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HDI की संपूर्ण जानकारी – मानव विकास को मापने का वैश्विक पैमाना

मानव विकास सूचकांक (HDI): एक समग्र विश्लेषण

प्रस्तावना

मानव विकास सूचकांक (HDI) एक प्रमुख सांख्यिकीय माप है, जिसे जीवन प्रत्याशा, शिक्षा स्तर और आय के आधार पर तैयार किया जाता है। इसका उद्देश्य विभिन्न देशों में जीवन की गुणवत्ता और सामाजिक-आर्थिक विकास का मूल्यांकन करना है। इस सूचकांक की कल्पना पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब-उल-हक ने की थी, जिसे नोबेल विजेता अमर्त्य सेन का समर्थन प्राप्त हुआ। HDI को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा 1990 से प्रकाशित किया जा रहा है।


HDI की संरचना

2010 में UNDP ने HDI की गणना के लिए एक नई पद्धति अपनाई, जिसमें निम्नलिखित तीन सूचकांक शामिल किए गए:

1. जीवन प्रत्याशा सूचकांक

  • यह लम्बे और स्वस्थ जीवन को मापता है।

  • किसी देश में जन्म के समय औसत जीवन प्रत्याशा के आधार पर यह निर्धारित होता है।

2. शिक्षा सूचकांक

  • यह शिक्षा के स्तर को मापता है और दो उप-घटक होते हैं:

    • प्रत्याशित स्कूली शिक्षा वर्ष (Expected Years of Schooling)

    • औसत स्कूली शिक्षा वर्ष (Mean Years of Schooling)

3. आय सूचकांक

  • यह जीवन स्तर का मापन करता है।

  • सकल राष्ट्रीय आय (GNI) प्रति व्यक्ति के लॉगरिथमिक मूल्य पर आधारित होता है।


HDI और लैंगिक विकास

जेंडर डेवलपमेंट इंडेक्स (GDI)

  • वर्ष 2014 में पेश किया गया।

  • यह पुरुषों और महिलाओं के HDI के अनुपात को दर्शाता है।

  • भारत का GDI स्कोर 0.841 है, जिससे यह समूह 5 (सबसे अधिक लैंगिक विषमता) में शामिल होता है।

प्रमुख तथ्य:

  • महिलाओं की जीवन प्रत्याशा: 70.4 वर्ष

  • पुरुषों की जीवन प्रत्याशा: 67.3 वर्ष

  • महिलाओं की औसत स्कूली शिक्षा: 4.8 वर्ष

  • पुरुषों की औसत स्कूली शिक्षा: 8.2 वर्ष

  • महिलाओं की GNI: ₹2,722

  • पुरुषों की GNI: ₹9,889

जेंडर इनइक्वालिटी इंडेक्स (GII)

  • यह प्रजनन स्वास्थ्य, सशक्तिकरण, और श्रम भागीदारी को मापता है।

  • भारत का GII मान: 0.524

  • वैश्विक रैंकिंग: 127वाँ स्थान

अन्य प्रमुख आंकड़े:

  • मातृ मृत्यु दर (MMR): 130 प्रति लाख

  • किशोरियों में जन्म दर: 23.1 प्रति 1000

  • महिलाओं की श्रम भागीदारी: 27.2%

  • संसद में महिला प्रतिनिधित्व: 11.6%


HDI में भारत की स्थिति

  • 2018 में रैंक: 130वाँ

  • HDI स्कोर: 0.640

  • 1990 में स्कोर: 0.427
    👉 यह 50% की वृद्धि को दर्शाता है।

  • औसत जीवन प्रत्याशा: 68.8 वर्ष

  • स्कूली शिक्षा का औसत: 6.4 वर्ष (प्रत्याशित: 12.3 वर्ष)

  • GNI प्रति व्यक्ति: ₹6,353

IHDI (असमानता समायोजित HDI)

  • भारत का IHDI स्कोर: 0.468 (26.8% की गिरावट)

  • यह शिक्षा, आय, और स्वास्थ्य में असमानता दर्शाता है।


बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI)

  • भारत का MPI स्कोर: 0.121

  • गरीबी रेखा के नीचे जनसंख्या: 21.9%

  • बहुआयामी गरीब जनसंख्या: 27.5%

  • गंभीर बहुआयामी गरीबी: 8.6%


मानव विकास से जुड़ी चुनौतियाँ

1. असमानता की चुनौती

  • आय, शिक्षा और स्वास्थ्य में असमानता समाज में विभाजन और उग्रवाद को बढ़ावा दे सकती है।

  • महिलाओं का औसत HDI पुरुषों की तुलना में 5.9% कम है।

2. गुणवत्ता की कमी

  • शिक्षा और स्वास्थ्य की केवल “मात्रा” नहीं, “गुणवत्ता” भी ज़रूरी है।

  • औसत शिक्षा वर्षों में वृद्धि के बावजूद क्षमता में खास सुधार नहीं हुआ।

3. पर्यावरणीय ह्रास

  • जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी HDI को सीधे प्रभावित करते हैं।

  • उच्च HDI वाले देश पर्यावरणीय क्षरण में सबसे बड़े योगदानकर्ता हैं।


शिक्षा क्षेत्र की स्थिति

  • वयस्क साक्षरता दर: 69.3%

  • युवा साक्षरता दर (15-24): पुरुष: 90%, महिला: 81.8%

  • तृतीयक शिक्षा नामांकन: मात्र 27%

  • ड्रॉपआउट दर: 9.8%

  • सरकारी शिक्षा व्यय: GDP का 3.8%


स्वास्थ्य संकेतक

  • स्तनपान दर (0-5 माह): 54.9%

  • DPT टीकाकरण: 91%

  • ठिगनेपन (Stunting): 37.9%

  • IMR: 34.6 (लक्ष्य: 12)

  • अंडर-5 मृत्यु दर: 43 (लक्ष्य: 25)

  • भारत का स्वास्थ्य बजट: GDP का 3.9%


कार्य और रोज़गार

  • रोजगार दर: 51.9%

  • कृषि में कार्यरत: 42.7%

  • सेवा क्षेत्र में: 33.5%

  • बेरोजगारी (15-24 आयु वर्ग): 10.5%

  • गरीबी में कार्यरत लोग: 42.9%

  • पेंशन प्राप्तकर्ता: 24.1%


मानव सुरक्षा और सामाजिक संरचना

  • बच्चों का जन्म पंजीकरण: 80%

  • आंतरिक विस्थापन: 806,000 लोग

  • प्राकृतिक आपदाओं से बेघर होने की दर: प्रति दस लाख में 461

  • आत्महत्या दर: पुरुष: 17.9, महिला: 14.2 प्रति लाख


संचार और पूंजी गतिशीलता

  • इंटरनेट उपयोगकर्ता (2016): 29.5%

  • मोबाइल उपयोग (2016): 85.2 प्रति 100 लोग

  • FDI और व्यापार का GDP में योगदान: 40%

  • ODA (Official Development Assistance): GNI का 0.1%

  • प्रवासन दर: -0.4 प्रति हज़ार


निष्कर्ष

मानव विकास सूचकांक एक व्यापक उपकरण है, जो किसी भी देश की सामाजिक, आर्थिक और भौतिक स्थिति को मापने का सशक्त तरीका है। हालांकि भारत ने बीते वर्षों में HDI में उल्लेखनीय सुधार किया है, लेकिन असमानता, लैंगिक विषमता, स्वास्थ्य और शिक्षा की गुणवत्ता जैसी गंभीर चुनौतियाँ आज भी बनी हुई हैं।

HDI में प्रगति केवल आंकड़ों की बात नहीं है, यह जीवन की गुणवत्ता और समता पर केंद्रित होती है। जब तक समाज के सभी वर्गों को समान अवसर नहीं मिलते, तब तक समावेशी विकास संभव नहीं है।


सुझाव

  1. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता दी जाए।

  2. लैंगिक समानता के लिए नीतिगत हस्तक्षेप और समाजिक जागरूकता।

  3. पर्यावरणीय सततता के लिए ठोस जलवायु नीतियाँ।

  4. बहुआयामी गरीबी उन्मूलन हेतु समेकित प्रयास।

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