📘 लाईबनिज का मोनाडवाद (Monadology of Leibniz) – हिंदी में
🔹 1. भौतिक और चेतन के बीच कोई भेद नहीं
-
लाईबनिज ने यह स्वीकार नहीं किया कि स्थूल (Gross) और चेतन (Conscious) तत्वों में कोई अंतर है।
-
वे भौतिक परमाणुओं (Physical Atoms) के विचार को अस्वीकार करते हैं, क्योंकि:
“जो तत्व विस्तारशील (expandable) हो, वह वास्तव में अविभाज्य (indivisible) नहीं हो सकता।”
🔹 2. चेतना में कोई विस्तार नहीं होता
-
चूंकि चेतना (Consciousness) विस्तारहीन होती है, इसलिए उसे विभाजित नहीं किया जा सकता।
-
इस अविभाज्य, चेतन तत्व को लाईबनिज ने “मोनाड (Monad)” कहा है।
🌟 मोनाड की प्रमुख विशेषताएँ (Characteristics of Monads)
-
स्वतंत्रता का अर्थ — लाईबनिज के अनुसार स्वतंत्रता का अर्थ है:
“स्वतंत्र क्रिया करने की शक्ति (independent power of action)”
न कि स्वतंत्र अस्तित्व। -
हर वस्तु में क्रियाशील शक्ति होती है
इसलिए लाईबनिज ने कहा कि:“हर वस्तु एक सक्रिय और स्वतंत्र मोनाड है।”
-
मोनाड ‘विंडोलैस’ होते हैं
इसका अर्थ है:“मोनाड बाहर से किसी भी वस्तु से प्रभावित नहीं होते।”
वे पूरी तरह से आत्मनिर्भर (self-contained) होते हैं। -
हर मोनाड में संपूर्ण जगत का बीज रूप में अस्तित्व है
अतः:“हर मोनाड स्वयं में पूर्ण है। उसे अपने अस्तित्व के लिए केवल ईश्वर की आवश्यकता है।”
🔍 मोनाड के दो प्रमुख आंतरिक क्रियात्मक तत्व:
-
Perception (अनुभूति)
-
यह मोनाड की आंतरिक शक्ति है जिससे वह पूरे जगत को अपने भीतर से व्यक्त कर सकता है।
-
लाईबनिज के अनुसार:
“हर मोनाड संसार का दर्पण (mirror) है।”
-
-
Appetition (अभिलाषा / उर्ध्वगमन की प्रवृत्ति)
-
यह मोनाड की वह शक्ति है जिससे वह निम्न चेतना से उच्च चेतना की ओर बढ़ता है।
-
इस आधार पर मोनाड को पाँच श्रेणियों में बाँटा गया है:
-
🌱 मोनाड के प्रकार (Types of Monads)
मोनाड का प्रकार | स्तर | चेतना की स्थिति | वेदांत/उपनिषद में समकक्ष |
---|---|---|---|
1. नग्न मोनाड (Naked Monads) | न्यूनतम चेतना | स्थूल जगत (जड़ तत्व) | अन्नमय कोश (Food Sheath) |
2. सुप्त/स्वप्नवत मोनाड | अचेतन / अल्प क्रियाशीलता | वनस्पति जगत | प्राणमय कोश (Vital Sheath) |
3. चेतन मोनाड | जाग्रत चेतना | पशु-पक्षियों की दुनिया | मनोमय कोश (Mental Sheath) |
4. स्वचेतन मोनाड | आत्म-चेतना | मनुष्य का स्तर | विज्ञानमय कोश (Intellectual Sheath) |
5. परम मोनाड (Supreme Monad) | सर्वोच्च चेतना | ईश्वर, सभी मोनाडों का जनक | आनंदमय कोश (Blissful Sheath) |
🌀 लाईबनिज की दृष्टि में संसार का स्वरूप
-
यह सारा संसार मोनाडों का समूह (aggregation of monads) है।
-
संसार में मृत्यु, अंधकार, दुख, अव्यवस्था, निराशा आदि केवल भ्रम हैं — ये केवल गलत अनुभूतियाँ हैं।
👉 लाईबनिज का मत है:
“यह जगत सर्वश्रेष्ठ संभावित जगत (The Best of All Possible Worlds) है —
चेतन, गतिशील, शुभ और पूर्ण।”
📝 निष्कर्ष (Conclusion)
-
मोनाड चेतन और अविभाज्य हैं।
-
प्रत्येक वस्तु में सक्रियता और चेतना अंतर्निहित है।
-
ज्ञान जन्मजात है, आत्मा कोई “सफेद कागज” नहीं, बल्कि वह “पत्थर का टुकड़ा” है जिसमें मूर्ति छिपी होती है।
-
ईश्वर को “मोनाडों का मोनाड (Monad of Monads)” माना गया है।