दर्शन और संस्कृति का संबंध, भारतीय और पश्चिमी दर्शन में अंतर
दर्शन क्या है?
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दर्शन का अर्थ है ‘ज्ञान’ या ‘दृष्टि’।
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यह ज्ञान या सत्य को तर्क और बुद्धि से समझने का प्रयास है।
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भारत में दर्शन का अर्थ है वह ज्ञान जो परम तत्व की अनुभूति कराता है।
भारतीय दर्शन और पश्चिमी दर्शन में मुख्य अंतर:
विषय | भारतीय दर्शन | पश्चिमी दर्शन |
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उत्पत्ति का कारण | आध्यात्मिक असंतोष, मुक्ति की तलाश | जिज्ञासा, तर्क और विचार की खोज |
उद्देश्य | मुक्ति प्राप्ति के लिए साधन | सत्य की खोज, तर्क और ज्ञान की प्राप्ति |
धार्मिक प्रभाव | गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक प्रभाव | विज्ञान और तर्क प्रधान, धर्म से पृथक |
ज्ञान का स्वरूप | आध्यात्मिक अनुभूति, तर्क के साथ अनुभूति | तर्कात्मक, विश्लेषणात्मक |
संसार और परलोक की धारणा | संसार और परलोक दोनों में विश्वास | केवल भौतिक संसार को मान्यता |
जीवन दृष्टिकोण | दुःखपूर्ण, जीवन को संघर्ष समझना | अधिक भावनात्मक, जीवन का आनंद प्राथमिक |
धर्म और दर्शन का संबंध
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धर्म: आस्था, भावना और कर्म का समष्टि रूप।
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दर्शन: तर्कसंगत, निष्पक्ष ज्ञान की खोज।
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धर्म और दर्शन एक-दूसरे के पूरक हैं:
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धर्म से दर्शन को आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।
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दर्शन से धर्म को तर्क और दिशा मिलती है।
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दर्शन और संस्कृति का संबंध
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संस्कृति: सामाजिक व्यवस्था, मान्यताएं, ज्ञान, कला, भाषा आदि।
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संस्कृति दर्शन को सामग्री और संदर्भ प्रदान करती है।
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दर्शन संस्कृति का बौद्धिक पक्ष है, जो उसकी समीक्षा और दिशा तय करता है।
भारतीय दर्शन की प्रमुख शाखाएं और उनकी मुख्य अवधारणाएं
दर्शन | मुख्य अवधारणा |
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वेद और उपनिषद | ब्रह्म, आत्मा, मोक्ष, ब्रह्माण्ड की एकात्मकता |
ऋग्वेद का तत्वज्ञान | बहुदेववाद, एकेश्वरवाद, एकत्ववाद (मोनिज्म) |
गीता दर्शन | स्थिति प्रज्ञा, स्वधर्म, कर्मयोग |
चार्वाक दर्शन | ज्ञानमीमांसा, भौतिकवाद, भोगवाद (हेडोनिज्म) |
जैन दर्शन | जीव का स्वरूप, अनेकार्थवाद, स्यादवाद, पंचमहाव्रत |
बौद्ध दर्शन | प्रतित्यसमुत्पाद (परस्पर निर्भरता), अष्टांग मार्ग, अनात्मवाद, क्षणिकवाद |
सांख्य दर्शन | सत्त्वकार्यवाद (कारण और परिणाम), प्रकृति और पुरुष, विकासवाद |
योग दर्शन | अष्टांग योग (आसन, प्राणायाम, ध्यान आदि) |
न्याय दर्शन | प्रमाण (ज्ञान के स्रोत), अप्रमाण (अज्ञान), असत्कार्यवाद |
वैशेषिक दर्शन | परमाणुवाद (परमाणु का सिद्धांत) |
मीमांसा दर्शन | धर्म, अपूर्वा का सिद्धांत |
अद्वैत वेदांत | ब्रह्म, माया, जगत, मोक्ष |
पश्चिमी दार्शनिक प्रमुख विचार
दार्शनिक | मुख्य सिद्धांत |
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प्लेटो | चार गुण (धैर्य, न्याय, ज्ञान, साहस) |
अरस्तू | कारणों का सिद्धांत |
सेंट आन्सेल्म | ईश्वर के अस्तित्व के लिए ओन्तोलॉजिकल तर्क |
देकार्ट | संदेह का तरीका – “मैं सोचता हूँ इसलिए मैं हूँ” |
स्पिनोजा | पदार्थवाद, पंथीवाद |
लाइब्नित्ज | मोनाड सिद्धांत, पूर्वनिर्धारित सामंजस्य सिद्धांत |
लॉक | ज्ञानमीमांसा |
बर्कले | अस्तित्व का अर्थ है ‘धारणा’ |
ह्यूम | संदेहवाद |
कांट | आलोचनात्मक दर्शन |
हेगेल | आत्मा और नाद का इतिहास, द्वैतात्मक आदर्शवाद |
मूर | वास्तविकतावाद |
ए.जे. आयर | सत्यापन सिद्धांत |
जॉन ड्यूई | व्यवहारवाद |
सार्त्र | अस्तित्ववाद |
कुछ महत्वपूर्ण विषय
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धार्मिक सहिष्णुता, धर्मनिरपेक्षता
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दुष्टता की समस्या (Evil Problem)
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नैतिक मूल्य और नैतिक द्विधा
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प्रशासन में नैतिक तत्व: ईमानदारी, ज़िम्मेदारी, पारदर्शिता, आचरण संहिता
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भ्रष्टाचार: अर्थ, प्रकार, कारण, प्रभाव और नियंत्रण उपाय
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व्हिसलब्लोअर की भूमिका