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📘 ज्ञान की उत्पत्ति (The Origin of Knowledge)
🔹 अनुभव आधारित ज्ञान का स्रोत
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जॉन लॉक आधुनिक युग के पहले ऐसे दार्शनिक हैं जिन्होंने ज्ञानमीमांसा को प्राथमिकता दी और कहा कि:
“मेटाफिज़िक्स से पहले ज्ञान के स्रोतों पर विचार आवश्यक है।”
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उन्होंने ज्ञान का मूल अनुभव (Experience) को माना है, जो दो प्रकार से प्राप्त होता है:
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संवेदना (Sensation) –
बाह्य वस्तुएँ हमारे इंद्रियों को प्रभावित करती हैं। ये प्रभाव हमारी आत्मा में पहुँचते हैं, जिन्हें संवेदना कहा जाता है।
जैसे: खुशबू, मिठास, ठंडक का स्पर्श आदि। -
प्रतिबिंबन (Reflection) –
यह मन की आंतरिक क्रियाओं जैसे स्मृति, सोच, भावनाएँ, संदेह, आदि का अनुभव है।
जैसे: “मैं दुखी हूँ”, “वह खुश है”, “मुझे संदेह है”।
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लॉक के अनुसार, संवेदना प्रतिबिंबन से पहले आती है।
📘 ज्ञान का स्वरूप (The Form of Knowledge)
🔹 विचार (Ideas) ही ज्ञान की इकाई हैं
लॉक के अनुसार, “विचार (Ideas)” ज्ञान के मूलभूत तत्व हैं। ये दो प्रकार के होते हैं:
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सरल विचार (Simple Ideas)
ये इंद्रिय अनुभव या प्रतिबिंबन से सीधे आते हैं। आत्मा इनमें निष्क्रिय रहती है।-
केवल एक इंद्रिय से: मिठास, गंध, ठंडक।
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अनेक इंद्रियों से: गति, ठहराव, आकार।
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प्रतिबिंब से: स्मृति, संदेह, सोच।
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दोनों से: सुख-दुख, शक्ति, एकता।
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जटिल विचार (Complicated Ideas)
सरल विचारों से आत्मा सक्रिय होकर जटिल विचार बनाती है। इसके लिए लॉक ने 6 चरण बताए:1. ग्रहण (Perception)
2. स्मृति (Retention)
3. विवेक (Discernment)
4. तुलना (Comparison)
5. संयोजन (Composition)
6. अमूर्तन और नामकरण (Abstraction & Naming)
📘 ज्ञान की मान्यता (Validity of Knowledge)
🔹 ज्ञान की सत्यता की कसौटी: Correspondence Theory of Truth
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कोई विचार तभी सत्य (Real) माना जाएगा जब उसका कोई बाह्य यथार्थ में समरूप (Corresponding Reality) हो।
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जिस विचार का बाहरी संसार में कोई वास्तविक आधार नहीं है, वह काल्पनिक (Imaginary) होता है।
उदाहरण:
“सूरज चमकता है” — सत्य है क्योंकि इसका अनुभव संभव है।
“घोड़ा उड़ता है” — असत्य/काल्पनिक है क्योंकि इसका कोई यथार्थ आधार नहीं।
📘 ज्ञान की सीमाएँ (Limitations of Knowledge)
लॉक के अनुसार:
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हम केवल उतना ही जान सकते हैं जितना हमारे संवेदना और प्रतिबिंबन के माध्यम से संभव है।
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आत्मा कोई नवीन विचार नहीं बनाती, वह केवल प्राप्त अनुभवों को संगठित करती है।
📘 ज्ञान के चार प्रकार के संबंध (Types of Agreement in Knowledge)
लॉक ने विचारों के बीच चार प्रकार के संबंधों को ज्ञान की संरचना बताया:
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समानता/भिन्नता (Identity/Difference)
जैसे — “लाल = लाल” (समानता), “लाल ≠ काला” (भिन्नता)। -
मात्रात्मक संबंध (Relation of Quantity)
जैसे — 2 + 2 = 4 (गणितीय सत्य)। -
सह-अस्तित्व (Co-existence)
जैसे — “सेब स्वादिष्ट और चिकना है”, “टेबल भूरा है पर चिकना नहीं”। -
वास्तविक अस्तित्व (Real Existence)
जैसे — “ईश्वर का अस्तित्व”, जिसका अनुभव प्रत्यक्ष नहीं, पर विचारात्मक हो सकता है।
🔚 निष्कर्ष (Conclusion)
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लॉक का ज्ञानमीमांसा अनुभववाद (Empiricism) पर आधारित है।
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विचार (Ideas) — सरल या जटिल — सभी ज्ञान का आधार हैं।
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सत्यता का मापदंड है — विचार और वास्तविकता में सामंजस्य।
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आत्मा क्रियाशील नहीं होती विचार निर्माण में, वह अनुभव का अनुकरण करती है।
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