HomeBlogपरिमेय संख्याओं का जोड़ना, घटाना, गुणा करना, भाग देना, 2 परिमेय संख्याओं के बीच परिमेय संख्या ज्ञात करना। और अन्य

परिमेय संख्याओं का जोड़ना, घटाना, गुणा करना, भाग देना, 2 परिमेय संख्याओं के बीच परिमेय संख्या ज्ञात करना। और अन्य

अनुपात एवं समानुपात अनुपात व समानुपात की परिभाषा, योगानुपात, अंतरानुपात, एकांतरानुपात, व्युत्क्रमानुपात आदि व उनके अनुप्रयोग। परिमेय संख्याओं की संक्रियाएँ

जोड़ना:

आंशिक संख्याएँ अलग रखते हुए हरों पर विचार करें।

हरों का लघुतम समापवर्तक (LCM) ज्ञात करें।

प्रत्येक भिन्न के हर को LCM से भाग दें और आंशिक संख्याएँ गुणा करें।

परिणामी आंशिक संख्याओं को जोड़ें।

घटाना:

जोड़ना विधि का उपयोग करें, लेकिन दूसरी भिन्न को ऋणात्मक चिह्न के साथ जोड़ें।

गुणा करना:

आंशिक संख्याओं को गुणा करें और हरों को गुणा करें।

भाग देना:

दूसरी भिन्न को उसकी व्युत्क्रम से गुणा करें।

2 परिमेय संख्याओं के बीच परिमेय संख्या ज्ञात करना:

दोनों संख्याओं को उस भिन्न से गुणा करें जिसका हर 1 से कम हो।

अनुपात एवं समानुपात

परिभाषाएँ:

अनुपात: दो संख्याओं या मात्राओं का तुलनात्मक परिमाण है। इसे a:b के रूप में लिखा जाता है, जहाँ a और b संख्याएँ या मात्राएँ हैं।

 समानुपात: दो अनुपात बराबर होते हैं। इसे a:b = c:d के रूप में लिखा जाता है।

प्रकार:

योगानुपात: दो संख्याओं का योग दूसरे दो संख्याओं के योग के बराबर होता है।

अंतरानुपात: दो संख्याओं का अंतर दूसरे दो संख्याओं के अंतर के बराबर होता है।

एकांतरानुपात: पहली संख्या दूसरी संख्या के बराबर होती है और तीसरी संख्या चौथी संख्या के बराबर होती है।

व्युत्क्रमानुपात: दो संख्याओं का उत्पाद दूसरे दो संख्याओं के उत्पाद के व्युत्क्रम के बराबर होता है।

अनुप्रयोग:

समानुपात का उपयोग समस्याओं को हल करने और रिश्तों को समझने के लिए किया जाता है।

उदाहरण के लिए, यदि हम जानते हैं कि एक कार 60 किमी/घंटा की गति से 3 घंटे में एक निश्चित दूरी तय करती है, तो हम यह पता लगा सकते हैं कि वह 80 किमी/घंटा की गति से कितनी दूरी तय करेगी:

60 किमी/घंटा: 3 घंटे = 80 किमी/घंटा: x घंटे

x = 3  80 / 60 = 4 घंटे

परिमेय संख्याओं का जोड़ना, घटाना, गुणा करना, भाग देना:

  1. जोड़ना (Addition): दो या अधिक संख्याओं को एक-दूसरे के साथ जोड़कर उनका योगफल प्राप्त करना। उदाहरण के लिए, 5 + 3 = 8.
  2. घटाना (Subtraction): एक संख्या को दूसरी संख्या से कम करना। यह उस संख्या को प्राप्त करने के लिए उपयोग की जाती है जिसे आधिक या बड़ा संख्या से कटा जाता है। उदाहरण के लिए, 8 – 3 = 5.
  3. गुणा करना (Multiplication): एक संख्या को दूसरी संख्या से गुणा करना। उदाहरण के लिए, 4 × 2 = 8.
  4. भाग देना (Division): एक संख्या को दूसरी संख्या से भाग करना। उदाहरण के लिए, 8 ÷ 2 = 4.

2 परिमेय संख्याओं के बीच परिमेय संख्या ज्ञात करना:

दो परिमेय संख्याओं को विभिन्न रूपों में प्रस्तुत करके उनके समानांतर रूप का पता लगाना। उदाहरण के लिए, यदि 5 और 15 दो परिमेय संख्याएं हैं, तो उनका समानांतर रूप 1:3 होगा।

अनुपात एवं समानुपात:

  1. अनुपात (Ratio): अनुपात दो या अधिक संख्याओं के बीच एक संबंध को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, 2:3.
  2. समानुपात (Proportion): जब दो या अधिक अनुपात समान होते हैं, तो उन्हें समानुपात कहा जाता है। उदाहरण के लिए, 2:3 = 4:6.
  3. योगानुपात, अंतरानुपात, एकांतरानुपात, व्युत्क्रमानुपात आदि व उनके अनुप्रयोग:
  4. योगानुपात (Compound Ratio): दो या अधिक अनुपातों के योग को योगानुपात कहा जाता है।
  5. अंतरानुपात (Mean Proportion): यदि दो अनुपात के बीच एक संख्या को अंतरानुपात कहा जाता है, तो वह संख्या होगी जो दोनों अनुपातों के माध्यम से आती है।
  6. एकांतरानुपात (Third Proportion): यदि दो अनुपात के बीच एक संख्या को एकांतरानुपात कहा जाता है, तो वह संख्या होगी जो दोनों अनुपातों के समान होते हैं।
  7. व्युत्क्रमानुपात (Inverse Proportion): दो संख्याओं के बीच व्युत्क्रमानुपात होता है जब एक संख्या बदलते समय दूसरी संख्या उसके विपरीत रूप में बदलती है।

वाणिज्य गणित बैंकिंग बचत खाता, सावधि जमा खाता एवं आवर्ति जमा खाता पर ब्याज की गणना। आयकर की गणना (केवल वेतनभोगी के लिए तथा गृह भाड़ा भत्ता को छोड़कर) गुणनखंड, लघुत्तम समापवर्तक, महत्तम समापवर्त्य। वैदिक गणित- जोड़ना, घटाना, गुणा, भाग, बीजांक से उत्तर की जाय। बैंकिंग

 बचत खाता ब्याज गणना:

ब्याज = प्रारंभिक जमा राशि  ब्याज दर  समय

सावधि जमा खाता ब्याज गणना:

ब्याज = प्रारंभिक जमा राशि  ब्याज दर  समय  (1 + ब्याज दर) ^ समय

आवर्ति जमा खाता ब्याज गणना:

मासिक जमा = कुल जमा राशि / जमा की संख्या

ब्याज = [मासिक जमा  12  ब्याज दर  (1 + ब्याज दर) ^ समय – मासिक जमा  12] / ब्याज दर

आयकर (केवल वेतनभोगी, गृह भाड़ा भत्ता को छोड़कर)

कर योग्य आय = सकल वेतन – मानक कटौती (50,000 रुपये) – पेशेवर कर (यदि लागू हो)

 कर की गणना: कर स्लैब के आधार पर

कर स्लैब और कर दरें (2023-24 के लिए):

0 – 2.5 लाख रुपये: 0%

2.5 – 5 लाख रुपये: 5%

5 – 7.5 लाख रुपये: 20%

7.5 – 10 लाख रुपये: 25%

10 लाख रुपये से अधिक: 30%

गुणनखंड, लघुत्तम समापवर्तक, महत्तम समापवर्त्य

गुणनखंड: किसी संख्या को छोटी प्राकृत संख्याओं के गुणनफल के रूप में व्यक्त करना।

लघुत्तम समापवर्तक (LCM): दो या दो से अधिक संख्याओं की सबसे छोटी धनात्मक संख्या जो उन सभी संख्याओं से विभाज्य है।

महत्तम समापवर्त्य (HCF): दो या दो से अधिक संख्याओं की सबसे बड़ी धनात्मक संख्या जो उन सभी संख्याओं को विभाजित करती है।

वैदिक गणित

जोड़ना:

ऊर्ध्वाधर स्तंभों में अंकों को जोड़ें और बायीं ओर ले जाएं।

यदि योग 10 हो गया है, तो बाईं ओर 1 रखें और दाईं ओर 0 रखें।

घटाना:

ऊर्ध्वाधर स्तंभों में अंकों को घटाएं और बायीं ओर ले जाएं।

यदि अंतर ऋणात्मक है, तो दाईं ओर 10 घटाएं और बाईं ओर 1 घटाएं।

गुणा:

एक संख्या के अंकों को लंबवत लिखें और दूसरी संख्या के अंकों को क्षैतिज रूप से रखें।

अंकों को गुणा करें और परिणामों को उनके संबंधित स्थानों पर रखें।

प्रत्येक क्षैतिज पंक्ति के अंकों को जोड़ें और बायीं ओर ले जाएं।

भाग:

लाभांश के अंकों को लंबवत लिखें और भाजक को क्षैतिज रूप से रखें।

भाजक के पहले अंक से लाभांश का पहला अंक विभाजित करें और भागफल को लाभांश के ऊपर लिखें।

भागफल को भाजक से गुणा करें और परिणाम को लाभांश से घटाएं।

 शेष के लिए समान प्रक्रिया दोहराएं।

बीजांक से उत्तर की जाँच:

अंकों (या संख्याओं) का योग ज्ञात करें।

अंकों के योग का 9 से गुणा करें।

परिणाम का अंतिम अंक या संख्याओं का योग ज्ञात करें।

यदि यह मूल योग के अंतिम अंक के समान है, तो उत्तर सही है।

वाणिज्य गणित:

  1. बैंकिंग बचत खाता, सावधि जमा खाता एवं आवर्ति जमा खाता पर ब्याज की गणना:
  • बैंकों में ब्याज की गणना विभिन्न प्रकार के खातों पर किया जाता है। इसमें प्राथमिक रूप से शामिल होते हैं बैंक बचत खाता, सावधि जमा खाता, और आवर्ति जमा खाता। ब्याज की गणना के लिए बैंकों अक्सर एक स्थिर ब्याज दर या समयांतरित ब्याज दर का उपयोग करते हैं।
  1. आयकर की गणना:
  • आयकर की गणना में वेतनभोगी को उसके आय के आधार पर कर लगाया जाता है। यह गणना किए गए कमाई के आधार पर होती है और कई अन्य प्राथमिकताओं के अनुसार भी बदल सकती है।
  1. गुणनखंड, लघुत्तम समापवर्तक, महत्तम समापवर्त्य:
  • गुणनखंड, लघुत्तम समापवर्तक, और महत्तम समापवर्त्य व्यावसायिक गणित में प्रयुक्त तीन महत्वपूर्ण गणनाओं में से हैं। गुणनखंड व्यावसायिक गणित में लघुत्तम समापवर्तक और महत्तम समापवर्त्य को प्राप्त करने में मदद करता है।

वैदिक गणित:

  1. जोड़ना, घटाना, गुणा, भाग:
  • वैदिक गणित में, जोड़ना, घटाना, गुणा, और भाग के लिए विशेष तरीके होते हैं जो गणना को सरल बनाते हैं। उन्हें अन्य गणितीय प्रक्रियाओं के मुकाबले तेजी से और आसानी से सम्पादित किया जा सकता है।
  1. बीजांक से उत्तर की जाय:
  • वैदिक गणित में, बीजांक से उत्तर की जाने की विशेष विधि होती है जिससे गणना की गति और सहजता बढ़ती है। यह विधि बड़े संख्याओं को गुणा करने के लिए उपयुक्त है।

वर्ग, वर्गमूल, घन, घनमूल, विकुलम एवं उसके अनुप्रयोग तथा बीजगणित में वैदिक गणित विधियों का प्रयोग आदि। भारतीय गणितज्ञ एवं उनका कृतित्व-आर्यभट्ट, वराह मिहिर, ब्रहमगुप्त, भास्कराचार्य, श्रीनिवास रामानुजन के संदर्भ में। भारतीय गणित

वर्ग, वर्गमूल, घन, घनमूल और विकुलम

वर्ग: किसी संख्या का खुद से गुणा करने पर परिणाम को वर्ग कहते हैं। इसे संख्या के ऊपर 2 का घातांक लगाकर दर्शाया जाता है।

वर्गमूल: किसी संख्या का वर्गमूल वह संख्या होती है जिसे खुद से गुणा करने पर वह संख्या प्राप्त होती है। इसे √ प्रतीक द्वारा दर्शाया जाता है।

घन: किसी संख्या का खुद से तीन बार गुणा करने पर परिणाम को घन कहते हैं। इसे संख्या के ऊपर 3 का घातांक लगाकर दर्शाया जाता है।

घनमूल: किसी संख्या का घनमूल वह संख्या होती है जिसे खुद से तीन बार गुणा करने पर वह संख्या प्राप्त होती है। इसे ∛ प्रतीक द्वारा दर्शाया जाता है।

विकुलम: यदि किसी संख्या को किसी दूसरी संख्या से भाग दिया जाए और भागफल पूर्णांक हो तो विभाजित संख्या, विकुलम कहलाती है।

वैदिक गणित में बीजगणित

वैदिक गणित प्राचीन भारतीय गणितज्ञों द्वारा विकसित एक शॉर्टकट गणित है। बीजगणित में, वैदिक गणित विभिन्न विधियों का उपयोग करके समस्याओं को हल करने में मदद करता है, जैसे:

एकाधिकरण: एक ही समय में कई संख्याओं से निपटना।

निकम्यता: संख्याओं के क्रम को बिना परिणाम को बदले बदला जा सकता है।

प्रत्याहार: दो या दो से अधिक संख्याओं के योग को उनकी अंतर से घटाकर एक संख्या में परिवर्तित करना।

भारतीय गणितज्ञ और उनके योगदान

आर्यभट्ट (476-550 ईस्वी): शून्य की अवधारणा, दशमलव प्रणाली और त्रिकोणमिति में योगदान दिया।

वराह मिहिर (505-587 ईस्वी): ज्योतिष, गणित और खगोल विज्ञान में योगदान दिया।

ब्रह्मगुप्त (598-668 ईस्वी): ब्रह्मगुप्त सूत्र, द्विघात समीकरणों के समाधान और ज्या ज्यावर्तमान की खोज के लिए जाने जाते हैं।

भास्कराचार्य (1114-1185 ईस्वी): गणितज्ञ और खगोलशास्त्री, अंकगणित, बीजगणित और त्रिकोणमिति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

श्रीनिवास रामानुजन (1887-1920 ईस्वी): 20वीं सदी के महान गणितज्ञों में से एक, संख्या सिद्धांत, विश्लेषण और ज्यामिति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

गणितीय आदान-प्रदान:

  1. वर्ग (Square): किसी संख्या को उसके स्वयं के साथ गुणा करने से प्राप्त एक समान संख्या। उदाहरण के लिए, 3 का वर्ग 9 है।
  2. वर्गमूल (Square Root): किसी संख्या का वर्गमूल उस संख्या को प्राप्त करने के लिए जिस संख्या का वर्ग वही संख्या हो। उदाहरण के लिए, √9 = 3.
  3. घन (Cube): किसी संख्या को उसके स्वयं के साथ तीन बार गुणा करने से प्राप्त एक समान संख्या। उदाहरण के लिए, 2 का घन 8 है।
  4. घनमूल (Cube Root): किसी संख्या का घनमूल उस संख्या को प्राप्त करने के लिए जिस संख्या का घन वही संख्या हो। उदाहरण के लिए, ³√8 = 2.
  5. विकुलम (Quadratic Equation): एक संख्यात्मक समीकरण जिसमें सबसे अधिक दोधर्मी पर्याप्त रूप से एक विस्तार के दो पूर्णांक समाधान होते हैं।
  6. बीजगणित और वैदिक गणित विधियाँ:
  • बीजगणित विधियाँ वैदिक गणित के अन्तर्गत आती हैं। इन विधियों का प्रयोग संख्याओं के बीच के गणितीय आदान-प्रदान को आसान बनाने के लिए किया जाता है। कुछ प्रमुख वैदिक गणित विधियाँ उदाहरणार्थ, उत्तर या उपनिषद, निकट, निखिलं, एकाधिकं, उन्नासं, द्वंद्व, और विलोमं हैं।

भारतीय गणितज्ञ:

  1. आर्यभट्ट (Aryabhata): आर्यभट्ट भारतीय गणितज्ञ, खगोलशास्त्री, और गणित विज्ञानी थे। उन्होंने गणित के कई सिद्धांतों को पहली बार प्रस्तुत किया।
  2. वराह मिहिर (Varahamihira): वराह मिहिर एक प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ, खगोलशास्त्री, और ज्योतिषाचार्य थे। उन्होंने गणित, खगोल, और ज्योतिष क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान किया।
  3. ब्रह्मगुप्त (Brahmagupta): ब्रह्मगुप्त एक प्राचीन भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे। उन्होंने बीजगणित में कई प्रसिद्ध सिद्धांत प्रस्तुत किए।
  4. भास्कराचार्य (Bhaskara): भास्कराचार्य एक प्रमुख भारतीय गणितज्ञ, खगोलशास्त्री, और आर्यभट्ट के बाद भारतीय गणित के सबसे प्रमुख विद्वान थे। उ

न्होंने गणित के विभिन्न क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान किया।

  1. श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan): श्रीनिवास रामानुजन भारतीय गणितज्ञ थे जिन्होंने अपनी अद्भुत गणितीय ज्ञान के लिए प्रसिद्धता प्राप्त की। उनके गणितीय सिद्धांतों और आविष्कारों का विशेष महत्व है।

गणितीय संक्रियाएं, मूल संख्यात्मक कार्य (संख्या और उनके संबंध आदि, परिमाण क्रम इत्यादि), आंकड़ों की व्याख्या (चार्ट, रेखांकन, तालिकाएं, आंकड़ों की पर्याप्तता इत्यादि) एवं आंकड़ों का विश्लेषण, सागान्तर माध्य, माध्यिका, बहुलक, प्रायिकता, प्रायिकता के जोड़ एवं गुणा प्रमेय पर आधारित प्रश्न, व्यवहारिक गणित लाभ हानि, प्रतिशत, ब्याज एवं औसत। समय, गति, दूरी, नदी, नाव। सादृश्य (संबंधात्मक) परीक्षण, विषम शब्द, शब्दों का विषम जोड़ा, सांकेतिक भाषा परीक्षण, संबंधी परीक्षण, वर्णमाला परीक्षण, शब्दों का तार्किक विश्लेषण, छूटे हुए अंक या शब्द की प्रविष्टि, कथन एवं कारण, स्थिति प्रतिक्रिया परीक्षण, आकृति श्रेणी, तथ्यों का लुप्त होना, सामान्य मानसिक योग्यता। गणितीय संक्रियाएं:

जोड़, घटाव, गुणा, भाग

दशमलव और भिन्नों के साथ संक्रियाएं

घातांक और लघुगणक

बीजगणितीय समीकरणों का समाधान

几何मीय समस्याओं को हल करना

मूल संख्यात्मक कार्य:

संख्याएं और उनके संबंध (छोटा, बड़ा, बराबर)

परिमाण क्रम (सबसे छोटा से सबसे बड़ा और इसके विपरीत)

संख्याओं का वर्गीकरण (सम, विषम, अभाज्य, भाज्य)

आंकड़ों की व्याख्या:

चार्ट, रेखांकन और तालिकाओं की व्याख्या

आंकड़ों की पर्याप्तता का आकलन

आंकड़ों का सारांश (माध्य, माध्यिका, बहुलक)

आंकड़ों का विश्लेषण:

प्रायिकता की गणना

 प्रायिकता के जोड़ और गुणा प्रमेय

सांख्यिकीय निष्कर्ष निकालना (विश्वास अंतराल, परिकल्पना परीक्षण)

व्यावहारिक गणित:

लाभ और हानि की गणना

प्रतिशत और ब्याज दरों की गणना

औसत की गणना

समय, गति और दूरी की समस्याओं को हल करना

नाव और धारा की समस्याओं को हल करना

सादृश्य (संबंधात्मक) परीक्षण:

वस्तुओं, शब्दों या अवधारणाओं के बीच संबंधों की पहचान करना

विषम शब्द:

एक समूह से विषम शब्द या आइटम की पहचान करना

शब्दों का विषम जोड़ा:

शब्दों के ऐसे जोड़े की पहचान करना जो किसी समूह में शामिल नहीं हैं

सांकेतिक भाषा परीक्षण:

सांकेतिक भाषाओं या संकेतों की समझ का परीक्षण

संबंधी परीक्षण:

वस्तुओं या अवधारणाओं के बीच संबंधों की पहचान करना

वर्णमाला परीक्षण:

वर्णमाला का ज्ञान और पत्रों के क्रम को समझना

शब्दों का तार्किक विश्लेषण:

शब्दों के अर्थपूर्ण संबंधों की पहचान करना

छूटे हुए अंक या शब्द की प्रविष्टि:

एक अनुक्रम में लापता तत्व की पहचान करना

कथन और कारण:

एक कथन और उसके कारण के बीच संबंध का आकलन करना

स्थिति प्रतिक्रिया परीक्षण:

वर्तमान स्थिति का आकलन करने और तदनुसार प्रतिक्रिया करने की क्षमता का परीक्षण

आकृति श्रेणी:

पैटर्न और अनुक्रमों में आकृतियों की श्रृंखलाओं को पहचानना

तथ्यों का लुप्त होना:

किसी दिए गए पाठ या चित्र से प्रासंगिक जानकारी को पहचानना

सामान्य मानसिक योग्यता:

समस्या-समाधान, तर्क और विश्लेषणात्मक कौशल की समग्र क्षमता का आकलन

आपने गणितीय संक्रियाओं, मूल संख्यात्मक कार्यों, आंकड़ों की व्याख्या, और विभिन्न विषयों पर प्रश्न पूछे हैं। यहाँ इन विषयों को एक-से-एक विस्तारपूर्वक विवरण दिया गया है:

  1. गणितीय संक्रियाएं (Mathematical Operations):
  • गणितीय संक्रियाओं में शामिल होते हैं जोड़, घटाव, गुणा, भाग और अन्य गणितीय कार्य। ये कार्य अलग-अलग प्रकार की संख्याओं के साथ किये जा सकते हैं।
  1. मूल संख्यात्मक कार्य (Fundamental Arithmetic Operations):
  • ये बुनियादी गणितीय कार्य हैं जैसे जोड़, घटाव, गुणा, और भाग। इन कार्यों का अभ्यास करना अच्छा होता है क्योंकि ये गणित के बुनियादी सिद्धांत हैं।
  1. आंकड़ों की व्याख्या (Interpreting Data):
  • आंकड़ों की व्याख्या में चार्ट, रेखांकन, तालिकाएं और अन्य उपाय शामिल होते हैं जिनका उपयोग डेटा को समझने और विश्लेषण करने के लिए किया जाता है।
  1. विश्लेषण (Analysis):

   – गणनाओं को विश्लेषित करने से हम आंकड़ों के प्रश्नों का समाधान कर सकते हैं। इसमें सागान्तर माध्य, माध्यिका, बहुलक, प्रायिकता, प्रायिकता के जोड़ और गुणा प्रमेय शामिल हो सकते हैं।

  1. व्यवहारिक गणित (Applied Mathematics):
  • व्यवहारिक गणित क्षेत्र में विभिन्न गणितीय सिद्धांतों का उपयोग उचित स्थितियों में किया जाता है, जैसे कि ब्याज, औसत, गति, दूरी, नदी, और नाव।
  1. सादृश्य (Analogy):

   – सादृश्य एक तरह का तुलनात्मक अभ्यास है जिसमें दो वस्तुओं को तुलना किया जाता है ताकि उनके संबंधों को समझा जा सके। इसमें संबंधात्मक परीक्षण, विषम शब्द, और सांकेतिक भाषा परीक्षण शामिल हो सकते हैं।

  1. मानसिक योग्यता (Mental Ability):
  • गणित के अनेक पहलुओं को समझने, सोचने, और समाधान करने के लिए आवश्यक मानसिक योग्यता होनी चाहिए। इसमें लोगिक जिज्ञासा, कथन

और कारण, और स्थिति प्रतिक्रिया शामिल हो सकते हैं।

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