🌟 सुकरात (Socrates) का दर्शन
“हर व्यक्ति सुख चाहता है, लेकिन सच्चा सुख क्या है?”
मुख्य विचार:
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सभी मनुष्य सुख (Happiness) चाहते हैं।
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सच्चा सुख वही है जो समाज का कल्याण करे, न कि केवल व्यक्तिगत।
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यह तभी संभव है जब मनुष्य नैतिक गुणों (Virtues) के अनुसार आचरण करे।
Virtues (गुण):
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प्रुडेंस (Prudence) – विवेक
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करेज (Courage) – साहस
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टेम्परेंस (Temperance) – संयम
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जस्टिस (Justice) – न्याय
सिद्धांत:
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गुण सिखाए जा सकते हैं, इसलिए ये प्राप्त किए जा सकते हैं।
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जब व्यक्ति गुणों के अनुसार आचरण करता है, तब उसे सच्चे ज्ञान की प्राप्ति होती है।
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यही सच्चे सुख और समाज कल्याण का मार्ग है।
📚 प्लेटो (Plato) का दर्शन
मूल विचार:
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प्लेटो ने एक अलग दुनिया की कल्पना की जिसे कहा गया – “विश्वासों (Forms) की दुनिया”।
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यह वास्तविक दुनिया नहीं, बल्कि बुद्धि से समझने योग्य, अमर और पूर्ण है।
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इंद्रियां धोखा देती हैं, परन्तु बुद्धि से प्राप्त ज्ञान ही सच्चा है।
चार प्रमुख गुण (Virtues):
वर्ग | गुण |
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शासक | प्रुडेंस (विवेक) |
योद्धा | साहस (करेज) |
व्यापारी / किसान | संयम (टेम्परेंस) |
सभी में | न्याय (जस्टिस) – यह तीनों गुणों के सामंजस्य से उत्पन्न होता है |
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प्लेटो ने “ओमेन का विश्वास” (Belief of Omen) को सबसे श्रेष्ठ और समन्वित माना है – यही सत्य, सौंदर्य और ज्ञान का मूल है।
⚙️ अरस्तू (Aristotle) का कारण सिद्धांत (Causation Theory)
“हर वस्तु या घटना के पीछे कोई न कोई कारण होता है।”
चार कारण (4 Causes):
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भौतिक कारण (Material Cause)
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वस्तु का भौतिक आधार
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उदाहरण: मिट्टी – मिट्टी के घड़े का कारण।
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प्रभावकारी कारण (Efficient Cause)
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जो निर्माण करता है (कर्ता)
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उदाहरण: कुम्हार – घड़ा बनाता है।
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रूपात्मक कारण (Formal Cause)
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वस्तु का स्वरूप या आकार
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उदाहरण: कुम्हार के मन में घड़े का आकार।
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अंतिम कारण (Final Cause)
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उद्देश्य – वह कारण जिसके लिए वस्तु बनाई जाती है।
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उदाहरण: घड़े को पानी रखने के लिए बनाना।
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संक्षेप में सूत्र:
👉 Material + Formal Cause = वस्तु का निर्माण
👉 संभाव्यता (Potentiality) → वास्तविकता (Actuality) = निर्माण
🌀 सांख्य दर्शन – सत्कार्यवाद (Satkaryavada)
“कार्य कारण में पहले से ही निहित होता है।”
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मिट्टी में घड़ा पहले से निहित होता है।
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कार्य और कारण एक ही तत्व के दो रूप हैं।
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यह सिद्धांत प्रकृति के विकास (Parinamvada) को समझने में सहायक है।
🔍 न्याय-वैशेषिक दर्शन
“सत्य को जानने के लिए कई प्रमाण जरूरी हैं।”
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यह दर्शन असत्कार्यवाद (Asatkaryavada) को मानता है – यानी कार्य कारण में नहीं होता, वह नया उत्पन्न होता है।
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प्रमाण (evidence) के रूप में न्याय दर्शन चार प्रमाण मानता है:
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प्रत्यक्ष (Perception)
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अनुमान (Inference)
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शब्द (Testimony)
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उपमान (Comparison)
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✅ सारांश तालिका:
दर्शन | उद्देश्य | ज्ञान का स्रोत | प्रमुख विचार |
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सुकरात | सार्वभौमिक सुख | नैतिक आचरण और शिक्षा | गुण सिखाए जा सकते हैं |
प्लेटो | आदर्श राज्य और आत्मा का कल्याण | बुद्धि से प्राप्त ज्ञान | गुण, विश्वास, आत्मा अमर |
अरस्तू | कारण और उद्देश्य की व्याख्या | कारण विश्लेषण | चार कारणों से वस्तु निर्माण |
सांख्य | प्रकृति का विकास | कार्य कारण में है | सत्कार्यवाद |
न्याय | सत्य की खोज | प्रत्यक्ष + अनुमान + शब्द + उपमान | तर्क और प्रमाण |