष्क एवं मेरुरज्जू की संरचना एवं कार्य, पौधे एवं जन्तुओं में समन्वय पादप हार्मोन, अन्तस्त्रावीग्रन्थियां हार्मोन एवं कार्य। प्रजनन श्वसन के प्रकार
आक्सी श्वसन: यह एक एरोबिक प्रक्रिया है जिसमें ग्लूकोज को तोड़ने के लिए ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है।
अनाक्सी श्वसन: यह एक एनारोबिक प्रक्रिया है जिसमें ऑक्सीजन का उपयोग ग्लूकोज को तोड़ने के लिए नहीं किया जाता है।
मनुष्य का श्वसन तंत्र
नाक: श्वसन का प्रवेश द्वार।
गले: नाक को श्वासनली से जोड़ता है।
श्वासनली: हवा को फेफड़ों तक ले जाती है।
ब्रोंची: श्वासनली की शाखाएं जो फेफड़ों में जाती हैं।
ब्रोंकियोल्स: ब्रोंची की छोटी शाखाएं जो वायुकोष्ठों में जाती हैं।
वायुकोष्ठ: जहां गैस विनिमय होता है।
श्वसन प्रक्रिया
श्वसन: हवा को नाक से फेफड़ों में लेना।
निःश्वसन: हवा को फेफड़ों से नाक से बाहर निकालना।
गैस विनिमय: ऑक्सीजन वायुकोष्ठों से रक्तप्रवाह में जाती है, और कार्बन डाइऑक्साइड रक्तप्रवाह से वायुकोष्ठों में जाती है।
मनुष्य का पाचन तंत्र
मुंह: पाचन का प्रवेश द्वार, जहां भोजन चबाया जाता है।
ग्रसिका: मुंह को पेट से जोड़ती है।
पेट: भोजन को अम्लीय रस और एंजाइमों से तोड़ता है।
छोटी आंत: जहां अधिकांश पोषक तत्वों का अवशोषण होता है।
बड़ी आंत: पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स के अवशोषण के लिए जिम्मेदार है।
पाचन प्रक्रिया
पाचन: भोजन को छोटे अणुओं में तोड़ना।
अवशोषण: छोटे अणुओं को रक्तप्रवाह में ले जाना।
उत्सर्जन: अपशिष्ट उत्पादों को शरीर से निकालना।
नियंत्रण और समन्वय
मनुष्य का तंत्रिका तंत्र
शरीर के विभिन्न हिस्सों के बीच संचार के लिए जिम्मेदार है।
इसमें दो मुख्य भाग होते हैं: केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क और मेरुरज्जू) और परिधीय तंत्रिका तंत्र (शरीर के बाकी हिस्सों तक फैली हुई नसें)।
मस्तिष्क और मेरुरज्जू की संरचना और कार्य
मस्तिष्क:
शरीर के कार्यों को नियंत्रित करता है, जैसे सोचना, याद रखना और आंदोलन।
इसमें तीन मुख्य भाग होते हैं: मस्तिष्क, सेरिबेलम और मस्तिष्क का तना।
मेरुरज्जू:
मस्तिष्क को शरीर के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।
तंत्रिका संकेतों को मस्तिष्क और बाकी शरीर के बीच पहुंचाता है।
पौधों और जानवरों में समन्वय
पादप हार्मोन
पौधों के विकास और विकास को नियंत्रित करने वाले रासायनिक संदेशवाहक।
अंतःस्रावी ग्रंथियाँ
जानवरों में हार्मोन स्रावित करने वाली ग्रंथियाँ।
जैसे पिट्यूटरी ग्रंथि, थायरॉयड ग्रंथि और अधिवृक्क ग्रंथियाँ।
हार्मोन और कार्य
विशिष्ट कोशिकाओं या अंगों को प्रभावित करने वाले रासायनिक संदेशवाहक।
विभिन्न शरीर के कार्यों को नियंत्रित करें, जैसे विकास, चयापचय और प्रजनन।
प्रजनन
नई व्यक्तियों के निर्माण की प्रक्रिया।
इसमें दो मुख्य प्रकार होते हैं: यौन प्रजनन और अलैंगिक प्रजनन।
श्वसन के प्रकार:
- आक्सीजन श्वसन (Aerobic Respiration): यह उच्च आक्सीजन स्तरों में होता है, जिसमें ऑक्सीजन के उपस्थिति में खाने का प्रक्रिया होता है, जिससे अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- अनाक्सीजन श्वसन (Anaerobic Respiration): यह कम या बिना ऑक्सीजन के होता है, और यहाँ पर प्राथमिक उद्दिपन्न अंधविक्षेपकों का उपयोग होता है, जो कम ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
मनुष्य का श्वसन तंत्र एवं श्वसन प्रक्रिया:
मनुष्य के श्वसन तंत्र में प्रमुख अंग होते हैं: नाक, गला, त्राचेया, ब्रोंशाइयल ट्यूब्स, और फेफड़े। यहाँ प्राण को श्वसित किया जाता है, जिसमें ऑक्सीजन वायु को शरीर के भीतर लेकर गंदगी को बाहर किया जाता है।
मनुष्य का पाचन तंत्र एवं पाचन प्रक्रिया (सामान्य जानकारी):
मनुष्य का पाचन तंत्र खाने को दुर्गंध करता है और ऊर्जा का उपभोग करने के लिए निर्मित होता है। यह मुख्यतः मुख्यालय, गला, आंतों, और पेट से मिलकर बनता है। पाचन प्रक्रिया में खाने को बाहरी घटकों में टुकड़ों में टुकड़ों में टोड़कर, अधिक संतोष, और उत्तकों में उसके समर्थन में बाँटता है।
नियंत्रण एवं समन्वय मनुष्य का तंत्रिका तंत्र, मस्तिष्क एवं मेरुरज्जू की संरचना एवं कार्य:
नियंत्रण और समन्वय मनुष्य के तंत्रिका तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मस्तिष्क और मेरुरज्जू निर्देशन, संवेदनशीलता, और शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
पौधे एवं जन्तुओं में समन्वय पादप हार्मोन, अन्तस्त्रावीग्रन्थियां हार्मोन एवं कार्य:
पौधों और जन्तुओं में, समन्वय प्रायः हार्मोनों द्वारा नियंत्रित होता है। ये हार्मोन पौधों और जन्तुओं के विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करते हैं, जैसे कि वृद्धि, विकास, और प्रजनन।
प्रजनन:
प्रजनन महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें नई जीवों की उत्पत्ति होती है।
यह महत्वपूर्ण है जीवन की जारी रहने के लिए और प्रजनन प्रक्रिया विभिन्न जीवों में विभिन्न होती है।
एवं वृद्धि प्रजनन के प्रकार, अलैंगिक प्रजनन, विखण्डन, मुकलन एवं पुनरुदनवन, कृत्रिम वर्धी प्रजनन, स्तरीकरण, कलम लगाना, ग्राफ्टिंग, अनिषेक प्रजनन, पौधों में लैंगिक प्रजनन अंग, पुष्प की संरचना एवं प्रजनन प्रकिया (सामान्य जानकारी) परागण, निषेचन। मानव प्रजनन तंत्र तथा प्रजनन प्रकिया (सामान्य जानकारी) अनुवांशिकी एवं विकास-अनुवांशिकी एवं
मिन्नताएं, अनुवांशिकता का मूल आधार गुण सूत्र एवं DNA (प्रारंभिक जानकारी)।
## प्रजनन के प्रकार
अलैंगिक प्रजनन
विखण्डन: मूल जीव कई छोटे जीवों में टूट जाता है, प्रत्येक छोटा जीव मूल जीव की अनुकृति बन जाता है। (उदाहरण: पैरामीशियम)
मुकलन: मूल जीव का एक भाग एक उभार के रूप में बढ़ता है और अंततः अलग होकर एक नया व्यक्ति बनाता है। (उदाहरण: हाइड्रा)
पुनरुदभवन: क्षतिग्रस्त भाग से एक नया व्यक्ति बनता है। (उदाहरण: छिपकली)
कृत्रिम वर्धी प्रजनन
स्तरीकरण: बीजों को ठंड या नम वातावरण में रखा जाता है ताकि वे अंकुरित हो सकें।
कलम लगाना: एक पौधे का तना दूसरे पौधे के तने में जोड़ा जाता है ताकि वे आपस में जुड़ जाएं और एक नया पौधा बनाएं।
ग्राफ्टिंग: पौधों के ऊतकों को एक साथ मिलाया जाता है ताकि वे आपस में जुड़ जाएं और एक नया पौधा बनाएं।
अनिषेक प्रजनन
निषेचन के बिना एक नया व्यक्ति बनता है।
पौधों में लैंगिक प्रजनन अंग
पुष्प
पुष्प पौधों का प्रजनन अंग है।
इसमें निम्नलिखित भाग होते हैं:
पंखुड़ी: पुष्प को आकर्षक बनाती है
बाह्यदल: पुष्प को कवर करती है
पुंकेसर: पराग का उत्पादन करता है
स्त्रीकेसर: अंडाशय, वर्तिका और वर्तिकाधार होते हैं
## प्रजनन प्रक्रिया (पौधे)
- परागण: पराग अंडाशय पर स्थानांतरित हो जाता है।
- निषेचन: पराग नलिका अंडाशय तक बढ़ती है और एक शुक्राणु अंडे से मिलता है।
- बीज का विकास: निषेचित अंडा एक बीज में विकसित होता है।
- फल का विकास: अंडाशय एक फल में विकसित होता है जो बीजों की रक्षा करता है।
## मानव प्रजनन तंत्र और प्रजनन प्रक्रिया
पुरुष प्रजनन तंत्र:
अंडकोष: शुक्राणुओं का उत्पादन करते हैं
एपीडीडिमिस: शुक्राणुओं को परिपक्व करते हैं
वास डिफेरेंस: शुक्राणुओं को ले जाते हैं
प्रोस्टेट ग्रंथि: शुक्राणु तरल पदार्थ का उत्पादन करती है
महिला प्रजनन तंत्र:
अंडाशय: अंडों का उत्पादन करते हैं
फैलोपियन ट्यूब: अंडों को गर्भाशय तक ले जाती हैं
गर्भाशय: भ्रूण का विकास होता है
योनि: जन्म नहर
प्रजनन प्रक्रिया:
- अंडोत्सर्ग: अंडाशय से एक परिपक्व अंडा निकलता है।
- निषेचन: अंडा फैलोपियन ट्यूब में शुक्राणु से मिलता है।
- भ्रूण प्रत्यारोपण: निषेचित अंडा गर्भाशय की दीवार से जुड़ जाता है।
- गर्भावस्था: भ्रूण गर्भाशय में विकसित होता है।
- प्रसव: बच्चा जन्म नहर से बाहर आता है।
अनुवांशिकी और विकास
अनुवांशिकी:
माता-पिता से संतानों तक लक्षणों का संचरण।
गुणसूत्र: डीएनए युक्त कोशिका संरचनाएँ जो लक्षणों को निर्देशित करती हैं।
डीएनए: गुणसूत्रों को बनाने वाला आनुवंशिक पदार्थ।
विकास:
जीवों में समय के साथ होने वाले परिवर्तन।
प्राकृतिक चयन: प्रजातियों के भीतर सर्वोत्तम अनुकूलित व्यक्तियों का उत्तरजीविता और प्रजनन।
वृद्धि प्रजनन के प्रकार:
- अलैंगिक प्रजनन (या यौन प्रजनन): इसमें दो या अधिक लैंगिक संयोजन द्वारा नए जीवों की उत्पत्ति होती है।
- विखंडन: इसमें एक माता-पिता की संयोजन के बिना नए जीव उत्पन्न होते हैं। इसमें एक प्रारंभिक जीव के अंशों का विभाजन होता है, जो फिर से नए जीवों का निर्माण करते हैं।
- मुकलन एवं पुनरुदनवन: इसमें एक जीव के अंशों का विभाजन होता है और फिर उन्हें फिर से एक साथ लाया जाता है।
- कृत्रिम वृद्धि प्रजनन: इसमें प्राकृतिक प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है जैसे कि प्रजनन उत्पादन को बढ़ाने के लिए जल्दी की जाती है।
पौधों में लैंगिक प्रजनन अंग:
पौधों में, लैंगिक प्रजनन अंगों में प्रमुखतः अंडज और स्त्रावीग्रन्थियां होती हैं।
पुष्प की संरचना एवं प्रजनन प्रक्रिया (सामान्य जानकारी):
पुष्प की प्रजनन प्रक्रिया में, पुष्प में परागण और निषेचन के द्वारा बीजों के निर्माण का कार्य होता है। परागण नामक स्त्रावीग्रन्थियां बीज के निर्माण में मदद करती हैं, जबकि निषेचन में अंडज और नारीकाय प्राणियों के संयोजन से बीज निर्माण होते हैं।
मानव प्रजनन तंत्र तथा प्रजनन प्रक्रिया (सामान्य जानकारी):
मानव प्रजनन में, प्राथमिक जानकारी विधार्थी और नारी गर्भाशय में स्थानांतरित किए जाते हैं, जहां उनका संयोजन होता है। इसके बाद, गर्भाशय में गर्भावस्था के दौरान बच्चे का विकास होता है।
अनुवांशिकी एवं विकास-अनुवांशिकी एवं मिन्नताएं, अनुवांशिकता का मूल आधार गुण सूत्र एवं DNA (प्रारंभिक जानकारी):
अनुवांशिकता और विकास-अनुवांशिकता मानव जीवों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये आधारभूत जानकारी होती हैं जो बच्चे के विकास में उन्हें बनाये रखती हैं। DNA और गुण सूत्र अनुवांशिकता की मूल आधारशिला हैं जो विशिष्ट विशेषताओं को अगली पीढ़ियो में पारित करते हैं।