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गोवा का पूरा इतिहास – सांस्कृतिक और राजनीतिक यात्रा

गोवा: एक विस्तृत अवलोकन

गोवा, भारत का सबसे छोटा राज्य, अपने खूबसूरत समुद्र तटों, जीवंत संस्कृति और समृद्ध इतिहास के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह प्रदेश दो जिलों में विभाजित है: उत्तर गोवा और दक्षिण गोवा। नीचे गोवा की प्रशासनिक संरचना और उसके गौरवशाली इतिहास का विस्तृत विवरण दिया गया है।

गोवा राज्य की प्रशासनिक संरचना

गोवा राज्य को दो जिलों में विभाजित किया गया है, जिनमें कुल 11 ब्लॉक, 191 पंचायतें और 334 गाँव हैं।

क्र.सं. राज्य जिला ब्लॉकों की संख्या पंचायतों की संख्या गांवों की संख्या
1 गोवा उत्तर गोवा 6 102 172
2 दक्षिण गोवा 5 89 162
कुल 11 191 334

ध्यान दें: ब्लॉकों की संख्या गोवा सरकार के पंचायत निदेशालय के अनुसार है। पंचायतों की कुल संख्या (191) गोवा राज्य चुनाव आयोग द्वारा पुष्टि की गई है, और जिलों के बीच का विभाजन सबसे विश्वसनीय उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित है। गांवों की संख्या 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर आधारित है।


गोवा का विस्तृत इतिहास

गोवा का इतिहास बहुत प्राचीन और विविध है, जिसमें मौर्य साम्राज्य से लेकर पुर्तगाली उपनिवेशवाद और अंत में भारतीय संघ में इसके विलय तक के कई चरण शामिल हैं।

प्राचीन काल (तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से)

गोवा का ज्ञात इतिहास तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से शुरू होता है, जब यह मौर्य साम्राज्य का हिस्सा था और सम्राट अशोक के शासन में था। इस दौरान बौद्ध भिक्षुओं ने यहां बौद्ध धर्म की नींव रखी। इसके बाद, दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व और छठी शताब्दी ईस्वी के बीच, गोवा पर सातवाहन, कोल्हापुर के चुटु, पश्चिमी क्षत्रप और भोज जैसे विभिन्न राजवंशों का शासन रहा।[1]

मध्यकाल (1312–1510 ईस्वी)

1312 में, गोवा दिल्ली सल्तनत के अधीन आ गया हालांकि, इस क्षेत्र पर उनकी पकड़ कमजोर थी और 1370 तक उन्हें इसे विजयनगर साम्राज्य के हरिहर प्रथम को सौंपने के लिए मजबूर होना पड़ा।  विजयनगर के शासकों ने 1469 तक इस क्षेत्र पर नियंत्रण बनाए रखा, जिसके बाद यह गुलबर्गा के बहमनी सुल्तानों के हाथ में चला गया।  इस राजवंश के पतन के बाद, यह क्षेत्र बीजापुर के आदिल शाहियों के नियंत्रण में आ गया, जिन्होंने वेल्हा गोवा (पुराना गोवा) को अपनी सहायक राजधानी के रूप में स्थापित किया।

पुर्तगाली शासन (1510–1961)

1510 में, पुर्तगालियों ने एक स्थानीय सहयोगी, तिमय्या की मदद से बीजापुर के सुल्तानों को हराकर गोवा पर विजय प्राप्त की। यह लगभग 450 वर्षों के पुर्तगाली शासन की शुरुआत थी, जिसने गोवा की संस्कृति, भोजन और वास्तुकला को गहराई से प्रभावित किया। पुर्तगालियों ने गोवा को पूर्व में अपने विशाल समुद्री साम्राज्य की राजधानी बनाया और इसे व्यापार, धर्म और संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र बनाया। उन्होंने गोवा में ईसाई धर्म का प्रसार किया और कई भव्य चर्चों का निर्माण किया, जिनमें से कुछ आज यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल हैं।भारतीय स्वतंत्रता और गोवा की मुक्ति

1947 में भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद, भारत ने पुर्तगाल से अपने क्षेत्रों को सौंपने का अनुरोध किया, लेकिन पुर्तगाल ने इनकार कर दिया।अंततः, 19 दिसंबर 1961 को, भारतीय सेना ने “ऑपरेशन विजय” नामक एक सैन्य अभियान चलाया और गोवा, दमन और दीव को भारतीय संघ में शामिल कर लिया।

राज्य का दर्जा

शुरुआत में, गोवा, दमन और दीव को एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में प्रशासित किया गया था। 16 जनवरी 1967 को एक जनमत संग्रह हुआ जिसमें गोवा के लोगों ने महाराष्ट्र में विलय के खिलाफ और एक अलग पहचान बनाए रखने के पक्ष में मतदान किया। 30 मई 1987 को, केंद्र शासित प्रदेश को विभाजित किया गया और गोवा को भारत का पच्चीसवां राज्य बनाया गया, जबकि दमन और दीव एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बने रहे।

आज, गोवा अपनी अनूठी विरासत, खूबसूरत समुद्र तटों और जीवंत जीवन शैली के कारण भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है।

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