HomeBlogलॉक का ‘Tabula Rasa’ सिद्धांत – मस्तिष्क एक कोरी स्लेट

लॉक का ‘Tabula Rasa’ सिद्धांत – मस्तिष्क एक कोरी स्लेट

  1. 📘 ज्ञान की उत्पत्ति (The Origin of Knowledge)

    🔹 अनुभव आधारित ज्ञान का स्रोत

    • जॉन लॉक आधुनिक युग के पहले ऐसे दार्शनिक हैं जिन्होंने ज्ञानमीमांसा को प्राथमिकता दी और कहा कि:

      “मेटाफिज़िक्स से पहले ज्ञान के स्रोतों पर विचार आवश्यक है।”

    • उन्होंने ज्ञान का मूल अनुभव (Experience) को माना है, जो दो प्रकार से प्राप्त होता है:

      1. संवेदना (Sensation)
        बाह्य वस्तुएँ हमारे इंद्रियों को प्रभावित करती हैं। ये प्रभाव हमारी आत्मा में पहुँचते हैं, जिन्हें संवेदना कहा जाता है।
        जैसे: खुशबू, मिठास, ठंडक का स्पर्श आदि।

      2. प्रतिबिंबन (Reflection)
        यह मन की आंतरिक क्रियाओं जैसे स्मृति, सोच, भावनाएँ, संदेह, आदि का अनुभव है।
        जैसे: “मैं दुखी हूँ”, “वह खुश है”, “मुझे संदेह है”।

    • लॉक के अनुसार, संवेदना प्रतिबिंबन से पहले आती है


    📘 ज्ञान का स्वरूप (The Form of Knowledge)

    🔹 विचार (Ideas) ही ज्ञान की इकाई हैं

    लॉक के अनुसार, “विचार (Ideas)” ज्ञान के मूलभूत तत्व हैं। ये दो प्रकार के होते हैं:

    1. सरल विचार (Simple Ideas)
      ये इंद्रिय अनुभव या प्रतिबिंबन से सीधे आते हैं। आत्मा इनमें निष्क्रिय रहती है।

      • केवल एक इंद्रिय से: मिठास, गंध, ठंडक।

      • अनेक इंद्रियों से: गति, ठहराव, आकार।

      • प्रतिबिंब से: स्मृति, संदेह, सोच।

      • दोनों से: सुख-दुख, शक्ति, एकता।

    2. जटिल विचार (Complicated Ideas)
      सरल विचारों से आत्मा सक्रिय होकर जटिल विचार बनाती है। इसके लिए लॉक ने 6 चरण बताए:

      1. ग्रहण (Perception)
      2. स्मृति (Retention)
      3. विवेक (Discernment)
      4. तुलना (Comparison)
      5. संयोजन (Composition)
      6. अमूर्तन और नामकरण (Abstraction & Naming)


    📘 ज्ञान की मान्यता (Validity of Knowledge)

    🔹 ज्ञान की सत्यता की कसौटी: Correspondence Theory of Truth

    • कोई विचार तभी सत्य (Real) माना जाएगा जब उसका कोई बाह्य यथार्थ में समरूप (Corresponding Reality) हो।

    • जिस विचार का बाहरी संसार में कोई वास्तविक आधार नहीं है, वह काल्पनिक (Imaginary) होता है।

    उदाहरण:
    “सूरज चमकता है” — सत्य है क्योंकि इसका अनुभव संभव है।
    “घोड़ा उड़ता है” — असत्य/काल्पनिक है क्योंकि इसका कोई यथार्थ आधार नहीं।


    📘 ज्ञान की सीमाएँ (Limitations of Knowledge)

    लॉक के अनुसार:

    • हम केवल उतना ही जान सकते हैं जितना हमारे संवेदना और प्रतिबिंबन के माध्यम से संभव है।

    • आत्मा कोई नवीन विचार नहीं बनाती, वह केवल प्राप्त अनुभवों को संगठित करती है


    📘 ज्ञान के चार प्रकार के संबंध (Types of Agreement in Knowledge)

    लॉक ने विचारों के बीच चार प्रकार के संबंधों को ज्ञान की संरचना बताया:

    1. समानता/भिन्नता (Identity/Difference)
      जैसे — “लाल = लाल” (समानता), “लाल ≠ काला” (भिन्नता)।

    2. मात्रात्मक संबंध (Relation of Quantity)
      जैसे — 2 + 2 = 4 (गणितीय सत्य)।

    3. सह-अस्तित्व (Co-existence)
      जैसे — “सेब स्वादिष्ट और चिकना है”, “टेबल भूरा है पर चिकना नहीं”।

    4. वास्तविक अस्तित्व (Real Existence)
      जैसे — “ईश्वर का अस्तित्व”, जिसका अनुभव प्रत्यक्ष नहीं, पर विचारात्मक हो सकता है।


    🔚 निष्कर्ष (Conclusion)

    • लॉक का ज्ञानमीमांसा अनुभववाद (Empiricism) पर आधारित है।

    • विचार (Ideas) — सरल या जटिल — सभी ज्ञान का आधार हैं।

    • सत्यता का मापदंड है — विचार और वास्तविकता में सामंजस्य

    • आत्मा क्रियाशील नहीं होती विचार निर्माण में, वह अनुभव का अनुकरण करती है।

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