Input-Output Device
ये Computer व User के मध्य सम्पर्क की सुविधा प्रदान करते हैं | Input Device दिये गये Data और Programmes को कम्प्यूटर के समझने योग्य रूप में परिवर्तित करते हैं। ये Devices Character, Numericals तथा अन्य चिन्हों को 0 तथा 1 Bit में Convert करते हैं जिन्हें कम्प्यूटर समझ सकता है तथा Data Processing कर सकता हैं | Input Device सीधे computer के नियंत्रण में रहते हैं ।
Input Devices-
(1) Key Board
(2) Mouse
(3) Track Ball
(4) Joystick
(5) Digitizing Tablet
(6) Scanner
(7) Digital Camera
(8) MICR
(9) OMR
(10) OCR
(11) Light Pen
(12) Touch Screen
(13) Voice Input
(14) BCR
(15) Web Camera
(1) Key Board
यह मुख्य और सुगम Online Input Device ही Data और Programme Key Board Computer में Input किय जाते हैं। इसके द्वारा User कुछ Commands Computer को देता हैं और उसका प्रभाव तत्काल Screen पर पड़ता है।
Key Board एक Type Writer के समान Keys वाला उपकरण हैं। लेकिन इसमें Keys की संख्या Type Writer से अधिक होती हैं। Key Board के बटन में एक मुख्य बात यह होती हैं कि किसी बटन को कुछ देर तक दबाए रखने पर वह स्वयं को दोहराता हैं यह किया Typematic कहलाती हैं।
Key Board दो प्रकार के होते हैं-
(1) क्रमानुसार (Serial Key Board) – यह Data के 1 और o Byte को Bit by Bit क्रमानुसार भेजता हैं ।
(2) समानान्तर (Parallel Key Board) – यह डाटा के सभी 1 व 0 Byte को पृथक-2 तारों में एक साथ भेजता हैं ।
Key Board की सभी कुंजियों को सात समूह में बांटा गया हैं।
(1) Alphabat Keys (A-Z)
(2) Numerical(0-9)
(3) Functional(F1-F12)
(4) Arrow Keys(->,<-)
(5) Symbol Keys
(6) Control Keys
(7) Special Keys
(2) Mouse
यह एक Online Input Device हैं इसे रखने के लिये माउस पेड का उपयोग किया जाता हैं। इसे हाथ से पकड़कर काम में लेते हैं। समतल सतह पर माउस को हिलाने पर इसके नीचे लगी Ball घुमती हैं जो माउस में लगे छोटे-2 रोलर्स को संवेदित करती हैं। यह संवेदना को Digital Value में बदलकर यह व्यक्त करती हैं कि माउस किस दिषा में गति कर रहा हैं 1 माउस में दो या दो से अधिक बटन होते हैं जिनको दबाने से Screen पर Pointer की सहायता से Screen के अव्यव चुने जाते हैं। माउस के बटन को अंगूली से दबाने की क्रिया Click कहलाती हैं । माउस एक केबल की सहायता से कम्प्यूटर के C.P.U. से जुड़ा होता हैं।
G.U.I. (Graphical User Interface ) Application के Develop होने से माउस में काम आने लगा। Mouse Pointing Device पर काम करता है । Mouse प्राय: Screen पर Pointer को Control करता हैं । यह Screen पर Graphic तैयार करने में काम आता हैं। इसमें मुख्यतः दो Buttons होते हैं, Left Side तथा Right Side | Left Button सबसे अधिक काम में आता हैं ।
(3) Track Ball –
Track Ball भी वही कार्य करती है जो माउस करता हैं । अन्तर यह हैं कि माउस को हाथ से घूमाना पड़ता हैं जबकि Track Ball को अंगूली या अंगूठे से घूमाकर संचालित किया जाता हैं। इसे अधिकांष लेप टॉप कम्प्यूटर में उपयोग करते हैं बॉल को जितना और जिस दिषा में घूमाते हैं Pointer उतना व उसी दिषा में संचालित होगा।
(4) Joy Sticks –
Joy Sticks Games खेलने के काम आने वाला Input Device हैं। Joy Stick के माध्यम से Screen पर उपस्थित आकृति को इसके Handle से पकड़कर चलाया जा सकता हैं । यह माउस की तरह ही कार्य करता हैं परन्तु फर्क इतना हैं कि माउस को एक बार किसी दिषा में Move करके छोड़ देने पर Cursor वहीं रूक जाता हैं। परन्तु Joy Stick में एक बार Move करने पर Object उसी तरफ Move करता हैं जब तक कि उसको पुनः पहले वाली स्थिति में न लाए ।
(5) Digitizing Tablet – यह एक Input Device है | Graphic Tablet में एक Drawing सतह होती हैं। इसके साथ एक Pen जुड़ा होता हैं जिसे Stylus कहते हैं । Drawing सतह में (grid) पतले तारों का जाल होता हैं जिस पर पेन को चलाने से संकेत कम्प्यूटर में चले जाते हैं व Screen पर Image बन जाती हैं।
(6) Scanner – यह एक Input Device हैं जिसके द्वारा Text, Graphics को सीधे कम्प्यूटर में डाला जाता हैं। इसके लिए जिस Text/Graphics को Scan करना हैं उसे Scanner की Flat सतह पर रखा जाता हैं। स्केनर पर लगे Lense और Light Source के द्वारा चित्र को Binary Code में Change करके कम्प्यूटर की मेमोरी में पहुंचाया जाता हैं। तथा उसे मोनीटर की Screen पर देखा जा सकता हैं । Scan की गई फोटो में आवष्यकतानुसार चेन्ज किये जा सकते हैं। इनका अधिकतर उपयोग Designer द्वारा किया जाता हैं।
Scanner दो प्रकार के होते हैं
(1) Hand Scanner इसको हाथ से पकड़कर चित्र के उपर से गुजारा जाता हैं। इसे कवर बन्द करके Operate किया जाता हैं। यह पूरे पेज में अंकित सूचनाओं को एक साथ स्केन करता हैं 1
(2) Desktop Scanner इस Scanner में Photo को रखकर उसका कवर बन करके ऑपरेट किया जाता हैं। यह पूरे पेज में अंकित सूचनाओं को एक साथ Scan करता हैं।
(7) Digital Camera –
Digital Camera एक ऐसा Mobile Input Device हैं जो किसी भी दृष्य को Store करने के काम आता हैं दृष्य को Store करते समय इसे Camera की Screen पर भी देख सकते हैं। यह छोटे आकार की Input Device हैं ।
(8) MICR
(Megnetic Ink Character Reader) इस उपकरण के द्वारा Input किये जाने वाले डाटा को एक पेपर पर लिखा जाता हैं। अक्षरों को लिखने के लिए एक विषेष फोन्ट होता हैं। इस फोन्ट के प्रत्येक अक्षर Lines में बना होता हैं इसमें एक विषेष प्रकार की Megnetic Ink का प्रयोग किया जाता हैं। जिसमें Iron Oxide नामक चुम्बकीय पदार्थ मिला होता हैं। यह अधिकतर Banks के चैक व Draft No. पढ़ने के लिए प्रयोग में लिया जाता है । उस चैक को MICR के Reading Head के नीचे से गुजारा जाता है । यह Cheque व D.D. को पूर्ण शुद्धता से पढ़ता हैं तथा इसकी इनपुट की गति फास्ट होती हैं। जिससे Processing Speed तेज होती हैं। इसमें Font Match करने चाहिए व Character Megnetic Ink से ही लिखे होने चाहिए।
(9) OMR –
(Optical Mark Reader ) – यह एक ऐसी Input Device हैं जो किसी कागज पर पेन या पेन्सिल के चिन्ह की उपस्थिति को जांचती हैं इसमें चिन्हित कागज पर प्रकाष डाला जाता हैं। और परिवर्तित प्रकाष को जांचा जाता हैं। जहां चिन्ह होगा उस भाग में परावर्तित प्रकाष की तीव्रता कम होगी। उसका उपयोग किसी परीक्षा की उत्तर पुस्तिका की जांच में होता हैं ।
(10) OCR-
(Optical Character Reader) – OCR Character को स्केन करके सीधे ही कम्प्यूटर में इनपुट करने के लिए काम में लिया जाता हैं इसके द्वारा ग्राफीक्स को स्केन नहीं किया जा सकता। इसके प्रत्येक अक्षर को एक प्रकाष स्त्रोत से प्रकाषित किया जाता हैं। और इसे OCR में नीचे रखी हुई Photo Sensitive Plate पर प्राप्त किया जाता हैं | OCR द्वारा Data को Binary Code में बदलकर कम्प्यूटर में इनपुट किया जाता हैं इससे डाटा इनपुट की गति बढ़ जाती हैं व गलतियों की संभावना नहीं रहती हैं।
(11) Light Pen –
यह कम्प्यूटर की Screen पर कोई Image Draw के लिए प्रयोग में लिया जाता हैं | Light Pen की Tip से जब Screen पर कोई आकृति बनाई जाती हैं तो इसकी Pulse Screen से Transfer होकर प्रोसेसर में चली जाती हैं तथा मोनीटर की उस जगह पर जहां पर पेन को मूव किया गया हैं डिजाइन दिखने लगती हैं। लाईट पेन को मेन्यू में दिये गये Option को सलेक्ट करने में भी किया जाता हैं इससे बनी किसी भी इमेज को सेव कर सकते हैं । अर्थात् लाईट पेन से Screen पर जो भी लिखते हैं या ग्राफ बनाते हैं । वह Screen पर बन जाता हैं ।
(12) Touch Screen –
यह भी एक Input Device हैं | Touch Terminal एक Sensitive Screen रखते हैं। अंगूली छूकर ही Screen पर किसी Option को Select किया जा सकता हैं । Touch Screen बहुत सारे बिन्दुओं का समावेष होता हैं तथा प्रत्येक बिन्दु एक अलग इनपुट प्रवृती को स्वीकार करता हैं इसका प्रयोग करने के लिए अनुभवी ऑपरेटर की जरूरत नहीं होती हैं यह उन व्यक्तिओं के लिए हैं जो कम्प्यूटर चलाना नहीं जानता।
Screen में एक तरफ Horizontally तथा Vertically Rays Generator होते हैं जिनसे Rays fनकलती हैं तथा Screen पर एक Invisible Matrix Create होता हैं जो एक Coordinate System की तरह काम करता हैं | Screen के दूसरी तरफ Horizantlly तथा Vertically Sensors होते हैं जो निकलने वाली Rays को Catch करते हैं जब भी कोई यूजर Screen को Touch करता हैं तो निकलने वाली Rays Sensors तक नहीं पहुँच पाती हैं तथा कम्प्यूटर का Software, Coordinate System का प्रयोग करते हुये यह पता कर लेता हैं कि Screen पर कहाँ Touch किया गया हैं।
(13) Bar Code Reader (B.C.R.) –
BCR द्वारा Printed Lines के समूह को एक डाटा के रूप में पढ़ा जा सकता हैं । Universal Product Code सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाला BCR Code हैं। जो लगभग सभी Retail वस्तुओं की packing पर होता हैं। BCR वास्तव में एक स्केनर हैं जो UPC को Laser Beam की सहायता से पढ़ता हैं UPC में एक श्रेणी में कई खड़ी लाइनें होती हैं। इन Lines को 10 डिजीट में पढ़ा जाता हैं। इनमें से प्रथम 5 से निर्माता व अन्तिम 5 से Product की जानकारी होती हैं । होती हैं। जिसकी चौड़ाई अलग – 2 Distributor का पता चलता हैं तथा
(14) Voice Input or Voice Recognizer –
Computer में तकनीक का सबसे नया उदाहरण Voice Input हैं इस तकनीक में हम कम्प्यूटरमें डाटा बिना टाइप किये सीधे ही बोलकर इनपुट करा सकते हैं इससे डाटा इनपुट में होने वाली परेषानियों को दूर किया जा सकता हैं । यह तकनीक कम्प्यूटर यूजर को इनपुट में सहायता प्रदान करती हैं। इस तकनीक में कुछ समस्या भी हैं जैसे कि एक समस्या तब सामने आती हैं जब डाटा बोलकर इनपुट किया जाता हैं। इस समय सिस्टम यह परखता हैं कि कौन बोल रहा हैं तथा सन्देष क्या हैं । System उसी व्यक्ति की आवाज को पहचानेगा जो व्यक्ति उसे हमेषा उपयोग में लेता हैं। वॉयस रिकॉग्निषन (Voice Recognition) में अन्य बहुत-सी तकनीक हैं जिनके माध्यम से वॉयस सिग्नल को उचित शब्दों में परिवर्तित किया जा सकता हैं । अधिकतर वॉयस रिकॉग्नषन सिस्टम (Voice Recognition System) स्पीकर पर निर्भर (Speaker Dependent) होते हैं। इस सिस्टम में स्पीकर किसी शब्द जैसे ‘ट्रेन’ का उच्चारण बार-बार करता हैं तो यह सिस्टम सिर्फ उसी शब्द की आवाज को पहचानेगा जो पहली बार प्रयोग में लायी गयी थी परन्तु आजकल जो कि स्पीकर पर निर्भर नहीं हैं सारे शब्दों को पहचान लेते हैं चाहे व किसी भी यूजर द्वारा कहे गये हों, लेकिन यह डाटा की लगातार इनपुटिंग को स्वीकार नहीं करते हैं।
(15) वेब कैमरा (Web Camera)-
वेब कैमरा का प्रयोग विषेषतः कम्प्यूटर के साथ होता है। प्रयोक्ता इसका प्रयोग खास तौर पर ऑन लाइन चैटिंग के समय करते हैं। वेब कैमरा किसी ऑब्जेक्ट पर फोकस करके उसका चित्र लेता हैं तथा इसे कम्प्यूटर स्क्रीन पर दूसरी ओर ऑन लाइन व्यक्ति (यदि उसके पास भी वेब कैमरा है तब ) को देख सकते हैं तथा उससे बातचीत कर सकते हैं।
(16) विडियो कैमरा (Video Camera) –
डिजीटल वीडियो कैमरा एक ऐसा मोबाइल इनपुट डिवाइस हैं जो कि किसी भी दृष्य, चलचित्र आदि को स्टोर करने के काम आता हैं। इसके माध्यम से हम दृष्य को शूट करके स्टोर करते समय उस दृष्य को कैमरे के स्क्रीन पर भी देख सकते हैं। डिजीटल विडियो कैमरा (Digital Video Camera) बहुत छोटे आकार का इनपुट उपकरण है जिसको एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता हैं।
“Output Device”
जिस उपकरण की सहायता से CPU से आने वाली सूचनाओं या परिणामों को हम प्राप्त कर सकते हैं उन्हें हम आउटपुट डिवाइस कहते हैं। कम्प्यूटर से प्राप्त परिणाम दो प्रकार के होते हैं ।
(1) Soft Copy (2) Hard Copy
यदि परिणाम से प्राप्त सूचनाओं को किसी प्रोग्राम माध्यम से Screen पर देखा जा सके या आवाज के रूप में प्राप्त किया जा सके तधा जिसे बार बार परिवर्तित भी किया जा सके Soft Copy कहलाती हैं। तथा इन परिणामों को Floppy, Hard Disk पर स्टोर कर लिया जाता हैं।
जब रीजल्ट को प्रिन्टर अथवा Plotter द्वारा कागज पर प्रिन्ट किया जाता हैं तो यह hard copy होती हैं । परिणामों को देखने के लिए विभिन्न प्रकार के आउटपुट डिवाइस हैं।
(1) Monitor
(2) Printer
(3) Plotter
(4) Sound Card & Speaker
(1) Printer –
यह एक आउटपुट डिवाइस हैं तथा इसकी सहायता से सूचनाओं को Print Form में लिया जाता हैं। यह एक Hard Copy device हैं। इन्हें निम्न प्रकार वर्गीकृत कर सकते हैं
(1) Impact Printer (2) Non Impact Printer
(1) Impact Printer – Type Writer के सिद्धान्त पर बना हुआ Device हैं जो Ribbon या Paper पर प्रहार करके अक्षर छापता हैं यह Striking Theory पर काम करता हैं।
(2) Non Impact Printer – ये रीबन पर प्रहार नहीं करते हैं तथा इनमें रसायनिक inkjet अथवा प्रकाषीय विधि से अक्षर छापता हैं।
इनके आलावा Printer को अन्य तीन श्रेणी में रखा गया हैं ।
(1) Character Printer – एक Character Print करता हैं ।
(2) Line Printer – एक बार में एक पूरी लाइन Print करता हैं ।
Fundamentals of Computers & Information Technology
(3) Page Printer –
एक बार में पूरा पेज प्रीन्ट करता हैं। Printer निम्न प्रकार के होते हैं ।
(1) Dot Matrix Printer
(2) Daisy Wheel Printer
(3) Drum Printer
(4) Chain Printer
(5) Inkjet Printer
(6) Laser Printer
(1) Dot Matrix Printer – यह एक Impact Printer हैं तथा यह Character Printer की श्रेणी में आता हैं इसके Printer Head में अनेक Pins का एक Matrix बनता हैं । तथा प्रत्येक Pin के Ribbon व Paper पर स्पर्ष से एक डॉट बनता हैं तथा अनेक डॉट मिलकर एक Character या Image बनते हैं। एक बार में किसी एक Particular Character को Print करने वाली Pins ही Printer Head से बाहर निकलकर डॉट को छापती हैं । कुछ Dot Matrix Printer लाइनों को दाएं से बाएं तथा बाएं से दायें दोनो दिषाओं में प्रीन्ट करने की क्षमता रखते हैं। इन प्रीन्टर की गति 30 से 600 Character / Second हो सकती हैं अनेक Dots मिलकर एक Character बनाता हैं दोनो तरफ चलने वाले Printer Bi-Directional Printer कहलाते हैं ।
विषेषताएं –
(1) D.M.P. अधिक मंहगे नहीं होते हैं ।
(2) इनकी printing Speed Fast होती हैं ।
(3) ये ज्यादा समय तक काम आते हैं ।
(4) इनकी पेपर Printing Quality Better नहीं होती हैं।
( 5 ) इनका प्रति पेपर प्रिन्टींग मूल्य सबसे कम हैं।
(6) इनमें किसी भी प्रकार की आकृति प्रिन्ट की जा सकती हैं।
(7) ये आवाज ज्यादा करते हैं ।
(8) केवल Black & White Printing की जा सकती हैं।
(9) Font की Size Change की जा सकती हैं।
(2) Daisy Wheel Printer –
ये Impact Printer हैं तथा Character Printer की श्रेणी में आता हैं इसकी आकृती Daisy नामक फूल के जैसी होने के कारण Daisy नाम पड़ा। Daisy Wheel Printer में एक Wheel होता हैं। जिस पर चारों तरफ Character उभरे हुए होते हैं वे यह Wheel तेज गति से घूमता हैं एवं थोड़ा उपर नीचे हो सकता हैं। जब वांछित Character Ribbon के सामने आता हैं तो यह Head Ribbon को Strike करता हैं इसकी Printing Speed 200 से 2000 Line Per Minute हो सकती हैं ।
विषेषताएं (1) Fixed Font (2) Print Only Character & Text ( 3 ) DMP से अच्छी Printing Quality. (4) ये भी केवल Black & White Printing करती हैं।
(3) Chain Printer –
इस Printer में धातू की बनी हुई चैन होती हैं। जो निष्चित गति से घूमती हैं पूरी चैन पर अक्षर, संख्याओं, विषेष चिन्हों के समूह बने होते हैं इसमें प्रिन्ट स्थानों की संख्या के बारबर उसके सामने की ओर छोटे-2 Hammer लगे होते हैं। कागज तथा Ribbon को चैन के पीछे रखा जाता हैं तथा Character को Print करने के लिए चैन निष्चित गति से घूमती हैं इस दौरान जब – 2 जो Character अपने प्रिन्ट स्थान के सामने आता तब उस स्थान की Hammer Ribbon तथा कागज से टकराता हैं तथा Character Print हो जाता हैं इस Printer की गति 400 से 2400 Per Minute होती हैं ।
विषेषताएं
(1) Line Printer & Impact Printer
(2) Fix Font Size (font size फिक्स होती हैं)
(3) Printing Quality Better (Printing Quality अच्छी होती हैं)
(4) Only black & White Printing (सिर्फ Black & White Printing की जाती हैं)
(5) Inkjet Printer –
यह एक Non Impact Printer हैं तथा Character Printer की श्रेणी में आता हैं। इसमें प्रिटिंग के लिए Ink काम में ली जाती हैं जो कि Cartridge में भरी होती हैं। इनमें छोटे – 2 Nozzels होते हैं जिससे Ink की बूंदो को Spray करके Character व आकृतियां छापी जाती हैं। इसमें एक Megnatic Plate होती हैं जो Ink के direction को decide करती हैं। Print Head के Nozzel में Ink की बूंदो को आवेषित करके कागज पर उचित दिषा में छोड़ा जाता हैं। इस प्रिन्टर का आउटपुट अधिक स्पष्ट होता हैं। ये आवाज कम करते हैं | Graphics Printing तथा Color Printing भी की जा सकती हैं। इसमें दो प्रकार की Ink काम में आती हैं। एक वह जो घुलनषील होती हैं। इससे किया गया प्रिन्ट पानी गिरने से खराब हो सकता हैं दूसरे प्रकार की इंक पानी में नहीं घुलती इसमें प्रिन्ट किये गये Document ज्यादा सुरक्षित रहते हैं ज्यादा समय तक Printing नहीं करने से Print Head के Nozzels पर स्याही जमकर छिद्रो को बंद कर देती हैं। इसकी Printing Quality better तथा मंहगी होती हैं। इस Printer में Cartridge को Refill भी किया जा सकता हैं परन्तु इसकी Printing Quality उतनी स्पष्ट नहीं होती है तथा Head पर अत्यधिक भार पड़ता हैं ।
(6) Laser Printer –
लेजर प्रिंटर नॉन इम्पैक्ट पेज प्रिंटर हैं। लेजर प्रिंटर का उपयोग कम्प्यूटर सिस्टम में 1970 के दषक से हो रहा हैं। पहले ये मेनफ्रेम कम्प्यूटर में प्रयोग किये जाते थे। 1980 के दषक में लेजर प्रिंटर का मूल्य लगभग 3000 डॉलर था और यह माइक्रोकम्प्यूटर के लिये उपलब्ध था। ये प्रिंटर आजकल अधिक लोकप्रिय हैं क्योंकि ये अपेक्षाकृत अधिक तेज और उच्च क्वालिटी में टेक्स्ट और ग्राफिक्स छापने में सक्षम हैं।
लेजर प्रिंटर पृष्ठ पर आकृति (Images) को जेरोग्राफी (Xerography) तकनीक से छापता हैं। जेरोग्राफी (Xerography) तकनीक का विकास जेरॉक्स (Xerox ) मषीन ( फोटोकॉपिअर मषीन) के लिये हुआ था । जेरोग्राफी एक फोटोग्राफी जैसी तकनीक है, जिसमें फिल्म, एक आवेषित पदार्थ का लेपन युक्त ड्रम (Drum) होती हैं यह ड्रम फोटो-संवेदित होता हैं। इसके द्वारा कागज पर आउटपुट को छापा जाता हैं। इस ड्रम पर आउटपुट इस प्रकार आता हैं।
कम्प्यूटर से प्राप्त आउटपुट, लेजर – स्त्रोत से लेसर – किरण के रूप में उत्सर्जित होता हैं । यह किरण लेन्सों से एक घूमते हुए बहुभुजाकार (Polygon shaped) दर्पण पर फोकस की जाती है, जहां से परावर्तित होकर आउटपुट की यह लेजर – किरण लेन्सों द्वारा पुनः एक अन्य दर्पण (b) पर फोकस होती हुई परावर्तित होकर फोटो – संवेदित ड्रम पर गिरती हैं। घूमने वाला बहुभुजाकार दर्पण (a) आउटपुट की लेसर – किरण को सम्पूर्ण फोटो – संवेदित ड्रम पर छपने वाली लाइनों के रूप में डालता हैं। जब यह ड्रम घूमता हैं तो आवेषित स्थानों पर टोनर (Toner – एक विषेष स्याही का पाउडर) चिपका लेता हैं। इसके बाद यह टोनर कागज पर स्थानान्तरित हो जाता हैं जिससे आउटपुट कागज पर छप जाता हैं। यह आउटपुट अस्थाई होता है, टोनर को स्थाई रूप से कागज पर सील (Seal) करने के लिए इसे गरम रोलर से गुजारा जाता हैं।
अधिकतर लेजर प्रिंटर्स में एक अतिरिक्त माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor), रैम (RAM) और रोम (ROM) होते हैं। रोम (ROM) में फॉन्ट (Font) और पृष्ठ को व्यवस्थित करने के प्रोग्राम संग्रहीत रहते हैं लेजर प्रिंटर सर्वश्रेष्ठ आउटपुट छापता हैं। प्रायः यह 300 Dpi से लेकर 600 तक या उससे भी अधिक रेजोल्यूषन की छपाई करता हैं । रंगीन लेजर प्रिंटर उच्च क्वालिटी का रंगीन आउटपुट देता हैं। इसमें विषेष टोनर होता हैं, जिसमें विविध रंगों के कण उपलब्ध रहते हैं।
लेजर प्रिंटर महँगे होते हैं, लेकिन इनकी छापने की गति उच्च होती हैं। प्लास्टिक की शीट या अन्य किसी शीट पर भी यह प्रिंटर आउटपुट को छाप सकते हैं। इनका उपयोग छपाई की ऑफसेट मषीन के मास्टर (Master) कॉपी छापने में होता हैं जिनसे आउटपुट की प्रतिलिपियाँ अधिक संख्या में छापी जाती हैं ।
विषेषताएं
( 1 ) इनकी Printing Speed सबसे अधिक होती हैं ।
( 2 ) इनकी Printing Quality सबसे अच्छी होती हैं ।
(3) ज्यादातर Designing में काम आता हैं ।
( 4 ) इनकी Printing Cost ज्यादा होती हैं। |
(5) Black & White तथा Colour दोनों ही प्रकार की प्रीन्टींग की जा सकती हैं।
(6) इनका रखरखाव कठीन हैं। |
(7) Thermal Printer –
Non Impect Printer हैं। तथा Character Printer की श्रेणी में आता हैं। इसमें Printer Head पर Pins होती हैं। व इन्हें Electrical Heat देकर गर्म किया जाता हैं। जब यह Chemical Coated Paper पर Push करती हैं तो Character छपता हैं ।
(2) Plotters – यह एक Out put Device हैं जो Charts Drawing, Maps, 3-D रेखाचित्र, Graph तथा अन्य प्रकार के Hard Copy Print करने के काम में लेते हैं। इसमें Arms होते हैं जिसमें Pens लगे होते हैं वे Arms Move करती हैं तथा जहां पेपर लगे होते हैं वहाँ Image Create हो जाती हैं ।
ये दो प्रकार के होते हैं ।
(1) Flat Bed Plotter
(2) Drum Pen Plotter
(1) Flat Bed Plotter – इस Plotter में कागज के स्थिर अवस्था में एक बेड (Bed) या ट्रे (Tray) में रखा जाता हैं। एक भुजा (Arm) पर पेन (Pen) चढ़ा रहता हैं जो मोटर में कागज पर उपर-नीचे (Y-अक्ष) और दायें – बायें (X – अक्ष) गतिषील होता हैं कम्प्यूटर पेन को X-Y अक्ष की दिषाओं में नियंत्रित करता हैं और कागज पर आकृति चित्रित करता हैं।
इलेक्ट्रोस्टैटिक तकनीक (Electrostatic Technique) :- इस तकनीक में पेन (Pen) के स्थान पर एक टोनर बेड (Toner Bed) होता हैं। यह टोनर बेड (Toner Bed) फोटोकॉपी मषीन की ट्रे (Tray) के समान कार्य करता हैं, लेकिन यहाँ प्रकाष के स्थान पर कागज आवेषित (Charged) करने के लिए छोटे-छोटे तारों (Wires) का एक जाल (Matrix ) होता हैं । जब आवेषित कागज टोनर (Toner) से गुजारा जाता हैं तो टोनर कागज के आवेषित बिन्दुओं पर चिपक जाता हैं जिससे चित्र (Image) उभर आता हैं।
Flat Bed इलेक्ट्रोस्टैटिक प्लॉटर (Flat bed Electrostatic Plotter) की गति तो तीव्र होती हैं लेकिन इसके आउटपुट की स्पष्टता पेन प्लॉटर (Pen Plotter) से कम होती हैं। ड्रम प्लॉटर (Drum Plotter) और फलैटबेड प्लॉटर (Flat bed Plotter), दोनों प्रकार के प्लॉटरों में पेन तकनीक या इलेक्ट्रोस्टैटिक (Electrostatic) तकनीक का प्रयोग हो सकता हैं।
(2) Drum Plotter – यह एक ऐसी आउटपुट डिवाइस हैं, जिसमें पेन (Pen) प्रयुक्त होते हैं, जो गतिषील होकर कागज की सतह पर आकृति तैयार करते हैं। कागज एक ड्रम पर चढ़ा रहता हैं, जो आगे खिसकता जाता हैं। पेन (Pen) कम्प्यूटर द्वारा नियंत्रित होता हैं। यह प्लॉटर एक यांत्रिक कलाकार (Mechanical Artist ) की तरह कार्य करता नजर आता हैं। जैसे ही इसमें रंगों का चुनाव होता हैं तो यह मनमोहक लगता हैं। कई पेन प्लॉटरों में फाइबर टिप्ड पेन (Fiber tiped pen) होते हैं। यदि उच्च क्वालिटी की आवष्यकता हो तो तकनीकी ड्राफ्टिंग पेन (Technical Drafting Pen) प्रयोग किया जाता हैं । पेन (Pen) की गति एक बार में एक इंच (inch) के हजारवें हिस्से के बराबर होती हैं। कई रंगीन प्लॉटरों में चार या चार से अधिक पेन (Pen) होते हैं। प्लॉटर एक सम्पूर्ण चित्र (Drawing) को कुछ इंच प्रति सैकण्ड की दर से प्लाट करता हैं।
(iii) Sound Card & Speakers – यह भी एक Out Put Device हैं कम्प्यूटरमें Sound का प्रयोग किसी प्रोग्रामस या Games मे आने वाले संदेषो को प्राप्त करने के लिए किया जाता हैं । कम्प्यूटर द्वारा आवाज प्राप्त करने के लिए हमें एक हार्डवेयर डिवाइस मषीन के साथ जोड़ना होता हैं । जिसे साउन्ड कार्ड कहते हैं ।
Sound Card Computer के Mother Board के Free Slot में लगाया जाता हैं । Sound Card Mother Board के साथ In Build हो सकता हैं। और अलग भी लग सकता हैं । Sound Card लेने से पहले उसकी गुणवता का ध्यान रखना आवष्यक हैं।
Speakers एक ऐसी Device हैं जिसके माध्यम से हम Multimedia, Computer System के सारे प्रोग्राम्स के Sound, Music आदि आसानी से सुन सकते हैं।
(iv) Monitor – Output उपकरणों में सबसे अधिक काम आने वाला उपकरण मॉनीटर हैं यह main Output Device हैं User Monitor के द्वारा ही कम्प्यूटर से संवाद करता हैं । सामान्यतः प्रदर्षित रंगो के आधार पर मॉनीटर को तीन भागों में बांटा गया हैं।
(1) Monochrome (मोनोक्रोम):- यह दो शब्द मोनो (एकल / Single ) तथा क्रोम (रंग) से मिलकर बना हैं। इस प्रकार के मॉनीटर आउटपुट को Black & White रूप में प्रदर्षित करते हैं ।
(2) Gray Scale स्केल):- यह विषेष प्रकार के मोनो क्रोम मॉनीटर होते हैं जो Gray Shade में आउटपुट प्रदर्षित करते हैं इस प्रकार के मॉनीटर अधिकतर लेप टॉप में प्रयोग में लिये जाते हैं ।
(3) Color Monitor (रंगीन मॉनीटर ):- RGB (Red Green Blue) विकरणों के आउटपुट को प्रदर्षित करता हैं | RGB के सिद्धान्त के कारण ऐसे मॉनीटर उच्च Resolution पर Graphics को प्रदर्षित करते हैं | Computer के मेमोरी की क्षमता के अनुसार ऐसे मॉनीटर 16 से लेकर 16 लाख तक के रंगो में आउटपुट प्रदर्षित करने कि क्षमता रखते हैं।
Micro Computer दो प्रकार के मॉनीटर होते हैं।
Monitor
(a) CRT(Control Ray Tabe)
(b) LCD (Liquid Crystal Display)